नहीं रहे फारुख शेख
मुंबई, जागरण संवाददाता। चश्मे-बद्दूर, शतरंज के खिलाड़ी, नूरी, बाजार और उमराव जान, कथा जैसी फिल्मों से अपने लिए एक अलग दर्शक वर्ग तैयार करने वाले अभिनेता, एक्टिविस्ट, विचारक और टीवी प्रस्तोता फारुख शेख का शुक्रवार देर रात दुबई के एक होटल में निधन हो गया। वह वहां पर एक कंसर्ट में हिस्सा लेने के लिए अपने परिवार के साथ गए थे।
दुबई में कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उनके शव को मुंबई लाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं। 65 वर्षीय फारुख ने 1973 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म गर्म हवा से की थी। उनके निधन की खबर से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। अमिताभ बच्चन से लेकर जावेद अख्तर और शाहरुख खान तक सभी ने ट्विटर पर शोक व्यक्त किया।
फिल्म क्लब-60 में उनके साथ काम करने वाले अभिनेता रघुवीर यादव ने कहा कि अभी वह कुछ भी कह सकने की स्थिति में नहीं हैं। फारुख के साथ कई फिल्मों में काम करने वाली दीप्ति नवल को जब शबाना आजमी ने उनके निधन की सूचना दी तो वह रो पड़ीं। दीप्ति ने कहा, मैंने इतना संवेदनशील अभिनेता नहीं देखा।
उन्होंने हाल में फिल्म लिसन अमाया में फारुख के साथ काम किया था। इसी फिल्म में उनके साथ काम कर चुकीं अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने कहा कि वह एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ ही कमाल के कथावाचक थे। वह चलते-चलते आपको कहानियां बता दिया करते थे। वह सभी के साथ आसानी से घुल-मिल जाते थे। समसामयिक विषयों पर उनकी जानकारी भी कमाल थी।
गुजरात के बड़ौदा जिले के अमरोली में 25 मार्च 1948 को जन्मे फारुख शेख के पिता मुस्तफा शेख मुंबई में वकील थे। फारुख फिल्मों में अभिनय के अलावा थियेटर, बुक रीडर और सक्रिय ओपिनियन मेकर के तौर पर भी जाने जाते थे। वह देश और दुनिया में हो रहे किसी भी मसले पर खुलकर अपनी राय रखते थे। 'जीना इसी का नाम है' नामक शो ने उन्हें टीवी की दुनिया में एक अलग प्रस्तोता के तौर पर स्थापित किया था।
फारुख को अपने करियर का एक मात्र नेशनल अवार्ड निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म लाहौर में सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता के लिए मिला था। उनके मशहूर नाटक तुम्हारी अमृता ने पिछले साल बीस साल पूरे किए थे। इसमें अमृता का चरित्र शबाना आजमी ने निभाया था।
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