पलामू के बनते बिगड़ते इतिहास का गवाह है शाहपुर किला
चैनपुर, पलामू : कोयल नदी के सुरम्य तट पर अवस्थित शाहपुर किला पलामू इतिहास के सैकड़ों वर्ष की गाथाओं को समेटे अविचल रूप से खड़ा है। यह इतिहास के 250 वर्षो के कालखंडों का मूक साक्षी बन चेरो साम्राज्य के वैभवशाली इतिहास का स्मरण दिलाता है। इतिहास के पन्नों में किला निर्माण के समय का स्पष्ट विवरण नहीं मिलता। बताया जाता है कि 1765-70 के आसपास किले का निर्माण चेरोवंशीय राजा गोपाल राय ने करवाया था। चेरो सत्ता के अवसान काल में पलामू का साम्राज्य यहीं से संचालित यहीं से संचालित होने की बात इतिहासकारों ने कही है। 21 मार्च 1771 को पलामू किला अंग्रेजों के नियंत्रनाधीन हो जाने के बाद वर्षो तक शाहपुर किला में ही राजा का निवास था। बताया जाता है कि पलामू किला से शाहपुर किला तक सुरंग बना हुआ था। किले से कायल नदी, मेदिनीनगर शहर समेत मनोहारी प्राकृतिक दृश्य दृष्टिगोचर होता है। फिलहाल शाहपुर का यह बदहाल चलानी किला अपनी दुर्दशा पर आठ आठ आंसू रोता नजर आता है।
दरकती दीवारें, गिरते छत व भग्न होती इमारत चेरोवंश राजाओं के सुशासन की मूक दास्तां बयां कर रहा है। एक-डेढ वर्ष पूर्व किले को पुरातात्विक घोषित किए जाने की खबरें भी आई। बावजूद स्थिति यथावत है।
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अंतिम चेरो राजा की लगी मूर्ति
चैनपुर, पलामू : शाहपुर किला परिसर में आयोजित लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान अंतिम चेरोवंशीय राजा चुरामन राम व रानी चंद्रावती की मूर्ति किला परिसर में स्थापित की गई। बुधवार को पश्चिम बंगाल के एडीजीपी चेरो कुल के गंगेश्वर सिंह की मां परइया देवी ने मूर्ति का अनावरण किया। किला परिसर में पूर्व से ही लोकप्रिय राजा मेदिनीराय की मूर्ति स्थापित है। मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने मूर्तियों पर पुष्प अर्पण कर पूर्वजों को याद किया।