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ईसा से भी पुराना है मई दिवस का इतिहास

By Edited By: Published: Mon, 30 Apr 2012 06:49 PM (IST)Updated: Mon, 30 Apr 2012 06:49 PM (IST)
ईसा से भी पुराना है मई दिवस का इतिहास

पवन गुप्ता, बोरियो

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एक मई दुनिया में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। मई दिवस मनाने की परंपरा हजारों साल पुरानी है। दुनिया के अलग-अलग देशों में इसे अनोखे तरीकों से मनाया जाता है।

एक मई उत्तरी गोलार्ध में वसंत विषुवत और कर्क संक्रंात के मध्य पड़ता है। यूरोप में पारंपरिक तौर पर गर्मी के मौसम का पहला दिन माना जाता है। ईसा पूर्व से मई दिवस मनाया जाता है। यूरोप में यह दिन फूलों की देवी फलोरा के दिवस के तौर पर मनाया जाता था और आज तक किसी न किसी रूप में मनाया जा रहा है।

मई दिवस पर यूरोप और अमेरिका में मई पोल डांस और रानी को ताज पहनाने का चलन भी काफी लोकप्रिय है। इस दिन लोग मैदान के बीचोंबीच एक खंभा गाड़ देते हैं। इस खंभे को मई पोल कहा जाता है। खंभे को खूब सजाया जाता है। खंभे पर रंग बिरंगे फीते बांधे जाते हैं। फिर लोग इसके चारों ओर नाचते हैं और खुशियां मनाते हैं। नाचने से पहले मौजूद लड़कियों में से मई की रानी का चुनाव होता है जिसे फूलों का ताज पहनाया जाता है।

इंग्लैड के ब्रेंथम गार्डन और ब्रुमले में हर साल यह आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। कनाडा के न्यू वेस्टमिनिस्टर में मई दिवस का त्योहार पिछले 140 साल से लगातार मनाया जाता है।

जर्मनी में मई दिवस से जुड़ी दिलचस्प परंपरा है। वहां के ग्रामीण इलाके में धारणा है कि मई पोल एक टोटम है जिसे हराया जाना चाहिए। मई दिवस के दिन एक गांव के लोग दूसरे गांव के खंभा को चुराने की कोशिश करते हैं। वही राइन की घाटी में कुछ जगहों पर नवयुवक अपनी प्रेमिकाएं के घर के सामने गाड़ आते हैं और प्रेम का इजहार करते हैं।

मई दिवस से जुड़ा एक और लोकप्रिय रिवाज मई बास्केट है। इस परंपरा का जिक्र लुइस एम एलकाट की मशहूर रचना जैक और जिल में मिलता है। मिठाई और फूलों के टोकरियों को लोग गुमनाम रुप से पड़ोसियों के दरवाजे पर छोड़ आते हैं ओर प्रेम का संदेश देते हैं।

मई दिवस जहां एक ओर मजदूरों का मुक्ति गान है तो वहीं दूसरी ओर मई के आगमन और प्रेमपूर्ण रिश्तों को मजबूत करने का भी दिन है।

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जनतंत्र में मजबूत अधिकार है हड़ताल

बोरियो, निज प्रतिनिधि: जनतंत्र में हड़ताल करने को एक महत्वपूर्ण अधिकार माना जाता है। दुनियां में सारे देश के मजदूरों को यह अधिकार मिला है। भारत में देश की पहली हड़ताल कोई पौने दो सौ साल पहले कोलकाता में हुई थी। इस पहली हड़ताल में लोगों को विफलता हाथ लगी थी। 22 मई 1827 को कोलकाता के कहारों ने अंग्रेजों के खिलाफ मजदूरी को लेकर हड़ताल की थी। भारत की लंबी हड़ताल 1982 में मुबई में हुई थी। जिसमें ढाई लाख टेक्सटाइल मजदूरों ने दत्ता सांमत की अगवाई में 550 दिनों तक हड़ताल की थी। जिससे सारे टेक्सटाइल उद्योग ठप हो गए थे। दुनियां कीे सबसे लंबी हड़ताल का रिकीर्ड कोपेन हेगन डेनमार्क के नाइयों के नाम है। नाइयों के नियुक्ति क ो लेकर 33 साल तक चली यह अनूठी हड़ताल 4 जनवरी 1961 को खत्म हुई। अमेरिका की कोहलर कंपनी में अप्रैल 1954 से अक्टूबर 1962 तक चली इस हड़ताल को जारी रखने के लिए ऑटोमोबाइल व‌र्क्स यूनियन को 1 करोड़ 20 लाख डालर खर्च करना पड़ा था।

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