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    फर्जी दस्तखत और पिछली तिथि पर ट्रांसफर होती रही आदिवासी जमीन

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    Updated: Sun, 06 Mar 2016 01:30 AM (IST)

    प्रदीप सिंह, रांची : 1999 के बाद मुआवजा देकर हड़पी गई आदिवासियों की जमीन वापस कराने की राज्य सरकार की

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    प्रदीप सिंह, रांची : 1999 के बाद मुआवजा देकर हड़पी गई आदिवासियों की जमीन वापस कराने की राज्य सरकार की कवायद के बीच ऐसे सैकड़ों मामले हैं जब संबंधित एसएआर (विशेष विनियमन पदाधिकारी) पदाधिकारियों ने फर्जी दस्तखत और पिछली तिथि में जमीन का हस्तांतरण कर बड़े पैमाने पर हेराफेरी की। रांची के तत्कालीन एसएआर पदाधिकारी जेवियर हेरेंज (अब निलंबित) ने 260 ऐसे मामलों को अपर समाहर्ता को भेजा जिसमें 89 वादों को छोड़ अन्य पर सुनवाई चल रही है। राज्य सरकार ने इनके खिलाफ 89 मामलों की जांच की है। ऐसे मामलों को अब राज्य सरकार के स्तर से उपायुक्त के न्यायालय में अपील दायर करने की कार्रवाई की जा रही है। इसमें तत्कालीन पेशकार मोनिका एग्नेस कच्छप को भी निलंबित किया गया है। आरोप है कि उन्होंने तमाम अभिलेखों का रखरखाव ठीक तरीके से नहीं किया। एक अन्य एसएआर पदाधिकारी अनूप किशोर शरण द्वारा पिछली तिथि (बैकडेट) से 19 अभिलेख भेजने का आरोप है। शरण फिलहाल निलंबित हैं। राज्य सरकार ने उनके स्तर से बैकडेट से अभिलेख भेजने के मामले की जांच आरंभ की है।

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    फिलहाल तीन तत्कालीन विशेष विनियमन पदाधिकारियों अनूप किशोर शरण, मतियस विजय टोप्पो और जेवियर हेरेंज द्वारा पारित आदेश के खिलाफ उपायुक्त के न्यायालय में 350 मामलों में राज्य सरकार ने अपील दायर की है। इसमें 83 मामलों पर निर्णय लेते हुए जमीन वापस करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। फर्जीवाड़ा और नियमों का उल्लंघन कर जमीन हस्तांतरण करने वाले इन तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्यवाही को फिलहाल अंतिम रूप दिया जा रहा है।

    17,213 एकड़ जमीन वापस करने का हो चुका है फैसला

    झारखंड में अवैध ढंग से हस्तांतरित कराई गई आदिवासियों की जमीन की सुनवाई और सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर हस्तातरित जमीन को वापस दिलाने के लिए एसएआर कोर्ट की व्यवस्था है। अबतक अधिनियमों का उल्लंघन कर 21,173 एकड़ जमीन हस्तातरित करने के कुल 21,955 केस हो चुके हैं। इसमें से 4745 मामले लंबित हैं। इसमें 3879 एकड़ जमीन का मामला जुड़ा है। अबतक 17,213 एकड़ जमीन वापस करने पर फैसला सुनाया जा चुका है।

    क्या है मामला

    1969 में अविभाजित बिहार सरकार ने शिड्यूल एरिया रेगुलेशन एक्ट बनाकर एसएआर कोर्ट की व्यवस्था की। लेकिन इसके लागू होने के 30 वर्ष की कालावधि में (1999 तक) इस नियम की गलत व्याख्या कर आदिवासियों की जमीन का अवैध हस्तातरण बड़े पैमाने पर हुआ। यह सिलसिला अलग राज्य बनने के बाद भी जारी रहा। इसे सुलझाने का प्रयास अब सरकार कर रही है।

    राज्य सरकार आदिवासी जमीन के अवैध हस्तांतरण के मामलों पर संवेदनशील है। ऐसे तमाम मामलों में टास्क फोर्स बनाकर कार्रवाई की जा सकती है। विभिन्न मामलों की जांच भी चल रही है। सरकार पूरे मामले पर कार्रवाई करेगी।

    अमर कुमार बाउरी

    मंत्री, भूमि सुधार एवं राजस्व

    (विस में जमीन के अवैध हस्तांतरण से संबंधित प्रश्न का उत्तर देने के क्रम में)