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    अधिकार में अवसर

    इंसानी दर्द पहचानने के लिए आपको अवसरों या फिर मौकों की जरूरत नहीं होती। जरूरत होती है तो बस एक संवेदनशील हृदय की जो इंसान के साथ हो रहे जोर-जबर को महसूस कर सके। 10 दिसम्बर मानवाधिकार दिवस एक ऐसा ही खास दिन है। इस दिन आप जैसे कई युवा ऐसे पेशे में जाने का संकल्प ले सकते हैं जो आपको संतोष व मानवता के जख्मों को ठंडक देगा..

    By Edited By: Updated: Wed, 05 Dec 2012 12:00 AM (IST)
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    शायद अपने अधिकारों का ठीक से पता भी नहीं। कहते हैं हमारा हक हमसे तभी तक दूर रहता है जब तक कि हम उससे अंजान रहते हैं। जिस दिन हमने उसके लिए लडना शुरू कर दिया, जिस दिन हमने उस हक का वास्ता अपनी जिंदगी मौत से जोड लिया, वो हमसे ज्यादा दूर नहीं रह जाता। बस यही वह मंत्र है, जिसने सदियों से इंसान को अपने वजूद के लिए लडना सिखाया है और दिए हैं तेवर, ताकतवरों व सत्ता को अंगुलियों पर नचाने वाले मठाधीशों की नजरों से नजर मिलाने के। दुनिया में हुई बडी से बडी क्रांति के पीछे कहीं न कहीं इन्हीं तेवरों की ताकत रही है। तो फिर अब क्यों ठंडे पडे ये तेवर, क्यों एक इंसान के तौर पर हम अपने अधिकारों को मांगने से डरें। दरअसल इन्हीं इंसानी हकूक को और ज्यादा ताकत देने के लिए हर साल 10 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने, उसके खिलाफ संघर्ष को नई परवाज देने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका रही है।

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    क्यों जरूरी हैं मानवाधिकार

    दरअसल इंसान के तौर पर धरती पर आने के साथ ही हमारे कुछ अधिकार भी वजूद में आ जाते हैं। ये वे अधिकार होते हैं जो अस्तित्व की गारंटी के साथ हमारे चहुंमुखी विकास का भी सबब होते हैं। दुनिया में पूरे आत्मसम्मान से रहने व अपनी भौतिक व आत्मिक सुरक्षा बरकरार रखते हुए लगातार तरक्की में इन कारकों की अपनी भूमिका होती है। यही कारण है कि आज दुनिया की ज्यादतार सरकारें इस अधिकार को बरक्कत देने में लगी है। हर स्तर पर चाहें वो संविधान हो या नीति निर्माण इन अधिकारों का प्रावधान जरूर किया जाता है। इसकेअंतर्गत भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, शोषण से रक्षा का अधिकार, प्रवास का अधिकार, बाल शोषण, उत्पीडन पर रोक, महिला हिंसा, असमानता, धार्मिक हिंसा पर रोक जैसे कई मजबूत कानून बनाए गए हैं। खुद भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 23, 24, 39, 43, 45 देश में मानवाधिक ारों की सशक्त पैरवी करते नजर आते हैं। यही नहीं देश में कायम मनावाधिकार आयोग समेत कई सरकारी, गैर सरकारी आयोग भी इस दिशा में कार्यरत हैं।

    कैसे बनी जॉब की गुंजाइश

    एक लोककल्याणकारी राज्य के लिए देश में मानवाधिकारों की बहाली, उनकी सुस्थापना एक खासा चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि विकास के बाकी प्रतिमान तो सरकार भारी पूंजी निवेश और दूसरे संसाधनों को जुटाकर पूरा कर सकती है लेकिन मानवाधिकार के लिए उन्हें कई स्तरों पर कार्य करना पडता है। न केवल सदियों से जमा हो रही रुढियों की जंग को साफ कर जागरूकता प्रसार करने में बल्कि कानून क ी मदद से नई सृजनकारी शक्तियों के निर्माण में भी। यही कारण है कि आज इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं की मांग बढी है। सरकारी विभागों, गैरसरकारी संस्थाओं में इस क्षेत्र से जुडे समर्पित, संघर्ष का माद्दा रखने वाले लोगों की दरकार है।

    क्या है जॉब की प्रकृति

    एक आम आदमी से जुडे होने के चलते मानवाधिकार के क्षेत्र में बेशक संभावनाएं बेशुमार हों लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। इसके अंतर्गत काम करने वाली संस्थाएं सोशल जस्टिस, जुवेनाइल जस्टिस, जेंडर जस्टिस, कस्टोडियल जस्टिस जैसे विविधतापूर्ण क्षेत्रों में काम करती हैं। जाहिर है यहां काम करने के लिए आपके भीतर इन सभी विषयों पर काम लायक समझ होनी चाहिए। वहीं बदलते परिवेश में इस क्षेत्र में क्लाइमेट जस्टिस, मॉनीटरिंग, एडवाइजरी एंड एसिस्टेंस, एजूकेशन सर्विसेज, नेटवर्किग, लॉबिंग पॉलिसी डेवलेपमेंट, डॉक्यूमेंटिंग एंड रिसर्च जैसे कामों में माहिर लोगों की मांग बढी है। इसके अलावा देश भर में यदि कहीं भी मानवाधिकार की स्थिति संकटपूर्ण है तो उसे प्रकाश में लाना भी इनकी ही जिम्मेदारी है। लिहाजा इन्हें काम के दौरान पग-पग पर चुनौतियां मिलती हैं। कई बार कडा सरकारी रुख या फिर संबंधित संगठन की प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई भी यहां जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए जोखिमपूर्ण साबित होती है।

    कहां हैं अवसर

    भारत में मानवाधिकार अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है। फिर भी इस क्षेत्र में विशेषज्ञता कर रहे छात्रों के लिए अनेक अवसर खुले हुए हैं। विकलांगों, अनाथ, दीन-हीन शरणार्थियों, मानसिक विकलांगों तथा नशीले पदार्थ सेवियों के साथ कार्य करने वाले समाजसेवी संगठनों तथा गैर सरकारी संगठनों में कॅरियर के अवसर उपलब्ध हैं। मानवाधिकार व्यवसायी सामान्यत: मानवाधिकार एवं नागरिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्थापित गैर-सरकारी संगठनों में भी कार्य कर सकते हैं। ये गैर-सरकारी संगठन मानवाधिकार सक्रियतावाद, आपदा एवं आपातकालीन राहत, मानवीय सहायता, बाल एवं बंधुआ मजदूरों, विस्थापित व्यक्तियों, संघर्ष समाधान इत्यादि और सार्वजनिक हित की मुकदमेबाजी के क्षेत्र में भी कार्य करते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों तथा गैर सरकारी संगठनों को मानवाधिकार में विशेषज्ञता करने वाले व्यक्तियों की निरंतर तलाश रहती है। इसमें संयुक्त राष्ट्र संगठन भी शामिल हैं। सीधे-सीधे इंसानी पहलू से जुडा होने के चलते इस क्षेत्र में एक साधारण इंसान का दर्द पहचानने के लिए आपको अवसरों या फिर मौके की तलाश नहीं होती। आप राह चलते, अपने घर के आस-पास, गली मोहल्लों में ऐसे बेसहारा, जमाने के सताए लोगों को पा सकते हैं जिन्हें शायद अपने अधिकारों का ही ठीक से पता नहीं। आज देश विदेश में ऐसी अनेक सरकारी, गैरसरकारी, अंतरसरकारी संस्थाएं हैं जिनसे जुडकर आप इन पीडितों को दशा में सुखद बदलाव ला सकते हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमेनेस्टी इंटरनेशनल, सीआरवाई, ऑक्सफेम, ह्यूमन राइट वाच, कॉॅॅमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव्स, एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स, साउथ एशियन ह्यूमन राइट डॉक्यूमेंटेशन्स सेंटर, पीयूसीएल, पीयूडीआर जैसे संस्थान मुख्य हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियां जैसे यूएनडीपी, यूएनडीईएसए (यूएन डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स) व‌र्ल्ड बैंक, यूनिसेफ, यूनेस्को, एफएओ (फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन), यूएनईपी (यूनाइटेड नेशन्स इनवॉयरमेंट प्रोग्राम), आईएफएफ, आईएलओ में भी काम की बेशुमार संभावनाएं हैं।

    कैसी हों योग्यताएं

    इस क्षेत्र में शक्षिक योग्यता से ज्यादा आपके दिल में समाए उस जज्बे की अहम भूमिका है जो इंसान के दर्द पर अपना लहू बहता महसूस करे, मानवता की करुण पुकार पर खिंचा चला आए, पर व्यावहारिक नजरिए से देखें तो आज कुछ शक्षिक योग्यताएं भी यहां अहम हो चली हैं जिनकी बदौलत आप एक प्रतिष्ठित जॉब के हकदार बन सकते हैं। मानवाधिकार में स्नातक, परास्नातक, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट जैसे कोर्स प्रचलित हैं। बीए-ह्यूमन राइट (3 साल) जैसे कोर्स इस विषय में लोकप्रिय हैं। बात करें ह्यूमन राइट्स में पीजी कोर्स की तो इसके लिए भी आपको किसी खास विषय में स्पेशलाइजेशन की दरकार नहीं होती। लेकिन कई नामी संस्थानों में ह्यूमेनिटीज, सोशियोलॉजी पृष्ठभमि या फिर एलएलबी उम्मीदवारों को वरीयता दी जाती है।

    बेहतरीन कम्यूनिकेशन स्किल्स

    मानवाधिकार एक एक सा क्षेत्र है, जहां आपका वास्ता हर रोज समाज के सबसे पीडित और वंचित लोगों से पडता है। मुमकिन है इनमें से बहुतों को स्कूल जाने का ही अवसर न मिला हो। ऐसे लोगों तक अपनी बात पहुंचाने, जागरुक बनाने के लिए आपमें बेहतरीन कम्यूनिकेशन स्किल होनी चाहिए। वैसे भी इन दिनों किसी भी क्षेत्रों में सफल होने के लिए कम्युनिकेशन स्किल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    लेखन क्षमता

    अपनी बात सरकार तक पहुंचाने या आम जनमानस को स्वयं से जोडने के लिए आपको उन्हें प्रभावित करना आना चाहिए और इसके लिए लेखन से अच्छा माध्यम कोई नहीं है। अगर आपकी लेखनी में दम है तो आप इस क्षेत्र में कॅरियर को ऊंचाई पर पहुंचा सकते हैं।

    संवेदनशील हृदय

    किसी के दर्द को अपना बना लेने के लिए आपक ा अपने आसपास के वातावरण के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में आने वाले युवा यहां अपनी निजी महत्वाकांक्षा को लेकर नहीं बल्कि दूसरों के दर्द को साझा करने के लिए ही इस क्षेत्र में आते हैं। यदि आप भी अपने सीने में एक भावुक दिल रखते हैं तो ह्यूमन राइट्स के क्षेत्र में करने को आपके लिए बहुत कुछ है।

    रिसर्च

    शोध की आपके काम में बहुत अहमियत है। मसलन किसी क्षेत्र में लोगों पर क्या गुजर रही है। उनके हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है, उनकी स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन, आंकडे आदि के लिए आपको गंभीर शोध कार्य का होना जरूरी है।

    कानून की अच्छी समझ

    भारतीय संविधान में आम लोगों केअधिकार सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद तय किए गए हैं, जिनका उल्लंघन दंडनीय है। लिहाजा ऐसे मामलों का परखने और कानून के तहत उल्लंघनकर्ताओं को कोर्ट में खींचने के लिए आपको इन कानूनी प्रावधानों की जानकारी अनिवार्य होगी। यही कारण है युवा वकीलों के लिए ये राह खासी फायदेमंद मानी जाती है।

    मैनेजमेंट

    मानवाधिकार के क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रबंधन कौशल की बहुत आवश्यकता पडती है। अपनी टीम के लोगों के साथ बेहतर समन्वयन, सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए भी प्रबंधन आवश्यक है। इसके अलावा बेहतर तकनीकी ज्ञान, आसपास की घटनाओं की जानकारी, विश्लेषण क्षमताएं की अच्छी जानकारी भी काम आते हैं।

    प्रमुख संस्थान

    इस क्षेत्र में काम करने के लिए आपकी एकेडेमिक क्वालीफिकेशन इस क्षेत्र केअनुरूप होनी चाहिए। जॉब के बढते रुझान को देखते हुए यहां कई सरकारी, निजी, एनजीओ, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्सेस आयोजित करते हैं। इनमें प्रवेश की न्यूनतम योग्यता स्नातक मानी जाती है।

    डिग्री कोर्स

    अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ

    जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

    बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, बनारस

    एमडी यूनिवर्सिटी, रोहतक

    एमएस यूनिवर्सिटी ऑफ बडौदा, बडोदरा

    बेहराम यूनिवर्सिटी, बेहरामपुर

    कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी, कोचीन

    डिप्लोमा कोर्स

    यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई, मुंबई

    हिमाचल यूनिवर्सिटी, शिमला

    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन राइट्स, नई दिल्ली

    यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू, जम्मू

    जेएन व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर

    इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली

    कश्मीर यूनिवर्सिटी, श्रीनगर

    जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

    सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी, राजकोट

    यूनिवर्सिटी ऑफ कल्याणी, कोल्हापुर

    सर्टिफिकेट कोर्स

    देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर

    नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बंगलौर

    एसएनडीटी वूमेन यूनिवर्सिटी, मुंबई इग्नू, नई दिल्ली

    जेआरसी टीम