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    जेएनयू स्कूल ऑफ डेवलपमेंट

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    Updated: Wed, 15 Feb 2012 12:00 AM (IST)

    क्वालिटी एजुकेशन के लिए बेहतर संस्थान का चयन पहली और अनिवार्य शर्त होती है। विश्वविद्यालय से तय होता है कि आगामी समाज को हम किस दिशा में ले जा रहे हैं। वास्तव में यह समाज को नई शक्ल देने वाला वर्ग तैयार करता है। जेएनयू समाज को ऐसा ही नया रूप देने वाला संस्थान बन रहा है.

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    भारत में शिक्षा का महत्व आदिकाल से रहा है। प्राचीन काल में तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में पढने के लिए देश-विदेश से स्टूडेंट्स आते थे और बेहतर शिक्षा पाकर अपने ज्ञान से काफी लोगों को लाभान्वित करते थे। आधुनिक भारत में उच्च शिक्षा का सबसे बडा गढ कही जाने वाली जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी इसी परंपरा को आगे बढा रही है। इसकी स्थापना1969 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू केनाम पर की गईथी। यहां के कोर्सेस, रिसर्च व‌र्क्स, कल्चरल एक्टिविटीज, हॉस्टल की सुविधाएं और सबसे बढकर प्रबुद्ध वातावरण की अपनी ही रेपूटेशन है। इन सबके चलते जेएनयू में दाखिला प्रतिष्ठा का सबब व बढिया कॅरियर का भरोसा माना जाता है और शायद इसलिए भारत के साथ-साथ विदेशों मे भी इसका अच्छा खासा क्रेज है। अगर आप सभी तरह के लोगों की संस्कृतियों का अनुभव करना और क्वालिटी एजुकेशन चाहते हैं, तो भारत में जेएनयू से बेहतर जगह नहीं हो सकती है।

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    बदलीहैहायर एजूकेशन

    आज प्राइवेट हो या सरकारी, देश में अवसरों की कोईकमी नहीं है। हर क्षेत्र में तकनीकी रूप से सक्षम और योग्य लोगों की पूछ बढी है। परिणामस्वरूप प्रोफेशनल कोर्सेस का क्रेज आज छात्रों के सिर चढकर बोल रहा है। इस बदले परिदृश्य में भारतीय यूनीवर्सिटीज ने अपनी भूिमका भी बडी तेजी से बदली है। अब तक परंपरागत क्षेत्र में डिग्री कोर्स के लिए जाने जाने वाले विश्वविद्यालय फॉरेन लैंग्वेज से लेकर इंजीनियरिंग, प्रबंधन तक में बहुरंगी क ॅरियर उपलब्ध करा रहे हैं। समय की इस तेज चाल में जेएनयू की भूमिका झंडाबरदार की रही है। यहां कोर्सेस की पूरी वैरायटी मौजूद है, वह भी ऊंचे मानकों के साथ। स्टूडेंट्स अपनी रुचि और योग्यता के अनुरूप किसी भी कोर्स में एडमिशन लेकर बेहतर कॅरियर की नींव रख सकते हैं।

    क्यों है जेएनयू का क्रेज

    1969 में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी यानि जेएनयू क ी स्थापना का उद्देश्य हायर एजूकेशन को क्वालिटी एजूकेशन का रूप देना था। अपने इसी उद्देश्य को जीवित रखने के लिए यहां एडमिशन प्रोसेस से लेकर, फैकल्टी, इंफ्र ास्ट्रक्चर, एफ्लिएशन जैसी चीजों में गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया गया। इसी का नतीजा है कि आज यहां प्रवेश के लिए छात्रों में होड मचती है। हर कोई यहां प्रवेश लेकर कॅरियर व देश के प्रति अपनी आकांक्षाओं को नेक्स्ट लेवल देना चाहता है। यहां होने वाले उम्दा स्तर के रिसर्च वर्क ,राष्ट्रीय नीतियों में कारगर भूमिका और भविष्य के लिए आज की जमीन पर खींची जाने वाली लकीरें इसके महत्व को दूना कर रही हैं। प्रशासनिक, आर्थिक संदर्भ में इसके दबदबे क ा अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज सिविल सेवाओं में चयनित होने वाले युवाओं में बडी संख्या जेएनयू पास आउट्स की होती है। देश के संचालन के लिए जिम्मेदार इन प्रशासनिक अधिकारियों के निर्णयों में जेएनयू क ी शिक्षा व आदर्शो की गाढी छाप दिखना आम बात होती है। सिर्फ यही नहीं राष्ट्रजीवन पर असर छोडने वाली बहुत सी चीजें जैसे फिल्म, विज्ञान, राजनीति, रिसर्च, समाज, अर्थ इत्यादि क्षेत्रों की कई मशहूर हस्तियां इसी कैंपस की देन हैं। आप चाहें तो जेएनयू से जुडकर बेहतर कॅरियर बना सकते हैं।

    अलग लोग, अलग संस्कृति

    माधवराव सप्रे के शब्दों में कहें तो जो शिक्षा आपका पूर्ण विकास नहीं कर पाती, उस शिक्षा का कोईमतलब नही। आज शिक्षा जगत में जेएनयू की भूमिका कुछ ऐसी ही है। यह युवाओं में बेहतर भविष्य के भरोसे के साथ स्वाभिमान भी पैदा कर रही है। हो सकता हैकि शिक्षा, प्लेसमेंट समेत कई मामलों में ये संस्थान बेहतरीन हों, पर वातावरण, संस्कृति, शक्षिक जरूरतें,नजरियों के विकास के लिहाज से जेएनयू जो देता हैवह लाइफ टाइम एक्सपीरियंस से कम नहीं। आज से नहीं बल्कि शुरू से ही देखा गया हैकि देश में होने वाले परिवर्तन पहले पहल यहीं नजर आते हैं। बात राजनीतिक सुगबुगाहट की हो या फिर देश दुनिया के जटिल मुद्दों की, जेएनयू परिसर इससे कभी अछूता नहीं रहा।

    हॉस्टल और ग्रेडिंग सिस्टम

    जेएनयू को हॉस्टल ऑफ कैंपस कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें मैरिड स्टूडेंट्स से लेकर बैचलर व कंबाइंड स्टूडेंट्स के लिए अलग से हॉस्टल्स हैं। जेएनयू में पढनेवाले स्टूडेंट्स को आवश्यकतानुसार कमरे दिए जाते हैं। यूजी और पीजी कोर्स करनेवाले स्टूडेंट्स के लिए डबल सीटर और पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए सिंगल रूम की व्यवस्था है। यही कारण है कि यहां सभी तरह के कल्चर के लोग एक ही कैंपस में मिलते हैं, जो पढाई के माहौल को एक नया अंदाज और सोच को एक अलग पहचान देते हैं। अच्छी पढाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जेएनयू में सेमेस्टर सिस्टम, कॉम्पेक्ट क्लासेस, ग्रेडिंग सिस्टम की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा टर्म पेपर, सेशनल वर्क के अलावा अन्य शक्षणिक कार्यो के आधार पर ग्रेड दिए जाते हैं।

    संबद्धता भरती है कोर्सो में रंगत

    कॅरियर प्लेटफॉर्म के तौर पर जेएनयू की स्वीकार्यता सर्वमान्य है। इसका पता इसी बात से चलता है कि चाहें न्यूक्लियर एनर्जी हो या डिफेंस आज राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थान जेएनयू से एफिलिएटेड हैं। ये अपने नेशनल एसेट यानि अपने छात्रों को जेएनयू के जरिए ही प्रशिक्षित कर रहे हैं। ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) चेन्नई, एनडीए (पुणे), सीवी रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, न्यूक्लियर सांइस सेंटर, (नई दिल्ली), नेवल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (लोनावाला), सेंटर फॉर डेवलेपमेंट स्टडीज, सेंटर ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (लखनऊ) आर्मी कैडेट कॉलेज (देहरादून) जैसे बहुत से संस्थान जेएनयू के मानकों पर भरोसा करते हैं।

    कॅरियर की बुलंद सीढी

    आज जेएनयू बेहतर कॅरियर का दूसरा नाम बन चुका है। यहां से किए जाने वाले हर कोर्स की अपनी ही अहमयित है। वह चाहें फॉरेन लैंग्वेज कोर्स हों या बायोटेक्नोलॉजी अथवा इंटरनेशनल स्टडीज। सभी कोर्स अपने आप में असीम संभावनाएं लिए हुए हैं। देखा गया है कि जेएनयू के कोर्स होते तो बाकी संस्थानों की ही तरह हैं, लेकिन जेएनयू की संस्कृति इन कोर्सो को खास बना देती है।

    पॉपुलर है पीएचडी - जेएनयू के पीएचडी प्रोग्राम पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त हैं। आज यहां संस्कृत, मॉलिक्यूलर सांइस, इन्वॉयरनमेंट, बायोटेक, लैंग्वेज, लॉ एंड गर्वनेंस जैसे बहुत से विषयों में पीएचडी के विकल्प हैं। यदि आप भी इनका फायदा उठाना चाहते हैंतो इसके लिए आपके पास एमफिल, एमएससी,एमटेक जैसी डिग्री होनी चाहिए। कुछ सब्जेक्ट्स में पीएचडी के लिए शोध का अनुभव भी मांगा जा रहा है। लैंग्वेज कोर्स की बात है खास-आज वैश्वीकरण के दौर में विदेशी भाषाओं के जानकारों की मांग बढी है। इसी के साथ जेएनयू में चायनीज, रसियन, जेपनीज समेत भारतीय भाषाओं के कोर्स भी लोकप्रिय हुए हैं। देखा गया हैकि इन कोर्सो में एमए करने के बाद छात्रों के लिए विदेश सेवा, शिक्षा, कॉर्पोरेट, पर्यटन जैसे न जाने कितने क्षेत्रों में भविष्य की राहें खुल जाती हैं। विदेश से आने वाले स्टूडेंट्स अंग्रेजी, लिंग्वस्टिक से संबधित कोर्सो को ज्यादा अहमियत देते हैं। यहां प्राय: सभी तरह के लैंग्वेज कोर्स उपलब्ध होने और बेहतर पढाई के माहौल ने लैंग्वेज कोर्सेज को हॉट बना दिया है। इसके अलावा बायोटेक्नोलॉजी के कोर्स भी उपलब्ध हैं।

    10 स्कूल्स ऑफ थॉट

    स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी

    इसकी स्थापना 2006 में हुई। हांलाकि इससे पहले यह सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के नाम से कार्यरत था। पिछले कुछ सालों में देश में बायोटेक्नोलॉजी की जरूरत व वैश्विक स्तर पर पनप रहे अवसरों के चलते रिसर्च ओरियेंटेड कोर्सो की मांग बढी है। केवल देश नहीं बल्कि विदेश से भी शोधार्थी यहां आ रहे हैं। यहां बायोटेक्नोलॉजी की पढाई काफी अच्छी मानी जाती है।

    स्कूल ऑफ कंप्यूटेशनल एंड इंटीगे्रटिव साइंस

    यह संस्थान कंप्यूटेशन व सिस्टम बायोलॉजी में एम-टेक डिग्री व कंप्यूटेशन व बायोइंफॉर्मेटिक्स में प्री डॉक्टरेट व डॉक्टरेट कोर्स ऑफर करता है। यहां पर कंप्यूटेशनल जेनोमिक्स, डेटाबेस मैनेजमेंट,स्ट्रक्चर बेस्ड बायोइंफॉर्मेटिक्स आदि शोधार्थियों द्वारा सर्वाधिक पसंद किए जाते हैं।

    स्कूल ऑफ आ‌र्ट्स एंड एस्थेटिक्स

    यह जेएनयू का सबसे नवीनतम संस्थान है, जो कला व इससे जुडे क्षेत्र में युवा कॅरियर को उडान दे रहे हैं। स्कूल ऑफ कंप्यूटर सांइस एंड सिस्टम सांइस 1974 में अपनी स्थापना के बाद से यह कॉलेज सर्वाधिक संख्या में छात्रों को आकर्षित करता है। हालिया आईटी क्रांति के दौर में इसकी प्रासंगिकता और बढी है।

    स्कूल ऑफ इन्वॉयरनमेंट साइंस

    इस स्कूल में रिमोट सेंसिंग, भूकंप, भूजल, पारिस्थितिकी, इन्वॉयरनमेंटल फिजिक्स, सेल बायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, विकिरण आदि से संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाता है।

    स्कूल ऑफ लैंग्वेज,लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज

    यह जेएनयू के तहत अंडरग्रेजुएट कोर्सकराने वाला इकलौता संस्थान है। इसमें लैटिन,चाइनीज, जर्मन, अरेबिक, फ्रैंच, अफ्रीकन, इंग्लिश, रूसी भाषा व संस्कृति के संबध में अलग-अलग स्टडी सेंटर चलते हैं। इसके अंतर्गत कई भारतीय भाषाओं को भी जोडा गया है।

    स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज

    1956 में स्थापित इस संस्थान को जेएनयू की आधारशिला माना जाता है। यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्दों व देशों के बीच पारस्परिक संबधों का अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय विदेश नीति निर्धारण में इस संस्थान के प्रबुद्ध जनों की भागीदारी होती है। इसके अंतर्गत सेंटर फॉर केनेडियन, अमेरिकन ,लैटिन अमेरिकन स्टडी सेंटर, सेंटर फॉर इंटरनेशनल लीगल स्टडीज,स्टडी ऑफ कंपरेटिव पॉलिटिक्स, पॉलिटकल थ्योरीज जैसे कोर्स संचालित होते हैं।

    स्कूल ऑफ लाइफ साइंस

    यह भी जेएनयू केसबसे पुराने कॉलेजो में से एक है। इसकी स्थापना 1970 में प्रो.एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिशों पर हुईथी। लाइफ सांइस विषय में शोध, विकास व अध्ययन के लिए यह पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त कर चुका है।

    स्कूल ऑफ फिजिकल सांइस

    1986 में इसकी स्थापना के वक्त यहां केवल फिजिक्स अध्ययन की सुविधा थी, बाद में इससे केमिस्ट्री व मैथ्स फैकल्टी को भी संबद्ध कर दिया गया। इसमें फिजिक्स में एमएससी व फिजिक्स, केमिस्ट्री बायो में पीएचडी जैसे विकल्प मौजूद हैं।

    स्कूल ऑफ सोशल सांइस

    फैकल्टी की संख्या को आधार बनाएं तो यह जेएनयू का सबसे बडा स्कूल है। इसके कुल नौ सेंटर हैं। इस स्कूल के अंतर्गत सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ रीजनल डेवलेपमेंट सबसे प्रमुख है, जिसे यूजीसी द्वारा सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज का दर्जा मिला है।

    जेएनयू में प्रवेश की डगर

    जेएनयू में प्रवेश की घडी नजदीक आ चुकी है। आप कॅरियर को परंपरागत राह देना चाहते हों या उसे प्रोफेशनल सांचे में ढालने के इच्छुक हैं, यहां अवसर सबके लिए है..

    जेएनयू में प्रवेश तो कईलोगों का सपना होता है, लेकिन इस संस्थान के उच्च मापदंडों के समक्ष टिक पाना सबके बस की बात नहीं होती। यहां प्रवेश के लिए आपको अपने सब्जेक्ट की अच्छी तैयारी के साथ देश-दुनिया की हालिया समसामयिक घटनाओं, करेंट अफेयर्स की जानकारी रखना अनिवार्य है।

    क्या होती है चयन प्रक्रिया - आपको इंट्रेंस एग्जाम से गुजरना होता है। यह परीक्षा लिखित होती है। आपसे उम्मीद की जाती है कि संबंधित लैंग्वेज में अच्छी पकड रखते हों। जहां तक बैचलर डिग्री (आ‌र्ट्स) कोर्स में इंट्री का सवाल हैतो आपको 10+2 में न्यूनतम 45 अंकों की तो वहीं एमए के लिए ग्रेजुएशन में 45 अंकों की दरकार होगी।

    कैसे करें तैयारी - 12वीं या फिर गे्रजुएशन के बाद जेएनयू आपको हायर एजूकेशन का बिल्कुल अलग ही अनुभव देता है। प्रवेश परीक्षा के लिए आपको अपनी पूर्ववर्ती कक्षाओं के सिलेबस पर पकड होना जरूरी है। स्वयं विशेषज्ञ मानते कि यदि आप अपनी वर्तमान पढाई में गंभीर हैं, तो फिर आगे की पढाई के लिए जेएनयू में एडमिशन कठिन नहीं। रही बात तैयारी की तो उसके लिए जरूरी हैकि आप अंतिम वर्ष में जेएनयू एग्जाम पैटर्न को दिमाग में रखते हुए पढाई करें। आप चाहें तो पिछले सालों की प्रवेश परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों की भी मदद ले सकते हैं।

    ऑनलाइन हुई प्रवेश -प्रक्रिया- सत्र 2012-13 के लिए जेएनयू ने पहली बार ऑनलाइन एप्लीकेशन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों ही तरीके से फार्म की बिक्री 6 फरवरी से शुरू हो चुकी है। ऑनलाइन फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 28 मार्च तय की गई है। इनके सभी कोर्सो के लिए होने वाली परीक्षा देश के 51 अलग-अलग शहरों में (विदेश में काठमांडू सहित) 22,23,24,25 मईको आयोजित की जाएगी। ऑनलाइन फॉर्म व कैश पेमेंट के लिए आप निम्न साइट देख सकते हैं : www.jnuonline.in, www.jnu.ac.in

    जोश डेस्क