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    बजटिंग योर कॅरियर

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    Updated: Wed, 21 Mar 2012 12:00 AM (IST)

    इस बार का बजट युवाओं के लिए कई अवसर लेकर आया है। कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें काफी संख्या में युवाओं के लिए बेहतर कॅरियर विकल्प हैं..

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    हर साल मार्च महीने के पहले पखवाडे में चर्चाओं का दौर गर्म हो जाता है। वित्तीय गतिविधियों में आया क्षणिक ठहराव, संस्थाओं में देखी जाने वाली बैचेनी मानो इस दौरान किसी बडी घटना के इंतजार में हों। जी हां यह इंतजार होता है सालाना वित्तीय बजट का। इस लिहाज से देखें तो बजट 2012 युवाओं के लिए उम्मीदों का कारवां लेकर आया है। एजूकेशन, गवर्नमेंट, प्राइवेट जॉब्स, सेल्फ इंप्लॉयमेंट जैसे क्षेत्रों के लिए इस बार वित्त मंत्री के झोले से कई सौगातें बाहर आई हैं। अगर आप भी बजट 2012 की इन सौगातों का लाभ उठाना चाहते हैं तो प्लेटफॉर्म तैयार हैं।

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    बौचेत से निकली तरक्की

    जब पहली बार फ्रांसीसी शब्द बौचेत (चमडे का झोला) का प्रयोग किया गया तो बहुत कम लोगों को अंदाजा होगा कि इसी बौचेत से निकले आंकडे देश की प्रगति का ब्यौरा देगा, देश के भावी विकास की रुपरेखा इसी आधार पर खींची जाएगी व सही मायने में यह देश के विकास का दूसरा नाम बन जाएगा। इस आधार पर बजट 2012 की चर्चा करें तो सतह पर आए आंकडे रगों में जोश जरूर पैदा करते हैं। आर्थिक समीक्षा (2011-12) के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर अगले वित्त वर्ष 2012-13 में 7.6 फीसदी रहने की उम्मीद है। दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष 2011-12 में विकास दर 6.9 फीसदी रहने की संभावना है। जीडीपी विकास दर 2013-14 में और बढकर 8.6 फीसदी रहने की संभावना है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार सेवा क्षेत्र व कृषि क्षेत्र ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इसमें सेवा क्षेत्र में तो 9.4 फीसदी की जबर्दस्त वृद्धि हुई है। इसके साथ जीडीपी में सेवा क्षेत्र की भागीदारी भी बढकर 59 फीसदी हो गई है।

    भारत है युवाओं का देश

    वर्तमान समय में भारत में आयु वर्ग के लिहाज से जनसंख्या संरचना में भारी परिवर्तन हो रहा है। भारत काफी तेजी से चीन व जापान जैसे देशों को पछाड कर युवाओं का देश बनने की ओर है। युवाओं की संख्या बढने का अर्थ है कि देश में श्रमशक्ति में बढोत्तरी होगी और अधिक रोजगार की जरूरत होगी। सन 2001 में 15-59 आयु वर्ग वाले लोग कुल जनसंख्या में 58 फीसदी थे, वहीं एक अनुमान के अनुसार सन 2021 तक इस आयुवर्ग केलोगों की कुल जनसंख्या में भागीदारी 64 फीसदी तक बढ जाएगी। यह भारत के लिए एक शुभ संकेत है। इस कारण सरकार इस पर ध्यान दे रही है।

    नई उम्र, नई चुनौती

    भारत एक युवा देश माना जाता है। कहा जाता है कि नई रगों में बहता खून ही भारत की सबसे बडी एसेट है। अनुमान है कि आने वाले कुछ दशकों में भारतीय की औसत आयु 29 साल होगी। 2011 से 2016 के बीच युवा होती जनसंख्या के लिए देश में लगभग 6.35 करोड नए रोजगारों की जरूरत होगी। इसका सामना देश में बडे पैमाने पर रोजगार सृजन करके ही किया जा सकता है। सर्विस सेक्टर व इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर विशेष रूप से जोर देना होगा, जहां इंप्लॉयमेंट के रास्ते काफी बडी संख्या में खुल सकते हैं।

    एजूकेशन सेक्टर

    बजट (20112-13) में भी एजुकेशन सेक्टर के लिए पिछली वर्ष की तुलना में ज्यादा पैसा दिया गया है। ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्ट्री के बजट में लगभग 9500 करोड रुपये की वृद्धि की गई है। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग एक हजार करोड रुपया अधिक है। 2009-10 में शिक्षा बजट लगभग 30 हजार करोड रुपया था, जो अब 61 हजार करोड रुपये का आंकडा पार कर चुका है। बजट में मुख्य जोर शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई)को लागू करने पर है जिसके बजट में लगभग 22 फीसदी की वृद्धि की गई है।

    एजूकेशन लोन पर होगी राहत

    शिक्षा क्षेत्र को पिछले कुछ समय से मिल रहे गवर्नमेंट सपोर्ट से यहां निवेशकों का भरोसा बहाल हुआ है। प्राइवेट सेक्टर में तेजी से खुल रहे क ॉलेज, यूनिवर्सिटीज इसी भरोसे की देन हैं। इन संस्थानों की ओर बढे रुझान के चलते एजूकेशन लोन आज की जरूरत बन उभरा है। ऐसे में इस साल के बजट ने सॉफ्ट लोन और आसान किया है। इसके अंतर्गत एक जोखिम निधि की स्थापना का फैसला लिया गया है। इससे ऋण लेने वाले छात्रों को बिना गारंटीऋण लेने का रास्ता साफ हो गया है। इसके अतिरिक्त स्कूली शिक्षा को भी सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है।

    रेलवे में नौकरियों की बहार

    भारतीय रेलवे दुनिया का दूसरा सबसे बडा इम्प्लॉयर है। देश में इम्प्लॉयमेंट देने के लिहाज से इसका प्रथम स्थान है। वर्तमान में इसमें कुल 13.6 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। भारतीय रेलवे की सर्विस कंडीशंस भी खासी आकर्षक है। यही वजह है कि युवाओं का एक बहुत बडा वर्ग इसमें प्रवेश पाने की कोशिश करता है। रेल बजट (2012-13) नौजवानों के लिए भारी संख्या में नौकरियों का तोहफा लेकर आया है। इसमें अगले एक वर्ष के दौरान लगभग एक लाख नौकरियां सीधे तौर पर देने की बात कही गई है। इतना ही नहीं प्रस्तावित भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम द्वारा स्टेशनों के आधुनिकीकरण के कार्यो के लिए भी लगभग 50 हजार नौकरियों का सृजन किया जाएगा।

    इंफ्रास्ट्रक्चर पर है फोकस

    बजट (2012-13) में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर काफी जोर दिया है। इसके अंतर्गत फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को टैक्स फ्री बॉन्ड जारी करने की अनुमति दी गई है। इन बॉन्डों के जरिए लगभग 60,000 करोड रुपये इन कंपनियों को प्राप्त हो सकेंगे, जिसका उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में किया जाएगा। इसके साथ ही बजट में इंफ्रास्ट्रक्चरडेवलपमेंट के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढाने की बात भी कही गई है इससे देश में रेलवे, बंदरगाह, हाउसिंग और नेशनल हाइवे के विकास में मदद मिलेगी। प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी से न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में इंवेस्टमेंट बढेगा बल्कि यहां इंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटीज भी काफी ज्यादा बढेगी। वैसे भी इंफ्रास्ट्रक्चर की न केवल देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, बल्कि यह इंप्लॉयमेंट मुहैया कराने वाला भी प्रमुख क्षेत्र है। भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर में अब काफी ज्यादा इंजीनियर्स और नॉन इंजीनियर वर्कफोर्स की जरूरत पडेगी, जो युवाओं के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खोलेगी।

    सर्विस सेक्टर में सर्विस

    आर्थिक समीक्षा (2011-12) के अनुसार हाल के वर्षो में वैश्विक आर्थिक संकट के बावजूद यदि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है, तो इसके पीछे मुख्य रूप से सर्विस सेक्टर का हाथ है। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान इस सेक्टर की विकास दर 9.4 फीसदी रही है। इसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी भी लगातार बढ रही है। यदि कंस्ट्रक्शन को भी सर्विस सेक्टर में जोड दिया जाए तो देश की जीडीपी में इसकी भागीदारी 64.4 फीसदी हो जाती है। इंम्प्लॉयमेंट के लिहाज से भी सर्विस सेक्टर काफी ऊपर है। इस मामले में इसका स्थान कृषि के बाद है। नेशनल सैम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन की 2009-10 की रिपोर्ट के अनुसार देश के शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक 1000 व्यक्तियों में से 683 व्यक्ति सर्विस सेक्टर में कार्यरत हैं। आर्थिक समीक्षा का कहना है कि देश में रोजगार अवसरों में लगातार वृद्धि हो रही है। इंप्लॉयमेंट अपार्चुनिटीज मुख्य रूप से सर्विस सेक्टर में ही पैदा हो रही हैं। सितंबर 2010 की तुलना में सितंबर 2011 में इंप्लॉयमेंट में 9.11 लाख की बढोत्तरी दर्ज की गई। इसमें भी सबसे ज्यादा इंप्लॉयमेंट 7.96 लाख आईटी और बीपीओ सेक्टर से आए हैं।

    लेबर सर्वे ब्यूरो की रिपोर्ट

    ल्ल देश में सितंबर 2010 से सितंबर 2011 में कुल 9.11 जॉब अपार्चुनिटीज पैदा हुईं, जिसमें भी 7.96 जॉब्स के साथ आईटी-बीपीओ सेक्टर प्रथम स्थान पर रहा।

    * जुलाई से सितंबर 2011 के मध्य लेदर और ट्रांसपोर्ट को छोडकर सभी सेक्टरों में इंप्लॉयमेंट अपार्चुनिटीज में वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान भी सबसे ज्यादा इंप्लॉयमेंट अपार्चुनिटीज आईटी-बीपीओ सेक्टर में ही पैदा हुई।

    * आर्थिक समीक्षा के अनुसार ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर (पब्लिक और प्राइवेट दोनों) में 2010 के दौरान कुल इंप्लॉयमेंट ग्रोथ 1.9 फीसदी रही।

    आईटी सेक्टर रहेगा हॉट

    इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, उत्पादन और निर्यात दोनों के मामले सबसे तेजी से बढते क्षेत्र हैं। शीर्ष पांच प्राथमिकताओं के रूप में आईटी को बढावा देने का फैसला। आईटी तथा सॉफ्टवेयर विकास पर राष्ट्रीय कार्यबल का भी गठन किया है। इस क्षेत्र में विकास की वजह से करीब 80 लाख नई जॉब अपॉर्चुनिटीज पैदा हुई हैं।

    सात मेडिकल कॉलेज होंगे अपग्रेड

    प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत एम्स की तर्ज पर सात मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड किया जाएगा। इनमें से दो कॉलेज उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल झांसी और गोरखपुर हैं। बिहार के दो कॉलेज दरभंगा और मुजफ्फरपुर हैं, जिन्हें इस योजना में शामिल किया गया है। केंद्र सरकार प्रति कॉलेज 125 करोड रुपये देगी।

    स्थापित किए जाएंगे नए स्कूल

    12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान ब्लॉक स्तर पर 6000 मॉडल स्कूलों की स्थापना की जाएगी। कुल 6000 स्कूलों में से 2500 स्कूलों की स्थापना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत की जाएगी, जिससे इस योजना का क्रियान्वयन तेजी से हो सकेगा।

    बैंकिंग में अवसर

    जो युवा सरकारी बैंकों में नौकरी करना चाहते हैं, उनके लिए आने वाले समय में बैंकों के विस्तार को देखते हुए इंप्लॉयमेंट ऑपर्चुनिटीज में बढत तय है। सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों ने 2011-13 के मध्य कुल 85,000 लोगों की भर्ती की योजना बनाई है।

    केंद्रीय आम बजट : कुछ तथ्य

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में केंद्रीय आम बजट का प्रावधान किया गया है। इसे केंद्र सरकार के वित्त मंत्री द्वारा संसद के पटल पर रखा जाता है। इसके अंतर्गत राजस्व और खर्चो का विवरण होता है। सरकार द्वारा प्राप्त तमाम धनराशियों को भारत के संचित कोष में तथा होने वाले तमाम खर्चो को इस कोष से घटाया जाता है या नामे खाते में लिखा जाता है। संविधान धारा 114(3) में यह निर्धारित किया गया है कि इस समेकित कोष से कोई भी पैसा लोकसभा की स्वीकृति के बिना निकाला नहीं जा सकता है। संचित कोष राजस्व एवं पूंजी में विभाजित होता है। भारत सरकार की पूंजीगत प्राप्तियों में कर तथा गैर-कर प्राप्तियां आती हैं। यह भारत के नए वित्त वर्ष की शुरुआत अर्थात 1 अप्रैल से लागू हो जाता है। लेकिन इसके पूर्व इसे संसद द्वारा पारित कराया जाना जरूरी है। स्वतंत्रता मिलने के बाद प्रथम आम बजट 26 नवंबर,1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर. के. शनमुखम द्वारा प्रस्तुत किया गया।

    बजट शब्दावली

    बजट शब्दावली, जो बजट के प्रावधानों के साथ उसके जटिल विश्लेषण को भी आसान करेगी.. वित्त विधेयक : यह बजट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। वित्त विधेयक में सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सभी तरह के करों का उल्लेख होता है।

    पूंजी बजट : पूंजी बजट में पूंजी प्राप्ति और पूंजी भुगतान का विवरण दिया जाता है।

    सरप्लस बजट : यह ऐसा बजट होता है जिसमें सरकार की आय उसके व्यय से अधिक होती है।

    पूंजीगत प्राप्तियां : ऐसी प्राप्तियां जो या तो पूंजी सम्पत्तियों के बेचने से प्राप्त होती हैं जैसे विनिवेश से प्राप्त आय या बाजार उधारी (आंतरिक तथा बाह्य) जिनके संबंध में सरकार की देयता बनी रहे, इन प्राप्तियों को पूंजीगत प्राप्तियां कहा जाता है।

    प्राथमिक घाटा: सकल राजकोषीय घाटे में से ब्याज के भुगतान को घटाने से प्राथमिक घाटे की जानकारी मिलती है।

    बजट घाटा : सरकार के कर राजस्व से अधिक व्यय करने पर उसके बजट में आया घाटा बजट घाटा कहलाता है, जिसकी पूर्ति उधार द्वारा की जाती है।

    शून्य बजट: इसके तहत गैर योजना बजट के कोष को पूर्व योजनाओं के प्रावधान से अलग करके देखा जाता है और उस मद का पूनर्मूल्यांकन करके नए सिरे से उसके लिए धन की व्यवस्था की जाती है।

    बजटीय समर्थन: केंद्र सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के घाटे को पूरा करने के लिए उनके शेयरों की खरीद या उन्हें ऋण प्रदान करने के लिए बजट में प्रावधान करना होता है, जो बजटीय समर्थन कहलाता है।

    भारत का संचित कोष : सरकार की संपूर्ण राजस्व आय, ऋण प्राप्ति तथा उसके द्वारा दिए गए ऋण की अदायगी से प्राप्त आय को मिलाकर भारत का संचित कोष बनता है। सरकार के सारे खर्च इसी कोष से पूरे होते हैं, परंतु इस कोष से धन की निकासी संसद की अनुमति से ही संभव है।

    राजकोषीय घाटा: सरकार का कुल ऋण भार, जिसके अंतर्गत बाजार ऋण, लघु बचतें, प्राविडेंट फंड, बाह्य ऋण तथा बजटीय घाटे को शामिल किया जाता है।

    लेखा अनुदान: संसद द्वारा अनुमानित व्यय के संबंध में दी गई अग्रिम स्वीकृति को लेखा अनुदान कहते हैं जो बजट की प्रक्रिया पूरी किए बिना आगामी वित्त वर्ष के लिए संसद द्वारा स्वीकृति होती है।

    आकस्मिकता निधि: भारतीय संविधान संसद द्वारा एक आकस्मिकता निधि का सृजन करने का प्रावधान करती है, जिसका उपयोग आकस्मिक घटनाओं का सामना करने के लिए किया जाता है। राष्ट्रपति की अनुमति से अग्रिम धन निकाला जा सकता है।

    जेआरसी टीम