साइंस से संवरेगा इंडिया
मंगल मिशन की जोरदार कामयाबी के बाद देश के किशोरों को भी साइंटिस्ट बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हालांकि हमारे देश में ऐसे किशोरों की कमी नहीं,जो साइंस में न केवल रुचि रखते हैं, बल्कि इस दिशा में सक्रिय भी हैं। हाल ही में पूरे देश से आए किशोरों ने ि
मंगल मिशन की जोरदार कामयाबी के बाद देश के किशोरों को भी साइंटिस्ट बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हालांकि हमारे देश में ऐसे किशोरों की कमी नहीं,जो साइंस में न केवल रुचि रखते हैं, बल्कि इस दिशा में सक्रिय भी हैं।
हाल ही में पूरे देश से आए किशोरों ने दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 'इंस्पायर साइंस एग्जीबिशन' में भाग लिया। इनकी सोच ओरिजिनल है। उनकी मौलिकता हैरान करती है। उनके प्रोजेक्ट और प्रयोग चौंकाते हैं। भविष्य में क्या बनना है, इस बारे में उन्होंने भले ही अभी बहुत कुछ न सोचा हो, लेकिन बस उन्हें धुन है अपने आइडियाज को हकीकत में तब्दील करने की। अपने 'इनोवेशन' को लेकर आत्मविश्वास से भरे छोटे-छोटे गांवों-शहरों से आने वाले इन टीन-इनोवेटर्स बना रहे हैं अलग पहचान..
चोरों से बचाएगा मोबाइल..
हॉरर मूवी और टीवी पर आने वाले डरावने शोज में जब दरवाजे अपने-आप खुल जाते थे, बत्तियां जलने लगतीं, तो मेरे दिमाग में भी विचार आया कि क्यों न कुछ ऐसा ही किया जाए। जिस मोबाइल को हम कॉल करने के साथ-साथ अलॉर्म सेट करने, शॉपिंग करने आदि के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसे रिमोट की तरह इस्तेमाल करें, तो यह मोबाइल की एक और बड़ी उपयोगिता होगी। मैंने अपना यह आइडिया प्रिंसिपल मैम से शेयर किया, तो वे काफी खुश हुई और उन्होंने तुंरत इस पर काम करने के लिए मुझे प्रेरित किया। मैंने ऐसी सेंसर विकसित किया है, जिससे घरों के इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम और दरवाजे भी ऑपरेट किए जा सकते हैं।
बड़े काम का कूड़ा
भारत के दूसरे गांवों-शहरों की तरह मेरे गांव में में भी कूड़े का जमाव एक बड़ी समस्या है। लोग अपने घरों को तो साफ रखते हैं, पर अपने आस-पास पड़ी गंदगी और कूड़े को अनदेखा कर देते हैं। इसलिए मैंने कूड़ा प्रबंधन तकनीक पर काम करना शुरू किया, जिसमें शहर का कूड़ा एक जगह एकत्रित किया जाता है। कूड़ा जब सड़ने लगता है, तो उससे निकलने वाली ज्वलनशील मिथेन गैस के इस्तेमाल से बिजली बनाई जा सकती है। इस तकनीक की मदद से जहां एक तरफ शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर, शहर को बिजली भी मुहैया कराई जा सकेगी।
प्रॉब्लम-फ्री करेगा बायोप्लास्टिक
मुझे मिस्टिरियस और साइंस बुक्स बहुत पसंद है। इनोवेटिव काम मुझे हमेशा भाते हैं। जब मुझे लगा कि प्लास्टिक उपयोगी होने के साथ-साथ एक बड़ी समस्या है, तो मैं इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का उपाय सोचने लगी। अंतत: बुक्स, सीनियर्स और टीचर्स की मदद से मुझे कामयाबी भी मिल गई-बायोप्लास्टिक बनाकर। इसे आसानी से बनाया जा सकता है। इसकी खास बात इसका पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली होना है। पर्यावरण को इससे कोई नुकसान नहीं होगा और हमारी सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रोकें पानी की बर्बादी!
जब स्कूल में इंस्पायर एग्जीबिशन के लिए मेरा सलेक्शन हुआ, तो मुझसे सबकी उम्मीद बढ़ गई है। अक्सर देखा जाता है कि लोग काफी समय तक स्टोर किए गए पानी को गंदा समझ कर यूं ही बहा देते हैं। पर हम चाहें तो इसे फिर से इस्तेमाल में ला सकते हैं। पापा की मदद से मैंने एक ऐसी तकनीक की ईजाद की है, जो सूरज की रोशनी में पानी को न केवल जर्म से मुक्त करेगा, बल्कि इसे स्वच्छ यानी पीने योग्य बना देगा। मेरा प्रोजेक्ट एक ऐसी साइंटिफिक सोसायटी की कल्पना है, जिसमें लोग साइंस की मदद से पानी की बर्बादी रोक सकें और बेकार समझे जाने वाले पानी को पीने योग्य बना सकें।
अपने-आप बंद होगी बत्ती!
गांवों में दिन में जरूरत न होने पर भी लोग बिजली जलाए रखते हैं। मुझे यह बात हमेशा परेशान करती थी। जब मुझे साइंस एग्जीबिशन में भाग लेने का अवसर मिला, तो यह मेरे लिए अच्छा मौका था कि मैं इस समस्या के हल के बारे में सोच सकूं। मेरा प्रोजेक्ट बन कर तैयार है। इसमें लगा सेंसर दिन के उजाले और रात के अंधेरे को समझ सकता है। यह दिन में बत्ती को अपने-आप बुझा सकता है और रात को अपने-आप जला भी सकता है। इससे काफी हद तक विद्युत ऊर्जा की खपत को रोका जा सकता है।
(प्रस्तुति: सीमा झा)