डॉक्टर बनने का बेहतर प्लेटफॉर्म
कॅरियर की तो बहुत सी राहें होती हैं, लेकिन खुद को संतोष दे सके, ऐसे विकल्प कम ही हैं। डॉक्टरी एक ऐसा ही पेशा है, जो आपको कॅरियर के साथ इंसानियत के दर्द में हिस्सेदार होने की संतुष्टि भी देता है। अगर आप अच्छी तैयारी करते हैं, तो एआईपीएमटी आपको डॉक्टर बनने का बेहतर प्लेटफॉर्म देती है..

एक पुरानी चीनी कहावत हैकि सबसे बेहतर डॉक्टर वह है , जो बीमारी के आने से पहले ही उसे दूर कर देता है। इसके बाद वे चिकित्सक आते हैं,जो किसी बीमारी को आने पर उसे और बढने से रोकता है। सबसे निचले स्तर पर वे आते हैं, जो बीमारी का इलाज करते हैं। आज मेडिकल के प्रोफेशन में हर कदम पर यह कहावत खुद को चरितार्थकरती है। सालों पहले जब मेडिक ल सुविधाओं का विकास इतना नहीं हुआ था, तब हम हर बीमारी को अपना प्रारब्ध या प्रकृति का न्याय माना करते थे। लोग बीमारी से लडना तो दूर रहा, उसके नाम से ही घबराया करते थे। ऐसे में अमूमन साधारण बीमारियां भी जानलेवा हुआ करती थीं। लेकिन आज ऐसा नहीं है। पिछले सौ सालों में मेडिकल सांइस में हुई तेज तरक्की ने लोगों की पुरानी धारणा को तो बदला ही है, लोगों को जीने का हौसला भी दिया है। इस हौसले को अपनी क्षमताओं और गहरे समर्पण के बूते आधुनिक धन्वंतरि और भी आसान बना रहे हैं। यदि आपमें भी दर्द झेल रही मानवता के कष्टों के बरक्स अपनी जिम्मेदारी का अहसास है तो चिकित्सक बनकर अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी पूरा कर सकते हैं। ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्टयानि एआईपीएमटी इस क्षेत्र में आपकी राह प्रशस्त कर सकता है। 1 अप्रैल को होने वाली प्रारंभिक व 13 मई 2012 को आयोजित हो रही एआईपीएमटी मेन्स यहां प्रवेश के ऐसे ही द्वार हैं, जिन्हें आप अपनी मेहनत के बूते कामयाबी का गेटवे बना सकते हैं।
क्यों खास है एआईपीएमटी
डॉक्टर की पृथ्वी के ईश्वर के रूप में पूजा की जाती है। लोग इस पेशे को सम्मानित नजरिए से देखते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर बनने का स्वप्न हर युवा देखता है। अभिभावक भी चाहते हैं कि उसका बेटा चिकित्सक बनकर देश की सेवा करे और प्रसिद्धि पाए। लेकिन यह सपना उसी का पूरा हो पाता है, जो सिस्टमेटिक पढाई करता है। यदि आपने सीबीएसई द्वारा आयोजित एआईपीएमटी के माध्यम से एमबीबीएस तथा बीडीएस की पढाई करने का स्वप्न देखा है तो एआईपीएमटी में अच्छी रैंक लाकर सपने को हकीकत में बदल सकते हैं। एआईपीएमटी की प्रारम्भिक परीक्षा या स्क्रीनिंग परीक्षा 1 अप्रैल को है। यह चिकित्सक बनने की पहली सीढी है। इसमें फिसले, तो अगला वर्ष ही विकल्प होगा। फाइनल परीक्षा 13 मई 2012 को है। इसमें सफलता के बाद मेरिट के आधार पर देश के किसी भी मेडिकल व डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस, बीडीएस की पढाई कर सकते हैं। देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटें केवल एआईपीएमटी में सफल कैंडिडेट्स के लिए आरक्षित होती हैं।
संस्थान चयन के फार्मूले
एआईपीएमटी में स्टूडेंट्स को रैंकिंग के आधार पर मेडिकल कॉलेज आवंटित किए जाते हैं। कभी विकल्प भी मांगे जाते हैं। यदि ऐसा अवसर मिले तो शीर्ष संस्थानों को प्रथम वरीयता दें। प्रयास करें होम स्टेट के मेडिकल कॉलेज को सर्वप्रथम वरीयता दें। यदि आप ऐसा करते हैं तो इससे भाषा या इससे संबंधित प्रांतीय समस्याएं सामने नहीं आएंगी।
बारहवीं में बायोलॉजी है अनिवार्य
अखिल भारतीय प्री-मेडिकल/प्री-डेंटल प्रवेश परीक्षा देने के लिए वही कैंडिडेट्स योग्य हैं, जिनकी उम्र 31 दिसम्बर को 17 से 25 वर्ष के बीच हो और 50 प्रतिशत अंकों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी यानि पीसीबी के साथ 10+ 2 उत्तीर्ण हों या फिर 2012 में परीक्षा दे रहा हों।
जानिए प्रारंभिक परीक्षा का पैटर्न
एआईपीएमटी की प्रारंभिक परीक्षा में एक प्रश्नपत्र होगा जिसमें 200 ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न होंगे। समयावधि तीन घंटे की होगी। परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी और जुलॉजी से होंगे। प्रारंभिक परीक्षा की तरह फाइनल परीक्षा में भी फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी (जुलॉजी और बॉटनी) के प्रश्न पूछे जाएंगे। इसमें भी केवल एक प्रश्नपत्र होगा, जिसमें 120 ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाएंगे।
क्या है मीडियम आफ क्वैश्चन
एआईपीएमटी परीक्षा का मीडियम अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाएं होंगी। आप जिस भी भाषा में परीक्षा देना चाहते हैं, उसके लिए फार्म भरते समय संबंधित कॉलम में टिक करना जरूरी है। आवेदन फार्म भरने के बाद भाषा बदलना संभव नहीं होगा।
तैयारी के मंत्र
कडी मेहनत के साथ यदि तैयारी में बेहतर गाइडेंस व पुख्ता रणनीति का रंग मिला दें तो यहां कामयाबी काफी कुछ सहज हो सकेगी। 12वीं के सिलेबस से क्लियर होगा फंडा एआईपीएमटी में पूछे जाने वाले प्रश्न दसवीं व बारहवीं स्टैंडर्ड के होते हैं। स्टूडेंट्स यदि दसवीं से ही इस प्रतियोगिता की तैयारी शुरू कर दे तो वे आसानी से अच्छी रैंक ला सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि वे छात्र जो अपनी बारहवीं की पढाई में संजीदा रहते हैं, उनके लिए इस परीक्षा के भंवर को पार करना थोडा आसान रहता है। ऐसे में आवश्यक है कि स्टूडेंट्स फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के बेसिक्स पर ज्यादा ध्यान दें और उससे भी पहले सिलेबस को अच्छी तरह समझ लें।
प्रैक्टिस का नहीं है अल्टरनेटिव
लगातार प्रैक्टिस इस परीक्षा में कामयाबी का मंत्र है। चूंकि इस परीक्षा का नेचर ऑब्जेक्टिव टाइप होता है, इसलिए इसकी प्रैक्टिस बहुत जरूरी है। ऐसे में जरूरी है कि कैंडिडेट्स पिछले वर्षो के प्रश्नों पर ध्यान दें। घर में ही परीक्षा जैसा महौल बनाएं। कि स चेप्टर से कितने प्रश्न पूछे गए हैं , को भी दिमाग में रखना अहम होगा। ऐसा बार-बार करने से विषय में पकड मजबूत होगी व तैयारी भी बेहतर होगी।
और भी हैं डाक्टर बनने की राह
यदि आपने मेडिकल में सुनहरे कल की इबारत लिखने का संकल्प लिया है तो आने वाले समय में कई संभावनाएं हैं। एसोचैम रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2015 तक भारतीय दवा उद्योग करीब 20 अरब डॉलर होने की संभावना है। अनुमान है कि इस समयावधि में ही देश का दवा बाजार दुनिया के शीर्ष 10 दवा बाजारों में शामिल हो जाएगा। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के आंकडे बताते हैं कि देश के दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में निजी अस्पताल कारोबार में बढोत्तरी के मद्देनजर इस सेक्टर के अगले तीन साल में 45 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। देश में मेडिकल प्रोफेशनल के लिए आज एआईपीएमटी के अलावा भी कई विकल्प हैं।
कौन-कौन सी प्रवेश परीक्षाएं
एआईपीएमटी के अलावा कईसंस्थान राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर मेडिकल परीक्षा आयोजित करते हैं, जिसमें आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे (एएफएमसी), बीएचयू एमबीबीएस इंट्रेंस एग्जामिनेशन , एमजीआईएमएस वर्धा एमबीबीएस प्रमुख हैं। इसके अलावा सीपीएमटी, पीएमटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं की मेरिट में आकर भी डॉक्टर बनने का सपना आबाद कर सकते हैं। भारत में मेडिकल की कई शाखाएं हैं, जिसमें कई तो बेहद परंपरागत और प्राचीन समय से चली आ रही हैं। ऐलोपैथ, आयुर्वेद (बीएएमएस), होम्योपैथ (बीएचएमएस) तथा यूनानी (बीयूएमएस) मेडिकल की कुछ ऐसी ही उपशाखाएं हैं। इन सभी में इंट्री के लिए आपको बायोग्रुप से बारहवीं होना अनिवार्य है, वहीं बीयूएमएस के लिए उर्दू का ज्ञान होना जरूरी है।
एक्सपर्ट्स व्यू•ा
अनसॉल्व्ड पेपर है महत्वपूर्ण
मेडिकल प्रोफेशन में आने से पहले सहनशीलता, न्यायप्रियता और कठोर श्रम करने की आदत व्यवहार में लाएं। इस परीक्षा की तैयारी में अनसॉल्व्ड पेपर काफी अहम होते हैं। कोशिश करें कि जो सैंपल पेपर आपने सॉल्व किया है, उसका मूल्यांकन किसी विशेषज्ञ से अवश्य कराएं। लगातार मेहनत और अपनी क्षमताओं के अनुसार लिए गए निर्णय आपको यहां कामयाब बना सकते हैं।
आनंद स्वरूप, प्राचार्य, जीएसवीएम
अभ्यास है अहम
मेडिकल की तैयारी के लिए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का अभ्यास जरूरी है। पिछले वर्षो के प्रश्नों को अवश्य सॉल्व करें। आप तैयारी के सिलसिले में पास कर चुके सीनियर्स से भी मदद ले सकते हैं। फिजिक्स और केमिस्ट्री के विषय फॉर्मूलों पर आधारित होते हैं। इसलिए फॉर्मूलों पर विशेष ध्यान दें।
रोहित अवस्थी, निदेशक, न्यू स्पीड इंस्टीटयूट, कानपुर
एनसीईआरटी है महत्वपूर्ण
एआईपीएमटी में पूछे जाने वाले अधिकतम सवाल एनसीईआरटी की पुस्तकों से पूछे जाते हैं। अगर अभ्यर्थी सिर्फ हाईस्कूल और बारहवीं तक की एनसीईआरटी पुस्तकों का गहन अध्ययन करे और सभी विषयों की तैयारी सही तरीके से करे, तो उसे सफलता मिल सकती है।
डॉ. एस.पी. सिंह, न्यू लाइट इंस्टीटयूट, कानपुर
कूलमाइंड होकर करें तैयारी
किसी भी मेडिकल एग्जाम को पास करने में प्रेजेंस ऑफ माइंड बहुत जरूरी है। कूलमाइंड होकर तैयारी करें। यदि कोई प्रश्न सॉल्व नहीं हो रहा है, तंो घबराएं नहीं। आराम से उसका सॉल्यूशन निकालें। परीक्षा के एक माह पहले से परीक्षा जैसे माहौल में सैम्पल पेपर सॉल्व करें। फिर उनका मूल्यांकन खुद करें या सीनियर्स से करायें। इससे आपकी कमजोरियों को आसानी से समझा जा सकता है। यह प्रक्रिया तैयारी करने के दौरान कई बार करना चाहिए।
डॉ.संजय काला, जीएसवीएम कॉलेज, एसोसिएट प्रोफेसर
मेधावियों की तैयारी
मेधावियों की तैयारी
परीक्षा की रणनीति ऐसी होनी चाहिए कि समय बर्बाद न हो और सफलता भी मिल जाए। पेश है एआईपीएमटी में सक्सेसफुल मेडिकल स्टूडेंट्स की कहानी खुद उनकी जुबानी...
फिजिक्स हैनिर्णायक
एआईपीएमटी में चयनित होने वाली एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र मनोज कुमार और छात्रा सुनीता कुशवाहा का कहना है कि यदि फिजिक्स में पकड मजबूत है तो सेलेक्शन लगभग पक्का है। क्योंकि अधिकांश जेडबीसी स्टूडेंट्स, बायोलॉजी और केमिस्ट्री की अपेक्षा फिजिक्स में कुछ क मजोर होते हैं। ऐसे में यदि आप फिजिक्स को मजबूत बनाते हैं तो सफलता के चांसेज बढ जाएंगे। फिजिक्स में मॉडर्न फिजिक्स, मेकैनिक्स, सिम्पल सर्किट यूनिट से सर्वाधिक प्रश्न आते हैं। इसके अलावा ऑप्टिक्स, हीट, मैग्नेटिज्म तथा वेव से भी प्रश्न पूछे जाते हैं। बारहवीं की एनसीईआरटी किताबों को कतई नजरअंदाज न करें। मैंने इसे आधार बनाया और फिजिक्स में बेहतर परफॉमर्ेंस करने में सफल हुआ।
केमिस्ट्री है कारगर
एआईपीएमटी के लिए यदि केमिस्ट्री की बात की जाए तो इनऑर्गेनिक की अपेक्षा फिजिकल केमिस्ट्री और ऑर्गेनिक केमिस्ट्री से सर्वाधिक प्रश्न आते हैं। इस परीक्षा में कामयाबी हुई छात्रा कीर्ति सितानी का इस बावत कहना है कि ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में यदि रिएक्शन मैकेनिज्म पर कमांड है तो पूरी ऑर्गेनिक केमिस्ट्री पर अधिकार होगा। स्टूडेंट्स बारहवीं की एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहन अध्ययन करें तो परीक्षा में अवसर भी उजले हो सकते हैं। सिलेबस में रिएक्शन मैकेनिज्म, कॉम्प्लेक्स कम्पाउंड, केमिकल बॉन्डिंग, पॉलीमर, ऐरोमेटिक कम्पाउंड, सॉल्यूशन, केमिकल इक्विलिब्रियम बहुत पूछे जाते हैं।
बायोलॉजी का जोड नहीं
एआईपीएमटी पास कर एमबीबीएस प्रथम वर्ष में पढ रही मेडिकल छात्रा गरिमा टमटा मानती हैं कि मेडिकल की तैयारी में रिवीजन और एआईपीएमटी के पिछले 10 वर्षो के पेपरों का महत्वपूर्ण रोल है। जितना ज्यादा रिवीजन करेंगे, पुराने क्वैश्चन पेपर सॉल्व करेंगे, सफलता के उतने ही करीब पहुंचेंगे। बायोलॉजी में क्लासीफिकेशन, एनीमल फिजियोलॉजी, एंजियोस्पर्म, एप्लीकेशन बायोलॉजी से सर्वाधिक प्रश्न आते हैं। जेनेटिक्स एवं साइकोलॉजी भी महत्वपूर्ण हैं। अगर स्टूडेंट्स बायोलॉजी में इन चैप्टर्स को ध्यान से पढते हैं, तो इसमें अच्छे मार्क्स लाकर सफलता सुनिश्चित की जा सकती है।
जेआरसी टीम
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