सवाल, हम साक्षर हो गए इसका क्या फायदा?
रांची : हाल ही में साक्षर हुई लोहरदगा की विमला उरांव ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर

रांची : हाल ही में साक्षर हुई लोहरदगा की विमला उरांव ने अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से पूछा कि वह साक्षर हो गई हैं। इसका क्या फायदा होगा? उपराष्ट्रपति ने तुरंत जवाब दिया, 'आपने सवाल करना सीख लिया है यही सबसे बड़ा फायदा है। उपराष्ट्रपति से सवाल पूछना बड़ी बात है। इसके लिए धैर्य होना चाहिए जो साक्षर होने से ही आपमें आया। पढ़ना-लिखना सीख लिया तो आपको अब कोई परेशान नहीं कर सकेगा। कोई बेवकूफ नहीं बना सकेगा।'
हजारीबाग से आई नवसाक्षर रीना देवी का सवाल था कि हर महिला को रोजगार मिले, उनकी तरक्की हो इसके लिए आपका क्या सुझाव है? उपराष्ट्रपति ने जवाब दिया कि कौशल विकास योजना से जुड़कर महिलाएं हुनरमंद बन सकती हैं। प्रशिक्षण लेकर रेफ्रीजरेटर, टीवी आदि बना सकती हैं। बैंक से लोन लेकर रोजगार कर सकती हैं। उन्होंने स्वयंसेवी समूह बनाकर बैंकों से ऋण लेने तथा रोजगार शुरू करने की भी नसीहत दी। हजारीबाग के ही चुरचू प्रखंड की यशोदा देवी ने पूछा कि महिला समूह के लिए उनका क्या सुझाव है। उपराष्ट्रपति ने जबाव दिया कि समूह बनाने से उनकी पहचान बनती है। समाज में सम्मान मिलता है। कलक्टर तुरंत अपने चैंबर में बुला लेते हैं यह समूह की ही शक्ति है। उन्होंने कहा कि महिला समूह का काम बाल विवाह जैसी समाज की कुरीतियों को दूर करने, स्वच्छता अभियान आदि सामाजिक कार्यो में भी होना चाहिए। बोकारो की सुधा देवी ने पूछा कि जहाज से उन्हें झारखंड कैसा लगा। उपराष्ट्रपति ने अपने जवाब में यहां की हरियाली की जमकर तारीफ की। हजारीबाग के चुरचू की ही सुनीता देवी के सवाल पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि साक्षर होकर सरकारी योजनाओं का पूरा का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।
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निरक्षर ठगे जाते हैं, लेकिन साक्षर ही ठगते हैं :
एक महिला ने बिना नाम लिखे यह सवाल भेजा कि निरक्षर तो ठगे जाते हैं, लेकिन साक्षर ही उन्हें ठगते हैं। इसपर उपराष्ट्रपति ने कहा कि साक्षर होने के बाद इतना आत्म विश्वास बढ़ जाता है कि कोई भी ठगने का काम नहीं कर सकता। अत्याचार, अन्याय, भ्रष्टाचार सभी खत्म हो जाता है।
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¨हदी के बिना ¨हदुस्तान में आगे बढ़ना संभव नहीं :
नवसाक्षर महिलाओं के सवाल का जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि बचपन में ही पढ़ना-लिखना जरूरी नहीं है। अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने बचपन में ¨हदी नहीं सीखी। दिल्ली आकर उन्हें लगा कि ¨हदुस्तान में ¨हदी के बिना आगे बढ़ना संभव नहीं है। तब उन्होंने ¨हदी सीखी। कहा कि मन में संकल्प और कुछ करने की चाहत हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। पढ़ने में संकोच न हो।
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