144 मामलों के आरोपी 15 लाख के इनामी नकुल ने डाले हथियार
माओवादियों की निशानदेही पर पुलिस से लूटे गए आठ आधुनिक सहित 13 हथियार व भारी मात्रा में कारतूस की बरामदगी हुई।
जागरण संवाददाता, रांची। सरकार की आत्मसमर्पण नीति 'ऑपरेशन नई दिशा' के तहत दो कुख्यात भाकपा माओवादी नक्सलियों ने गुरुवार को रांची रेंज के डीआइजी अमोल वीणुकांत होमकर के कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। इन नक्सलियों में 144 कांडों को अंजाम देने वाला 15 लाख का इनामी बिहार रिजनल कमांडर (बीआरसी) नकुल यादव व जोनल कमांडर मदन यादव शामिल है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों के 35 बच्चों को जबरन माओवादी संगठन में शामिल करने को लेकर चर्चित रहा नकुल यादव बच्चों के संगठन में शामिल कराने के मीडिया के सवाल पर गोल-मटोल जवाब देकर खुद को बचाता रहा। उसने केवल यही कहा कि वह सरकार की विकास नीति में भागीदार बनने आया है। माओवादी संगठन में गड़बडि़यां आ गई हैं। सभी अपने उद्देश्य से भटक रहे हैं। इसी तरह राज्य व केंद्र सरकारें भी अब पहले से बेहतर कार्य कर रही हैं।
गांवों में विकास चाह रही हैं, इसलिए नक्सलियों को भी सरकार की इस विकास नीति का सहयोग करना चाहिए। नकुल व मदन ने डीआइजी कार्यालय में बनाए गए विशेष मंच से प्रदेश के सभी भटके हुए नक्सलियों से समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का आह्वान किया। कहा कि सभी हथियार डालकर एक बेहतर गांव, एक बेहतर राज्य का निर्माण करें। दोनों ही माओवादियों की निशानदेही पर पुलिस से लूटे गए आठ आधुनिक सहित 13 हथियार व भारी मात्रा में कारतूस की बरामदगी हुई है। आत्मसमर्पण करने वाले नकुल यादव उर्फ अर्जुन यादव उर्फ जवाहर यादव उर्फ बूढ़ा वर्ष 1993 और मदन यादव उर्फ मदन गोप 2009 में नक्सल संगठन से जुड़ा था।
रांची, लोहरदगा, लातेहार, गुमला व पलामू में इन नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। यहीं इनके खिलाफ ज्यादातर मामले दर्ज हैं। आत्मसमर्पण के दौरान नकुल को 15 लाख व मदन यादव को पांच लाख का चेक भी सौंपा गया। स्वागत भाषण में डीआइजी एवी होमकर ने कहा कि झारखंड पुलिस व केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल लगातार योजनाबद्ध तरीके से नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं। पिछड़े क्षेत्रों में तेजी से विकास व बीहड़ इलाकों में पुलिस पिकेट से नक्सलियों में खलबली मची हुई है। यही कारण है कि नक्सलियों का खासकर भाकपा माओवादियों का किला ढहने लगा है।
नकुल यादव व मदन यादव का आत्मसमर्पण पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि है, इसका बेहतर परिणाम पूरे क्षेत्र में दिखेगा। आइजी अभियान आशीष बत्रा ने कहा कि नक्सलियों की सोच खोखली हो चुकी है। इस आत्मसमपर्ण से प्रेरणा लेकर अन्य नक्सली भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ेंगे, जो विकास में सहयोगी बनेंगे। सीआरपीएफ के आइजी संजय आनंद लाटेकर ने कहा कि इतनी बड़ी उपलब्धि आज तक नहीं मिली थी, दो बड़े नक्सलियों ने पहली बार आत्मसमर्पण किया है, यह लोहरदगा पुलिस व सीआरपीएफ के लिए स्वर्णिम क्षण है। सरकार वादे पूरी कर रही है, इसलिए नक्सली भी मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। इन्हें दूसरे राज्यों से आने वाले नक्सली दिग्भ्रमित कर रहे हैं, जिसे यहां के नक्सली अब धीरे-धीरे समझने लगे हैं।
सामान बरामद
पुलिस से लूटी गई एक 7.62 एलएमजी। एक सेमी ऑटोमेटिक रायफल, एक एके-47, दो 303 बोर रायफल, एक एसएलआर रायफल व तीन इंसास रायफल। इसके अलावा अन्य चार पीस 315 बोर की रायफल। यानी कुल 13 हथियार। -3347 कारतूस, 32 मैगजीन, चार चार्जर, 7 वाकीटॉकी, तीन बंडल काला कपड़ा, 10 बंडल कोडेक्स वायर।
यह कानून व देश के प्रति समर्पण:
आरके मल्लिक एडीजी ऑपरेशन आरके मल्लिक ने कहा कि यह आत्मसमर्पण पुलिस के सामने नहीं है, बल्कि देश व कानून के सामने है। माओवादियों की लड़ाई एक झूठी विचारधारा के लिए है। सरकार की नीति के तहत समाज की मुख्य धारा से भटके हुए सभी नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं। जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है उन्हें प्रायश्चित का मौका मिला है, समाज भी इन्हें यह मौका दे।
वर्ष 2017 में जनवरी से अब तक कुल 30 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इनमें सैक सदस्य एक, रीजनल कमेटी सदस्य दो, सबजोनल कमांडर 03 और एरिया कमांडर स्तर के 6 नक्सली शामिल हैं। 12 अप्रैल को ही खुफिया विभाग के अधिकारियों के समक्ष नकुल सहित अन्य नक्सलियों ने सरेंडर किया था। फिर इन्हीं की निशानदेही पर बूढ़ा पहाड़ एरिया में 22 दिनों तक अभियान चला कर एक करोड़ के इनामी अरविंद जी और अन्य को दबोचने के लिए अभियान चलाया गया।
प्रदेश में अरविंद से लेकर सुधाकरण आदि बड़े नक्सली हैं, जिन पर एक करोड़ का इनाम है। लेकिन पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती नकुल यादव पिछले कई सालों से पेश कर रहा था। अपने क्षेत्र से बच्चों को जबरन नक्सली दस्ता में शामिल कराना हो, विस्फोट कर 11 जवानों को उड़ा देने की बात हो या पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के काफिला पर हमला, सबमें नकुल यादव और उसके दस्ते ने अहम भूमिका निभाई।
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