एकेडमिक या प्रोफेशनल
शिक्षा क्षेत्र में लगातार बदलाव आ रहे हैं। हर कोई इन बदलावों का अपने कॅरियर की बेहतरी की शक्ल में फायदा उठाना चाहता है। लेकिन सवाल यह है कि इसके लिए कौन सा रास्ता उचित होगा-फटाफट जॉब की गारंटी देते प्रोफेशनल कोर्स या फिर सदाबहार एकेडमिक कोर्स...
बाकी दुनिया की तरह कॅरियर का संसार भी बीते सालों में बदला है। आज कॅरियर की चाल पहले से तेज हुई है। और हर कोई खुद को इस रफ्तार से बावस्ता करना चाहता है। कोई भी किसी भी लिहाज से दूसरों से पीछे नहीं रहना चाहता। ऐसे में आज कॅरियर के बारे मेंनई-नई अवधारणाएं आना नई बात नहीं है।
आखिर क्यों है बहस
मंजिल एक होने पर भी कई बार रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं। अब यह आप पर है कि उद्देश्य तक पहुंचने के लिए कौन सी राह अख्तियार करते हैं। ठीक ऐसे ही आज मंजिल यानि क ॅरियर की मुफीद ग्रोथ तक पहुंचने के लिए प्रोफेशनल व अकादमिक कोर्स जैसे दो जाने पहचाने रास्ते हैं। दोनों का लक्ष्य एक होने पर भी इन पर चलने वाले छात्रों के नजरिए में मूलभूत फर्क देखा जा सकता है। कुछ के मुताबिक आज के दौर में कॅरियर की अलहदा होती तस्वीर में सफल वही है जो प्रोफेशनल कोर्सो जैसे बीटेक, एमबीए, बीसीए, एमसीए, बीफार्मा, मास कम्युनिकेशन के जरिए कॅरियर की ऊंचाइयां छूता है। इन कोर्सो के जरिए जहां युवाओं को कम उम्र में नौकरी की पक्की गारंटी मिलती है, वहीं प्रोफेशनल फील्ड होने के चलते युवा लगातार खुद की क्वालिटी बढाते हुए, अनुभव व पेशेवर रवैये के ठोस संयोजन से ऐसा बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं जो अकादमिक फील्ड में संभव नहीं। इस बहस में अकादमिक कोर्स के हिमायतियों की बिल्कुल जुदा सोच है। ये लोग मानते हैं कि तुरत-फुरत जॉब के जिए प्रोफेशनल कोर्स ठीक हैं, लेकिन जहां तक जॉब सेटिसफेक्शन, कार्य दशाओं, लंबी अवधि में सफलता का सवाल है तो एकेडमिक कोर्स का कोई जोड नहीं है। देखा जाता है कि ऐसे लोग जॉब में स्थायित्व, कार्य की बेहतर दशाएं, सुनिश्चित ग्रोथ और सबसे अहम अपने क्षेत्र में शीर्ष तक पहुंचने का अवसर तलाशते हैं और आज उनके ये ख्वाब पसंदीदा एकेडमिक कोर्सो के जरिए पूरे हो रहे हैं। यही कारण हैं कि आज बडी संख्या ऐसे छात्रों की है जो 12वीं बाद प्रोफेशनल कोर्सो की दौड में शामिल न होकर लगातार अध्ययन, ऊंची डिग्रियों के जरिए अध्यापन से लेकर तकनीकी जगत में जगह बना रहे हैं।
हालात ने बदली सोच
ज्यादा वक्त नहीं हुआ जब 12वीं बाद युवाओं के सामने बहुत कुछ करने की गुंजाइश नहीं थी। ऐसे में ज्यादातर वे लोग अकादमिक कोर्सो जैसे बीए, बीएससी के सहारे रहा करते थे। बहुत हुआ तो पढाई के साथ-साथ कोई शॉर्ट टर्म कंप्यूटर या फिर टाइपिंग कोर्स कर लिया। लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब तो 12वीं नहीं 9वीं-10वीं से ही छात्र अपने कॅरियर की दिशा निर्धारण में लग जाते हैं। उन्हें पता होता है कि 12वी बाद उन्हें किस प्रोफेशनल कोर्स से फायदा होगा? कौन सा कोर्स उनकी स्किल्स से मैच खाता है? या फिर किस स्ट्रीम से वे तरक्की का आसमां छू सकते हैं? यहां तक कि एकेडमिक कोर्स के नजरिए से भी किस स्ट्रीम में जाना ठीक रहेगा, उस बारे में भी वो पूरी तरह अवगत होते हैं। समझा जा सकता है कि आज का शक्षिक परिदृश्य पहले जैसा नहीं है। क्यों प्रोफेशनल कोर्स बन रहे हैं पसंदीदा कॅरियर के बाजार में विकल्पों की भरमार का सबसे ज्यादा असर प्रोफेशनल कोर्सो की बढती च्वाइस के रूप में देखने को मिला है। दरअसल नौकरी की गारंटी, कम प्रयासों में मिल रहे जॉब, मोटा सैलरी पैकेज, शानदार लाइफ स्टाइल आदि कारणों से प्रोफेशनल कोर्स करने वालों की संख्या बढी है।
आर्थिक उदारीकरण ने खोले रास्ते
ऐसा नहीं है कि पहले प्रोफेशनल या तकनीकी कोर्सो?के नाम पर हम शिफर थे। आईआईटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट आदि पहले भी थे। लेकिन अवसरों की कमी, खस्ताहाल आर्थिक ढांचा आदि के चलते इन कोर्सो का फायदा उठा सकने वालों की संख्या सीमित थी। और इन लोगों में भी ज्यादातर लोग विकल्प के अभाव में विदेश का रुख करते थे। लेकिन स्थितियां बदलीं। खासतौर पर 1991 के बाद आर्थिक उदारीकरण ने इस बदलाव में नए आयाम जोडे। नतीजतन देश में विदेशी कंपनियों की आमद बढी, निवेश बढा और कंपनियों को जरूरत पडी ट्रेंड प्रोफेशनलों की। जाहिर है इसका सबसे ज्यादा फायदा मिला प्रोफेशनल कोर्स करने वालों को। और इस बदले माहौल में उन छात्रों की संख्या में असाधारण बढत दर्ज हुई, जिनका 12वीं बाद लक्ष्य प्रोफेशनल कोर्स के जरिए कॅरियर संवारना था।
कम उम्र में जॉब का सपना साकार
एकेडमिक कोर्सो?में आगे बढने के लिए आपको लंबी अवधि तक अध्ययन की दरकार होती है। उसके बाद ही आप कहीं नौकरी की उम्मीद कर पाते हैं। लेकिन पेशेवर कोर्स के चलते आज युवा 2 से 4 साल की अवधि वाले कोर्स पूरा कर अच्छा जॉब सुनिश्चित कर सकते हैं।
बदली संस्कृति ने बढाए मौके
देश में सांस्कृतिक बदलाव भी इस दिशा में परिवर्तन का सबब साबित हुआ। बेहतर अर्थिक स्तर, आमजनों की बढी क्रयशक्ति के चलते इन दिनों पैरेंट्स अपने बच्चों को जॉब ओरिएंटेड, महंगे प्रोफेशनल कोर्स कराने में सक्षम हैं। उस पर बैंक लोन, स्कॉलरशिप जैसी सहूलियतों ने पेशेवर कोर्स?के सपने को और करीब ला दिया है।
विकास दर से मिली रफ्तार
आजादी के बाद देश की सुस्त आर्थिक रफ्तार ने रोजगार की दर को प्रभावित किया। जाहिर बात है?जब देश में उद्योग नहीं होंगे, उनकी हालत खस्ताहाल होगी तो रोजगार की दर बढने के बजाय घटेगी ही। पर ऐसा हरदम नहीं रहने वाला था। आने वाले दौर में चले सुधारों ने इस स्थिति को परिवर्तित कर दिया। चीजों का बडे पैमाने पर उत्पादन शुरु हुआ, उनकी मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन जैसी चीजों की भी आवश्यकता पडी। ऐसे में आवश्यकता पडी ऐसे होनहार, कार्यदक्ष लोगों की भी जो अपने हुनर से संस्थान को बुलंदियां दे सकें। यही सब कारण है कि आज पेशेवर कोर्स करने वाले छात्रों की संख्या बढ रही है।
कायम है एकेडमिक कोर्सेज का जलवा
प्रोफेशनल कोर्सेज कीबढती चमक-दमक के बीच आज एकेडमिक कोर्सेज की रौनक कम जरूर हुई है लेकिन उन्हें खत्म मान लेना बडी गलती होगी। सच तो यह है कि ज्यादातर शीर्ष प्रशासन, वैज्ञानिकों, शोध, अध्यापन जैसे पेशों में एकेडेमिक्स में बेहतर करने वाले युवाओं की ज्यादा भागीदारी होती है। आज भी देश की उन्नति में भागीदार माने जा रहे क्षेत्र जैसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर (रक्षा-प्रतिरक्षा व शोध, अंतरिक्ष अनुसंधान व विकास), खनिज उत्खनन, विद्युत उत्पादन आदि में खुद को साबित करनेवाले ज्यादातर युवा अकादमिक कोर्सेज में बेहतर करते आ रहे हैं। बौद्धिक स्तरों को बढाते एकेडमिक कोर्स देखा गया है कि आईएएस, पीसीएस जैसी शीर्ष सेवाओं में जाने वाले अधिकांश उम्मीदवार अकादमिक पृष्ठभूमि यानि बीए, बीएससी, बीकॉम, पीएचडी, एमफिल से संबंधित होते हैं। ऐसा इसलिए कि इन परीक्षाओं को पास करने के लिए जिस बौद्धिक स्तर की अपेक्षा आपसे की जाती है, वो शायद एकेडेमिक कोर्सेज में सालों की गई मेहनत के बाद ही नसीब होती है।
देश की तरक्की में हिस्सेदारी का अवसर
बीते सालों के रिकॉर्ड पर गौर करें तो एकेडेमिक च्वाइसों की ओर रुझान वाले ज्यादातर युवा देश केप्रगति वाहक नजर आएंगे। अंतरिक्ष में अत्याधुनिक उपग्रहों का प्रक्षेपण हो, प्रशासक बन देश की सेहत की निगहबानी हो या फिर हो अध्यापक के तौर पर आने वाली पीढियों को संवारने का काम, अमू-मन सभी जगह एकेडेमिक कोर्सेज में लोहा मनवा चुके युवाओं को मौका मिलता है। जानकार मानते हैं कि देश के विकास में सीधी भागीदारी करने का गौरव जो यहां हासिल किया जा सकता है, वह और कहीं मुमकिन नहीं।
कम खर्च बेहतर कोर्स
आज एकेडेमिक कोर्स कम खर्च में बेहतर शिक्षा का दूसरा नाम बन गए हैं। कई बार ऐसे छात्र जिनकी आर्थिक पृष्ठभूमि ठीक नहीं है? उनके लिए अकादमिक कोर्स वरदान सरीखे हैं।
टॉप इंस्टीट्यूट बढा रहे रौनक
प्रोफेशनल कोर्स के लाख रुझान के बाद भी देश में ऐसे संस्थानों की कमी नहीं जिनके एकेडमिक कोर्सेज की ख्याति देश के साथ विदेशों में भी है। आज भी इन कॉलेजों में प्रवेश के वक्त छात्र अपना सबकुछ दांव पर लगा एडमिशन के लिए उतावले दिखते हैं। लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, सेंट स्टीफेंस, हिंदू कॉलेज, मिरांडा हाउस, लोयला कॉलेज, प्रेसीडेंसी कॉलेज, जेएनयू, आईआईएम जैसे उम्दा विश्वस्तरीय संस्थान देश में इनकोर्सेज की उपयोगिता, उनके प्रसार के प्रीमियम सिंबल माने जाते हैं।
जेआरसी टीम
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