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    प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के वर्षो से पड़े हैं करोड़ों रुपए

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    Updated: Fri, 06 Jun 2014 01:53 AM (IST)

    रांची : केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए दिए गए करोड़ों रुपये खर्च नहीं हो पाए हैं। यह राशि दस वर्षो से अधिक समय से जिलों में पड़ी हुई है। आश्चर्य की बात यह कि राज्य सरकार को इसकी कोई जानकारी नहीं है। इस कारण जिलों को दी गई राशि की आजतक हिसाब-किताब नहीं लिया गया। इस योजना के तहत 2001-02, 2002-03 तथा 2003-04 के लिए एकमुश्त लगभग 26 करोड़ रुपये बाइस जिलों को उपलब्ध कराए गए थे।

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    इस मामले का खुलासा हाल ही में जामताड़ा के सिविल सर्जन के उस पत्र से हुआ, जिसमें खर्च नहीं हुई राशि को लेकर स्वास्थ्य विभाग से दिशा-निर्देश मांगा गया है। पत्र में कहा गया है कि इस योजना के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में दवा, उपस्कर आदि हेतु 19,79,598 रुपये उपलब्ध कराए गए थे, जिनमें 4,94,574 रुपये अभी तक खर्च नहीं हो पाए हैं। यह राशि खर्च नहीं हो पाने से महालेखाकार को उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं सौंपा जा सका है। इसी तरह दुमका को अग्रिम के रूप में मिली राशि में लगभग 48 लाख रुपये खर्च नहीं हो पाए हैं। जामताड़ा के सिविल सर्जन के पत्र से यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि अन्य जिलों में भी बड़ी राशि अभी तक खर्च नहीं हो पाई है। फिलहाल विभाग इस योजना में दी गई राशि और खर्च की अद्यतन स्थिति की जांच में जुट गया है।

    इनसेट

    असाध्य रोग चिकित्सा सहायता योजना में भी पड़े हुए हैं करोड़ों

    रांची : केंद्र सरकार द्वार असाध्य रोग चिकित्सा सहायता योजना के तहत 2004-05 तथा 2005-06 में दिए गए दो-दो करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए हैं। उल्लेखनीय है कि इस राशि के खर्च नहीं होने तथा इसका उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने से केंद्र सरकार ने अगले वर्षो से राशि देने से ही इन्कार कर दिया। यह अलग बात है कि वर्षो पूर्व स्वास्थ्य विभाग इस मामले को भूलकर अपने राज्य बजट से ही योजना में राशि का प्रावधान करता रहा। दो साल पूर्व तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव के. विद्यासागर ने इस राशि की पड़ताल भी की थी, लेकिन बाद में मामला दब गया।

    जिनके लिए अस्पतालों को मिली थी राशि

    दवा-उपस्कर, जलापूर्ति, शौचालय, एक्सरे फिल्म, डिलीवरी डिस्पोजल किट, उपकरणों की मरम्मत आदि।