मजबूत रहूंगा तो साथ आएंगी दूसरी पार्टियां: बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी के विरोधी उन्हें भाजपा का हितैषी बताते हैं तो अक्सर भाजपा खेमे में यह चर्चा होती है कि वे वापस आ सकते हैं।

रांची, प्रदीप सिंह। आंकड़ों की राजनीति में पिछड़ चुके सूबे के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भरोसा है कि वे सत्तासीन सरकार को जनविरोधी फैसले वापस लेने को मजबूर कर देंगे। इसके लिए वे अपनी पार्टी को मजबूत करेंगे और संगठन में नए सिरे से जोश भी भरेंगे।
केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एजेंडा तय कर लिया गया है। वे आंदोलन के साथ-साथ सार्थक विकल्प के जरिए सरकार पर दबाव बनाने के पक्षधर हैं। विपक्षी दलों के बिखराव पर उनकी नजर तो है लेकिन वे चाहते हैं कि पहले खुद मजबूत बनें। ऐसा होगा तभी दूसरी पार्टियां उनकेसाथ आने को तैयार होंगी। दल के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने से वे हतोत्साहित नहीं हैं बल्कि वे इस बात से खुश हैं कि जो पहले उनके दल के विलय का प्रचार कर रहे थे वे भी मानने लगे हैं कि यह सिर्फ अफवाह थी जो भाजपा की ओर से फैलाई गई। पूरी मजबूती के साथ वे इस मामले पर स्पीकर की अदालत से लेकर उच्च न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
दूसरे के बूते है बहुमत
बकौल बाबूलाल मरांडी, राज्य में सत्तासीन भाजपा सरकार का बहुमत उनके दल से गए विधायकों के बूते है। हमने दबाव बनाया तो तेजी से सुनवाई चल रही है। यह पूछे जाने पर कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति हो सकती है, उनका कहना है कि किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है। संगठन महत्वपूर्ण है और लोग तो आते-जाते रहते हैं। बाबूलाल मरांडी कहते हैं कि उद्योग और योजनाओं का विरोध करने पर विकास विरोधी का ठप्पा लगाया जाता है। यह पूरी तरह गलत है। विकास किसका हो रहा है यह भी सरकार को देखना चाहिए। आदिवासियों की जमीन पर उद्योग लगने, खनन होने, डैम बनने से भी उनका विकास नहीं हुआ। वे अपनी जमीन से जरूर विस्थापित हुए। उद्योगों को उन्हें मुनाफे से भागीदार बनाना होगा। खनिज से मिलने वाली रायल्टी में भी उसका हक बनता है।
वे इसे विकास के रोडमैप का विकल्प बताते हैं। बाबूलाल मरांडी राज्य सरकार की नीतियों से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के वक्त से लेकर आजतक कोई बदलाव नहीं हुआ। बिहार से झारखंड अलग हुआ था तो लगा था कि बेहतर स्थिति बनेगी लेकिन सब आदिवासियों की जमीन लूटना चाहते हैं। अंग्रेजों ने दबाव में एक्ट बनाया। उसमें संशोधन किसी हाल में मंजूर नहीं है। स्थानीय नीति भी बाहरी लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
अफवाह पर नहीं देता ध्यान
बाबूलाल मरांडी के विरोधी उन्हें भाजपा का हितैषी बताते हैं तो अक्सर भाजपा खेमे में यह चर्चा होती है कि वे वापस आ सकते हैं। इस सवाल पर बाबूलाल मरांडी हल्का मुस्कराते हैं। कहते हैं- मैं अफवाह पर ध्यान नहीं देता। अपना काम करता हूं। जो ऐसी बातें करते हैं वे अपना काम करते हैं। मुङो इससे कोई लेनादेना नहीं है।

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