कैसे करें विषयवार तैयारी
एआईईईई के स्थान पर पहली बार होने वाली जेईई-मेन परीक्षा का क्रेज आईआईटी में प्रवेश की पहली सीढ़ी होने के कारण कई गुना बढ़ गया है। जेईई-मेन में अच्छी रैंक लाने के बाद आप देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए योग्य होंगे और जेईई-एडवांस में परीक्षा देने के लिए भी पात्रता हासिल कर लेंगे। क्या है जेईई-मेन परीक्षा के नए प्रावधान और कैसे करें तैयारी..
7 अप्रैल को होने वाले इस टेस्ट में अब बहुत ही कम समय बचा है और लोगों में काफी उत्सुकता है कि इसका सिलेबस और प्रश्न कैसे रहेंगे और किस तरह की तैयारी दिलाएगी सफलता।
विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप पूर्व इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की तरह तैयारी कर रहे हैं, तो आपको विशेष परेशानी नहीं होगी। इस परीक्षा में बेहतर करने के लिए आपको बोर्ड और इंट्रेंस टेस्ट दोनों में बेहतर करना होगा। यह तभी संभव हो सकेगा, जब आपकी सभी विषयों पर समान पकड होगी। कक्षा 11 और 12 की बोर्ड परीक्षा का फिजिक्स, मैथ्स और केमिस्ट्री का सिलेबस कमोबेश जेईई मेन व एडवांस जैसा ही होता है, अंतर होता है सिर्फ अप्रोच में। यदि जेईई मेन व एडवांस के लिए थोडी अधिक मेहनत की है तो आप भी बारहवीं में अच्छा स्कोर कर सकते हैं। जेईई मेन में दक्षता के लिए एक निश्चित स्तर पर पहुंचे बिना सफल नहीं हो सकते, क्योंकि इस तरह की परीक्षा में किसी कॉन्सेप्ट के बारे में जानना ही काफी नहीं है। आपको उन कॉन्सेप्ट का कुछ टेढी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में उपयोग करना है। इस परीक्षा में जो प्रॉब्लम दी जाती है, उन पर कॉन्सेप्ट सीधे-सीधे लागू नहीं किया जा सकता है। इस तरह की परीक्षा में कई प्रॉब्लम्स पर एक से अधिक कॉन्सेप्ट्स लागू होते हैं। कठिन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने का बार-बार प्रयास करके ही आप अपनी एनालिटिकल स्किल्स को सुधार सकते हैं। आपके लिए आदर्श यह होगा कि आप बोर्ड परीक्षा और इंजीनियरिंग एग्जाम को साथ लेकर अपनी तैयारी करें। इससे आपको परीक्षा हॉल में बेहतर प्रदर्शन करने में आसानी होगी।
फिजिक्स में कांसेप्ट के साथ प्रैक्टिस
रैंक लाने में फिजिक्स का बहुत बडा योगदान होता है। इसमें यदि स्टूडेंट बेसिक कांसेप्ट के साथ तैयारी करे तो एग्जाम में बेहतर स्कोर ला सकता है। हर तरह के फॉर्मूले के प्रश्नों का अभ्यास आपके सफलता के चांसेज को कई गुना कर देगा। अभ्यास करने के बाद पिछले 10 से 15 साल के पेपरों से स्वयं को टेस्ट करें। फिजिक्स में कुछ पाठ छात्रों को बडी बारीकी से पढने होंगे जिसमें मॉडर्न फिजिक्स, फ्ल्यूड, वेब्स एंड साउंड, रोटेशन मैकेनिक्स एंड इलेक्ट्रॉनिक में बहुत से कांसेप्ट हैं जिनकी प्रैक्टिस बहुत जरूरी है। इलेक्ट्रीसिटी, मैग्नेटिज्म, ऑप्टिक्स, थर्मोडायनामिक्स का खूब अध्ययन करना चाहिए। अगर पिछले कुछ सालों के पेपर का विश्लेषण करें तो क्लास 11 क ी यूनिट डायमेंशन चैप्टर से लेकर क्लास 12 की मॉडर्न फिजिक्स तक के हर एक पाठ को अच्छी तरह से स्टूडेंट को पढना चाहिए और अभ्यास के साथ पाठ की डिफिनेशन, डेरीवेशन एंड रिजल्ट की प्रैक्टिस जरूर करनी चाहिए। एनसीईआरटी की पुस्तकों से छात्रों को थ्योरी पढने के बाद किसी अच्छे प्रश्न बैंक से प्रैक्टिस बहुत जरूरी है। किसी भी प्रश्न को हल करने के लिए बेसिक कांसेप्ट, डेरीवेशन का ही प्रयोग करें। हर प्रश्न को करने के बाद यह विश्लेषण करें कि आपने उससे क्या सीखा है, तभी आप खुद से कान्सेप्ट को अप्लाई करना सीखेंगे। अगर आपके अंदर इस बात की समझ है कि किन परिस्थितियों में लॉ एंड प्रिंसिपल बना है तो उसे अप्लाई करने में परेशानी नहीं होगी, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है।
केमिस्ट्री में फंडामेंटल करें क्लियर
ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में सारे फंडामेंटल क्लियर होने चाहिए, क्योंकि सारे प्रश्न फंडामेंटल्स पर ही आधारित होते हैं। पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री रिएक्शन मैकेनिज्म पर आधारित होती है। बिना रिएक्शन समझे अच्छा स्कोर संभव नहीं है। फिजिकल केमिस्ट्री पर अच्छी पकड बनाने के लिए अधिक से अधिक न्यूमेरिकल प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। इलेक्ट्रो केमिस्ट्री सॉल्यूशन एंड सॉलिड स्टेट सिर्फ जेईई ही नहीं बल्कि बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। फिजिकल केमिस्ट्री स्ट्रांग करने के लिए मोल कांसेप्ट की समझ बहुत जरूरी है, क्योंकि इसका प्रयोग फिजिकल के बहुत सारे चेप्टरों में होता है। इसमें केमिकल बॉन्डिंग, केमिकल काइनेटिक्स, इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री, थर्मोडायनामिक्स प्रमुख स्कोरिंग चेप्टर हैं। इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री में अच्छा स्कोर करने के लिए पीरियॉडिक टेबल अच्छी तरह याद होनी चाहिए और उसका एप्लीकेशन अच्छी तरह से आना चाहिए क्योंकि पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री पीरियॉडिक टेबल पर आधारित होती है। इसके अलावा कोऑर्डिनेशन कम्पाउंड और पी-ब्लॉक एलिमेंट की प्रापर्ट्रीज अच्छी तरह से याद होना चाहिए। पी ब्लॉक और डी-ब्लॉक एंड कोआर्डिनेशन कम्पाउंड के पाठों पर 12वीं में भी प्रश्न पूछे जाते हैं।
मैथ्स के फार्मूले में छिपी सफलता गणित को जेईई में रैंक डिसाइडर कहा जा सकता है। डिफ्रेंसियल कैलकुलस, ट्रिग्नोमेट्री, प्रोबेबिलिटी, परम्यूटेशन- कॉम्बिनेशन, स्ट्रेट लाइन एंड सर्किल्स (कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री) इसमें खासे स्कोरिंग समझे जाते हैं। मैथ्स की बेहतर तैयारी के लिए एनसीईआरटी किताबों का अध्ययन उपयुक्त है। इसके अलावा गत वर्षो के अभ्यास प्रश्नपत्र, टाइमिंग बेस्ड स्टडी भी असरदार हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मैथ्स में फार्मूले की समझ और उसे अप्लाई करने का मैथेड आ गया तो आप सफलता के करीब पहुंच सकते हैं। इसमें प्लान कर सिस्टमेटिक तैयारी की जाए तो आसानी होती है। कैलकुलस, एलजेब्रा, कोआर्डिनेट ज्यामिति, वेक्टर व थ्री डी ज्यामिति महत्वपूर्ण हैं। इस परीक्षा में आने वाले अमूमन 25 फीसदी प्रश्न अपेक्षाकृत आसान, 60 फीसदी औसत व 15 फीसदी प्रश्नों का स्तर काफी ऊंचा होता है। यदि आप आसान व औसत प्रश्नों को हल कर लेते हैं, तो भी कट ऑफ में आसानी से जगह बना सकते हैं। वहीं आखिर में बचे हुए कठिन प्रश्नों से कुछेक प्रश्नों के सही जवाब देकर मेरिट के बारे में भी सोच सकते हैं।
एकल परीक्षा का क्रेज
देशभर में वर्ष 2013 से होने वाली एकल परीक्षा का क्रेज ही अलग है। विभिन्न पैटर्न की परीक्षाओं और उसकी भारी-भरकम फीस से जहां गार्जियन को निजात मिलेगी, वहीं स्टूडेंट्स को फार्म लेने के लिए बार-बार बैंकों व संस्थानों में लाइन नहीं लगानी होगी और न ही बार-बार एग्जाम देने के लिए भटकना पडेगा। अखिल भारतीय स्तर पर एक ही इंट्रेंस एग्जाम की वर्षो से डिमांड थी।
बोर्ड एग्जाम पर करें फोकस
इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए स्टूडेंट को बारहवीं की परीक्षा पर भी विशेष फोकस करना होगा, तभी वह सफलता का स्वप्न देख सकता है। परीक्षा के नए प्रावधानों के अनुसार चयन में इंट्रेंस टेस्ट को 60 प्रतिशत और 12वीं के एग्जाम के 40 प्रतिशत अंकों को वेटेज दिया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप इस बार बारहवीं परीक्षा दे रहे हैं तो आप बोर्ड परीक्षा में बेहतर अंक लाने के लिए पूरी तरह जुट जाएं। अगर आप बारहवीं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं, तो आपको अगली बार सिर्फ एक ही परीक्षा यानी कि 60 प्रतिशत के लिए ही कठिन मेहनत करना होगा। जेईई-एडवांस में वही कैंडीडेट्स शामिल होंगे, जो बारहवीं के स्टेट बोर्ड के परिणाम के आधार पर टॉप-20 प्रतिशत छात्रों में शामिल होंगे।
एग्जाम का पैटर्न
जेईई-मेन परीक्षा में सारे क्वैश्चन बहुविकल्पीय होंगे। गलत उत्तर देने पर निर्धारित अंकों से एक चौथाई अंक काटने का प्रावधान है। जेईई-मेन में तीन-तीन घंटों के दो पेपर का प्रावधान है। पहला पेपर फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स पर आधारित ऑब्जेक्टिव टाइप का होगा। तीनों विषयों का मूल्यांकन एक समान होगा। दूसरा पेपर एप्टीट्यूड टेस्ट और ड्राइंग विषयों से होगा। बीई-बीटेक में एडमिशन चाहने वाले स्टूडेंट को प्रथम पेपर में शामिल होना जरूरी है, जबकि प्रश्नपत्र-दो बीआर्क, बी प्लानिंग इत्यादि कोर्सो में एडमिशन के लिए है। इस परीक्षा की तैयारी न सिर्फ अलग किस्म के अप्रोच की अपेक्षा रखती है बल्कि उच्च स्तर के एनालिटिकल स्किल की भी अपेक्षा करती है।
ऑनलाइन या ऑफलाइन
जेईई मेन परीक्षा 7 अप्रैल से शुरू हो रही है। अब आप पर निर्भर करता है कि आप किस मोड में परीक्षा देने में सक्ष्म हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप कंप्यूटर फ्रेंडली हैं और जेईई मैन के लिए कुछ दिन और चाहते हैं, तो आपके लिए ऑनलाइन परीक्षा बेहतर विकल्प हो सकता है। आप 25 अप्रैल तक इसकी परीक्षा दे सकते हैं, जबकि ऑफलाइन परीक्षा सिर्फ 7 अप्रैल को होगी। लेकिन अगर आप अॅनलाइन परीक्षा चुनते हैं, तो एडवांस की तैयारी के लिए कम समय बचेंगे। इस कारण आप अपनी क्षमता और सुविधा को देखते हुए इनमें से किसी भी मोड में परीक्षा देने के लिए स्वतंत्र हैं।
पढाई और प्रेक्टिस से मिलेगी सफलता
नॉलेज के साथ एक्यूरेसी जरूरी
अगर जेईई मेन में सफल होना है, तो दिसंबर तक अपनी पढाई पूरी कर लेनी होगी। उसके बाद फॉर्मूला और रिजल्ट का एक नोट्स रीविजन की दृष्टि से तैयार करना श्रेष्ठकर हो सकता है। प्रश्नपत्र सीबीएसई के एक्सपर्ट तैयार करेंगे, इस कारण प्रश्न ज्यादा कठिन न होकर इंटेलीजेंट हो सकता है। ओवरऑल देखा जाए तो यह टेस्ट नॉलेज के साथ-साथ स्पीड और एक्यूरेसी का होगा। इस कारण कम समय में अधिक से अधिक प्रश्नों को हल करना सफलता के काफी करीब पहुंचा सकता है। एनसीईआरटी पुस्तक को दिसंबर तक खत्म करने के बाद प्रैक्टिस के लिए आईआईटी में पूछे गए सिंगल च्वाइस वाले सवालों को समझकर हल करने से आपकी तैयारी बेहतर हो सकती है। हो सकता है कि आप जिस टॉपिक में आसान प्रश्न पूछे जाने की संभावना लेकर परीक्षा हाल में जा रहे हैं, उससे कठिन और जिसे आप कठिन समझकर न पढें, उससे आसान सवाल पूछे जा सकते हैं। इस कारण सभी टॉपिक की तैयारी अच्छी तरह से करें। अगर आप पढाई और प्रैक्टिस दोनों ठीक से करते हैं, तो आप परीक्षा में अच्छे मार्क्स ला सकते हैं।
आनंद कुमार, सुपर थर्टी संस्थापक
स्ट्रेटेजी बनाकर करें तैयारी
योजना और समय निर्धारण प्रवेश परीक्षा में सफलता के सार हैं। इस प्रवेश परीक्षा में 11वीं और 12वीं की कक्षा से क्रमश: 45 और 55 प्रतिशत पाठ्यक्रम आता है। प्रवेश परीक्षा में बहुत सारे टॉपिक्स के मिश्रित प्रश्न आते हैं, इसलिए चयनात्मक पढाई की तरह सारे कोर्स की समग्र तैयारी जरूरी होती है। तैयारी इस तरह की होनी चाहिए कि स्कूल बोर्ड के साथ जेईई-मेन और एडवांस की तैयारी हो जाए। तीनों विषयों के उचित अध्ययन का तरीका यह है कि हर विषय का प्रत्येक पाठ और प्रत्येक टॉपिक की उचित समय सारिणी बना लें। मिश्रित कांसेप्ट वाले प्रश्नों को हल करने के लिए विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता होती है। प्रत्येक पाठ के अध्ययन के बाद रिवीजन, नोट एवं समरी बनाने से परीक्षा के कुछ पूर्व तेजी से रिवीजन करने में मदद मिलती है। सीखने की समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता के अनुप्रयोगों का विकास प्रत्येक छात्र के अंदर होना चाहिए। बेसिक्स और फंडामेंटल कांसेप्ट से ही प्रश्नों को हल करना चाहिए।
आरएल त्रिखा
डायरेक्टर एंड हेड डिस्टेंस लर्निग, फिटजी, दिल्ली
बेसिक्स करें क्लियर
जेईई मेन में आपकी अच्छी रैंक के लिए फिजिक्स में किया गया उम्दा प्रदर्शन काफी हद तक जिम्मेदार होता है। लिहाजा इसे कतई हल्के में नहीं लिया जा सकता। मोटे तौर पर देखें तो इसमें प्रश्न दो तरीके से पूछे जाते हैं- एक थ्योरी बेस्ड दूसरे एक्सपेरिमेंटल व न्यूमेरिकल पर आधारित।इसमें बडा हिस्सा डायमेंसन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म, इलेक्ट्रॉनिक्स, कैलकुलस पर आधारित प्रश्नों का होता है। प्रश्नों में आने वाले घुमावों के मद्देनजर कैंडीडेट्स को अपने बेसिक्स क्लियर रखना जरूरी है। बकौल विशेषज्ञ परीक्षा में फिजिक्स के प्रश्न बहुत कुछ सीबीएसई एग्जाम पैटर्न पर आधारित होते हैं। ऐसे में वे छात्र जो इंटरमीडिएट पढाई के दौरान ही अपने सिलेबस पर पकड बना लेते हैं, उनके लिए एआईईई में फिजिक्स की चुनौती आसान हो जाती है। बचे हुए समय में सिर्फ रिवीजन पर ध्यान दें और अगर कहीं कन्फ्यूजन है, तो उसे दूर करें।
मनोज कुमार शर्मा
सेंटर हेड एंड एचओडी फिजिक्स, फिटजी, कानपुर
जेआरसी टीम
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