सीएनटी संशोधन बिल वापसी पर अटकलें, सरकार ने साधी चुप्पी
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के भारी हो-हंगामे के बीच संशोधित बिल पारित हुआ था।

जागरण न्यूज नेटवर्क, रांची/जमशेदपुर। बीते छह-सात माह से राज्य की राजनीति में विवाद का सबब बने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक पर संशय के बादल और गहरा गए हैं। राजभवन से इस बिल को फिर से विचार के लिए सरकार को वापस कर दिए जाने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रविवार को इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी। उन्होंने सियासी सवाल पर कुछ कहने की बजाय ‘जय जगन्नाथ’ का जयघोष बुलंद किया और राज्य के लोगों की सुख-समृद्धि व शांति की कामना की। मुख्यमंत्री जमशेदपुर में रथयात्र कार्यक्रम में शामिल हुए।
दूसरी और राजधानी रांची में अटकलें जोरों पर रहीं कि राजभवन ने सरकार को बिल वापस लौटा दिया है। हालांकि राजभवन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। राज्यपाल के प्रधान सचिव संतोष कुमार सत्पथी इस बाबत कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हैं। कुछ ऐसा ही हाल राज्य सरकार का भी है। मुख्य सचिव कार्यालय समेत तमाम वरीय अधिकारियों ने इसपर चुप्पी साध रखी है।
गौरतलब है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के भारी हो-हंगामे के बीच संशोधित बिल पारित हुआ था। इसके बाद इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था।
भाजपा नेताओं ने बोलने से किया परहेज
सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक राजभवन द्वारा वापस करने की जानकारी सत्ताधारी भाजपा के नेताओं को भी नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा से संपर्क नहीं हो सका, जबकि मुख्य प्रवक्ता जेबी तुबिद ने फोन नहीं उठाया। वहीं, भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक राम कुमार पाहन ने भी जानकारी से इन्कार किया। हालांकि यह भी कहा कि राज्यपाल ने यदि सीएनटी से जुड़ी फाइल को वापस भेजा है तो इससे जनता का हित जुड़ा होगा। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
पसोपेश की स्थिति
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल द्रौपदी मुमरू संशोधित बिल के कुछ बिंदुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण चाहती हैं। इसमें पूछा गया है कि बिल लागू होने से झारखंड को कितना फायदा होगा? जिन बिंदुओं पर ज्यादा आपत्ति है, उस पर भी सरकार अपना पक्ष स्पष्ट करे।

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