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    जरूरी है सही परवरिश

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Sat, 16 Jan 2016 11:30 AM (IST)

    कहा गया है कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, उनसे आप जैसा व्यवहार करेंगी, आगे चलकर वे भी वैसा ही व्यवहार करेंगे। इसलिए बच्चे के साथ संतुलित व्यवहार करें...

    बाल मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया में अगर सबसे कठिन कोई कार्य है तो वह है बच्चों की सही परवरिश। कारण, इसका कोई बंधा-बंधाया नियम नहीं है। फिर भी जैसी बातचीत और व्यवहार आप करती हैं, बच्चे बहुत कुछ वैसा ही सीखते हैं। इसलिए जरूरी है कि आपकी बातचीत, व्यवहार और बॉडी लैंग्वेज सही हो। अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा सही राह पर चले तो पहले आपको सही राह पर चलना सीखना होगा।

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    दें क्वालिटी टाइम

    बच्चों की परवरिश के मामले में यह बात एकदम फिट बैठती है कि क्वांटिटी टाइम भले ही न दें, लेकिन क्वालिटी टाइम बहुत जरूरी है। इसलिए चाहे आप गृहिणी हों या कामकाजी, हर दिन थोड़ा सा क्वालिटी टाइम बच्चों के साथ अवश्य व्यतीत करें। इस दौरान अधिक से अधिक बच्चों की सुनें और उन्हें अपने मन की कहने की इजाजत दें। इससे बच्चे अपने दिल की हर बात आपसे शेयर करेंगे।

    सहज संबंध

    अपने बच्चों से संबंध इतने सहज रखें कि वे गलती करने पर भी आपसे शेयर कर लें। अगर बच्चे के साथ आपका कम्यूनिकेशन मजबूत होगा तो आप बच्चे की हर तरह की बातों से वाकिफ रहेंगी। यह सही है कि बच्चों और माता-पिता के बीच अनुशासन के लिहाज से थोड़ी सी दूरी होनी चाहिए, लेकिन यह दूरी इतनी न हो कि आपके बीच संवाद ही न स्थापित हो। अगर आप अपने बच्चे की सही परवरिश करना चाहती हैं तो उससे दोस्ताना रवैया रखते हुए सहज संबंध बनाए रखें।

    आत्मसम्मान जगाएं

    ये तुमने क्या कर दिया..., तुमसे से अच्छा तो तुम्हारा भाई है..., तुम्हें कब अक्ल आएगी... जैसी बातें भूलकर भी बच्चों से न करें। इससे बच्चों का मनोबल डाउन होता है और वे कोई भी काम करते हुए डरते रहते हैं कि कहीं उनसे कोई गलती न हो जाए। इसका नतीजा यह होता है कि ज्यादा सजगता के चक्कर में उनसे कई बार गलतियां हो जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों से नकारात्मक बातें कहने के स्थान पर उनका मनोबल बढ़ाने वाली बातें कहें।

    नियम बनाएं

    यह तो आपको पता ही है बिना नियम के जिंदगी सही ढंग से नहीं चलती है। इसलिए बच्चों के लिए भी कुछ नियम बनाएं और उनका सही ढंग से पालन भी करवाएं। उदाहरण के लिए बच्चों से कह सकती हैं कि तुम होमवर्क पूरा करने के बाद ही टीवी देखोगे या गेम खेलोगे। इससे बच्चों को यह अहसास होता है कि उन्हें ऐसा करना ही होगा।

    अगर बहुत चंचल हो

    यदि आपका बच्चा जरूरत से ज्यादा चंचल है तो अधिक कड़ाई करने के स्थान पर उस पर थोड़ा अतिरिक्त ध्यान दें। बाल मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ बच्चे अधिक चंचल होते हैं, वे एक जगह टिक कर नहीं बैठ सकते, बैठे तो अनावश्यक रूप से हाथ-पैर हिलाते रहेंगे। स्कूल में भी अधिक शैतानी करेंगे। कुछ पूछने पर आपकी बात समाप्त होने से पहले ही अपनी कहने लगेंगे। उनमें जरा सा भी धैर्य नहीं होता कि पहले किसी की पूरी बात सुन लें। ऐसे बच्चों को बहुत प्यार से समझाएं। फिर भी दिक्कत हो रही है तो उसे किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास ले जाएं। ऐसे बच्चों को कई बार केवल थेरैपी के द्वारा राहत मिल जाती है तो कई बार दवाओं का भी इस्तेमाल करना पड़ता है।

    निहारिका