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    झारखंड में राजनीतिक जमीन बचाने को सियासी घमासान जारी

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Sat, 06 May 2017 10:42 AM (IST)

    तमाम राजनीतिक विरोध से इतर सत्तासीन भाजपा राज्य में जमीन संबंधी पुराने कानूनों में संशोधन की पक्षधर है।

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    झारखंड में राजनीतिक जमीन बचाने को सियासी घमासान जारी

    रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में जमीन को लेकर सियासी घमासान चल रहा है। आने वाले दिनों में यह और तेज होगा। पूरी राजनीति इसके समर्थन और विरोध के इर्दगिर्द केंद्रित होगी। इस मसले पर एक धड़े ने 17 मई को राजधानी में रैली का आयोजन किया है, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल होंगे।

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    भाजपा विरोधी दलों की रणनीति नीतीश कुमार को आगे लाकर अगले आम चुनाव में प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की है। रैली के केंद्र में सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का विरोध होगा लेकिन इसी बहाने राजनीतिक तापमान और माहौल भांपने में भी मदद मिलेगी।

    तमाम राजनीतिक विरोध से इतर सत्तासीन भाजपा राज्य में जमीन संबंधी पुराने कानूनों में संशोधन की पक्षधर है। भाजपा के भितरखाने भी इस पर जिच है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष कडिय़ा मुंडा और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा खुलकर इसके खिलाफ सामने आते रहे हैं। इससे सरकार विरोधी माहौल बना रहे दलों को मदद भी मिलेगी। हालांकि विधेयक को तबतक कानून का रूप नहीं मिल पाएगा जबतक राजभवन इसे मंजूरी देकर केंद्र को नहीं भेजता। पिछले वर्ष 18 दिसंबर को राज्य सरकार ने इसे राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा था। अभी तक यह राजभवन में ही पड़ा है। राजभवन के इस रुख से भी सरकार की फजीहत हो रही है। 

    वैसे, विरोधी दलों में जमीन संबंधी कानून को लेकर एक मत तो है लेकिन सभी अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि इसी वजह से उसे जनजातीय बहुल लिट्टीपाड़ा में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक जमीन संबंधी कानून में संशोधन की कवायद आदिवासियों के अस्तित्व को समाप्त करने की साजिश है। वैसे विपक्ष दलों में एका को लेकर अंदरुनी खींचतान चल रही है। लिट्टीपाड़ा विधानसभा उपचुनाव में बाबूलाल की पार्टी झाविमो द्वारा अपना प्रत्याशी उतारना इसकी एक बानगी है।

    ऐसे में इसकी संभावना फिलहाल नजर नहीं आती कि सारे विरोधी दल भाजपा के खिलाफ एक मंच पर नजर आएं। अलबत्ता चुनाव समीप आने पर इसकी संभावना बन सकती है। 

    सीएनटी पर विपक्षी एकता छलावा: आजसू

    आजसू पार्टी ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में विपक्ष की एकता को छलावा बताया है। पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डा. देवशरण भगत ने शुक्रवार को कहा कि विपक्षी पार्टियां सीएनटी पर लड़ाई में ईमानदार नहीं

    हैं। जो लोग सीएनटी एक्ट का जमकर उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन लूटते रहे वे ही आज इसमें संशोधन का विरोध कर रहे हैं।

    विरोध में 13 को राजभवन मार्च

    सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन व  स्थानीय नीति, लैंड बैंक के खिलाफ झारखंड आदिवासी संघर्ष मोर्चा 13 मई को राजभवन मार्च करेगा। जुलूस मोरहाबादी मैदान से निकलेगा। राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा। यह जानकारी शुक्रवार को प्रेसवार्ता में मोर्चा के मुख्य संयोजक डॉ. करमा उरांव ने दी।

    18 मई को झारखंड में चक्का जाम

    झाविमो रांची महानगर की बैठक शुक्रवार को केंद्रीय कार्यालय में हुई। इसमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन, विधायक प्रदीप यादव की गिरफ्तारी के खिलाफ 18 मई को संपूर्ण झारखंड में चक्का जाम करने व 16 मई को मशाल जुलूस कार्यक्रम को सफल बनाने पर चर्चा हुई। 

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