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    बाप की मौत के 32 साल बाद ‘पैदा’ हुआ बेटा, जानिए

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 21 Jul 2017 03:56 PM (IST)

    कल्पना अपने पिता की मौत के बत्तीस साल बाद हिस्सा लेने को ‘भाई’ के अवतरित होने से परेशान है।

    बाप की मौत के 32 साल बाद ‘पैदा’ हुआ बेटा, जानिए

    मृत्युंजय पाठक, धनबाद। बाप की मौत के बत्तीस साल बाद एकाएक कहीं से बेटा ‘पैदा’ हो गया है। मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में यह मामला उठने पर बेटे की पैदाइश की सत्यता जांचने में पांच महीने से लगे धनबाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं।

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    दरअसल, इस दिलचस्प कहानी की शुरुआत 9 अप्रैल, 2010 को भवन प्रमंडल, धनबाद में चपरासी के पद पर कार्यरत चौरस देवी (जीपीएफ नंबर-डीएनबी-पीडब्ल्यूबी/22) की मृत्यु के साथ होती है। चौरस देवी के पति विश्वनाथ महतो भवन प्रमंडल में कार्यरत थे। 9 जून, 1980 को उनकी मृत्यु के बाद 1981 में अनुकंपा पर चौरस देवी की नियुक्ति हुई थी।

    चौरस देवी की भी जब मृत्यु हो गई तो उनकी पुत्री कल्पना देवी (पति राजेश कुमार वर्मा) ने अनुकंपा पर नियोजन और जीपीएफ की राशि प्राप्त करने के लिए भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता के पास दावा किया। लेकिन इसी बीच चौरस देवी का बेटा होने का दावा करते हुए धनबाद के बिशुनपुर निवासी सतीश कुमार प्रसाद एकाएक अवतरित हो गया।

    उसने भी चौरस देवी का जीपीएफ लेने के लिए 23 फरवरी, 2012 को कार्यपालक अभियंता के पास दावा ठोक दिया। हालांकि चौरस की सेवा पुस्तिका में उत्तराधिकारी के रूप में सतीश का नाम न होकर कल्पना का ही नाम है। ऐसे में उत्तराधिकारी के रूप में दावा कल्पना का ही बनता है। लेकिन सतीश की दावेदारी के कारण पांच साल से भवन प्रमंडल यह तय नहीं कर पा रहा कि वह चौरस का बेटा है या नहीं?

    जानिए, क्यों उलझा मामला

    बताते हैं कि विश्वनाथ की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी चौरस देवी रामप्रवेश ठाकुर नाम के पुलिसकर्मी के साथ रहने लगी थी। पेंच यह है कि सतीश ने खुद को चौरस का पुत्र बताते हुए मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र धनबाद के नोडल पदाधिकारी एडीएम शशिप्रकाश झा के समक्ष उपस्थित होकर का दावा तो किया मगर पिता कौन है, इस पर वह चुप है।

    चौरस का जिस श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, वहां के कागजात भी दिखाए। समर्थन में कुछ साक्ष्य भी दिए। जांच के क्रम में रामप्रवेश ठाकुर और उसके पुत्र सतीश को एक साथ बुलाया गया था। मगर दोनों ने एक-दूसरे को बाप-बेटा मानने से इन्कार कर दिया। अब तक के जांच के आधार पर झा बताते हैं कि सतीश के दावे में दम नहीं है। वह विश्वनाथ महतो और चौरस का पुत्र नहीं है। आखिर वह किसका पुत्र है? इसका ठोस उत्तर नहीं मिल पा रहा है।

    .. और बेटी पहुंची मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र

    पिता की मौत के बत्तीस साल बाद हिस्सा लेने को ‘भाई’ के अवतरित होने से परेशान कल्पना ने 8 फरवरी, 20 17 को मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र (ग्रिवांस नंबर-2017/5551 दिनांक 2/8/17) में गुहार लगाई। केंद्र के निर्देश पर प्रशासन यह पता लगाने में जुटा है कि विश्वनाथ महतो की मौत के बत्तीस साल बाद सतीश कैसे बेटे के रूप में सामने आया? अधिकारी अब जांच के बाद ही कुछ बताने की स्थिति में होंगे।

    गलत दावा करने वाले पर प्राथमिकी 

    चौरस देवी का उत्तराधिकारी तय करने के लिए भवन प्रमंडल धनबाद के कार्यपालक अभियंता से स्पष्ट रिपोर्ट की मांग की गई है। सेवा पुस्तिका में कल्पना का नाम होने पर उत्तराधिकारी के रूप में उसी का दावा बनता है। साथ ही गलत दावा करने वाले पर प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है। इस मामले में जरूरी होने पर सतीश की डीएनए जांच भी कराई जा सकती है।

    -शशिप्रकाश झा, एडीएम, धनबाद।