मेक योर बैंड
म्यूजिक के दीवानें हैं और रॉकस्टार बनने का सपना देख रहे हैं, तो खुद का बैंड बना कर ये हसरत पूरी कर सकते हैं। अपने कुछ म्यूजिक पैशिनेट्स फ्रेंड्स के साथ मिल कर बैंड की शुरुआत स्कूल-कॉलेज के फंक्शंस से ही कर सकते हैं..

आज देश में मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तेजी से बढ रही है। ऐसे में म्यूजिक इंडस्ट्री की हालिया रफ्तार चौंकाती नहीं बल्कि खुशी का अहसास कराती है। ऐसे में वे लोग जो म्यूजिक में इंट्रेस्ट रखते हैं उनके सामने आज इसे बतौर करियर अपनाने की ढेरों पॉसिबिलिटीज हैं। वैसे भी आजकल तो म्यूजिक बैंड का कॉन्सेप्ट जोर पकड रहा है। कैलाश खेर (कैलाशा), पलाश सेन (यूफोरिया), सलमान अहमद (जूनून) जैसे कई नाम इन्हीं रास्तों की देन हैं।
यदि आपके भीतर भी म्यूजिक के जरिए आसमान छूने की हसरत पल रही है और आपमें रॉकस्टार्स वाला पागलपन है, तो यहां करने और पाने को बहुत कुछ है..
क्या है रॉकबैंड कॉन्सेप्ट ?
खुद का बैंड बनाकर इस में एंट्री की जा सकती है। आमतौर पर स्कूल-कॉलेज लेवल पर युवा शैकिया अपना बैंड शुरू करते हैं और आगे जाकर इसे प्रोफेशन बना लेते हैं। इसमें हर शख्स अलग-अलग इंस्टूमेंट प्ले करता है। इंडियन ओशियन, परिक्रमा,अद्वैत व थीम क्लोन्स जैसे म्यूजिक बैंड्स की शुरुआत ऐसे ही हुई। यहां फिल्मों से लेकर म्यूजिक अलबम निकालने जैसे कई ऑप्शन आपके पास होते हैं।
ढेरों हैं अपॉर्च्यूनिटीज
इस फील्ड में नई तकनीक की मदद से आप खुद केलिए अवसर तलाश सकते हैं। यू-ट्यूब, फेसबुक के जरिए आप मिनटों में हजारों-लाखों को अपना फैन बना सकते हैं, चाहें तो कन्सर्ट आर्गनाइज कर लोगों में अपनी पहचान पुख्ता कर सकते हैं। पॉसिबिल है कि इस दौरान किसी फिल्म प्रोड्यूसर या म्यूजिक कंपनी को आपकी धुन रास आ जाए और आप रातों-रात स्टार बन जाएं। बतौर म्यूजिक आर्टिस्ट आप टीवी कॉमर्शियल, म्यूजिक एलबम, जिंगल्स, थेरिपिस्ट, सीरियल, फिल्मों में भी काम पा सकते हैं।
ट्रेनिंग
जानकार मानते हैं कि इस फील्ड में आगे बढने केलिए रियाज से बढकर कुछ नहीं है। यदि आप लगातार रियाज के जरिए खुद को तराशते रहें तो यहां आपकी अदाओं पर मर मिटने वाले वाले की कमी नहीं होगी। वैसे आज इस लाइन के बढते स्कोप को देखते हुए कई संस्थान कोर्स ऑफर कर रहे हैं। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप इनमें से किस संस्थान को चुनते हैं।
कैसे हैं कोर्सेज
देश केकई संस्थान इस क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएशन, ग्रेजुएशन से लेकर डिप्लोमा, सर्टिफिकेट, पार्ट टाइम कोर्स ऑफर करते हैं। वहीं, कई म्यूजिक एकेडमीज बच्चों, किशोरों के लिए ट्रेनिंग कैम्प ऑर्गनाइज करते हैं। इतना ही नहीं, समर वैकेशन में संगीत की बारीकियों से दो-चार कराने वाले कैंपों में भी खासी भीड देखी जाती है।
संस्थान
-म्यूजिक फैकल्टी, दिल्ली यूनिवर्सिटी
-असम विश्वविद्यालय
-बाबासाहब भीमराव अंबेडकर बिहार विवि, मुजफ्फरपुर
-बंगाल म्यूजिक कॉलेज, कलकत्ता विवि
एक्सपर्ट बाइट
अमित किलम, इंडियन ओशियन बैंड
अगर संगीत में रुचि, कुछ नया करने का जुनून और लक्ष्य को पाने का धैर्य है, तो आप इस क्षेत्र में करियर की ऊंचाइयां छू सकते हैं। अगर आप टैलेंटेड हैं और बाजार के अनुरूप संगीत देने में सक्षम हैं, तो कोई कारण नहीं कि आपको सफलता न मिले। युवा संगीतकारों के लिए जरूरी है कि वे आज के यूथ को समझते हुए म्यूजिक कंपोज करें। जो चीज बिक ने के काबिल हो उस पर ज्यादा फोकस करें। नई टेक्नोलॉजी से अवेयर रहें। म्यूजिक के नए-नए साइंटिफिक मिक्सिंग आदि के एक्सपेरिमेंट करते रहें, यूट्यब व फेसबुक के जरिए खुद को परखें। आने वाले समय में इसमें करियर की ढेरो संभावनाएं हैं।
जेआरसी टीम
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