अचार से निर्धन व जरूरतमंद महिलाओं की संवार रहे हैं जिंदगी
अमलेश की समाज के जरूरतमंद लोगों, खासकर महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ करने की हसरत बचपन से ही है।

जमशेदपुर, [ विश्वजीत भट्ट ] । किसी की जिंदगी संवारने के रास्ते तो हजार हैं, बस जरूरत है अलग सोच और किसी जरूरतमंद के लिए कुछ करने के जज्बे की। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष अमलेश झा में उपरोक्त दोनों चीजें हैं। वे अचार से निर्धन व जरूरतमंद महिलाओं की जिंदगी संवार रहे हैं। अमलेश झा केनेलाइट फैसलिटीज मैनेजमेंट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं।
उनकी कंपनी स्टील व पावर सेक्टर की बड़ी कंपनियों की कैंटीन व गेस्ट हाउस मैनेजमेंट एंड मेंटेनेंस के साथ ही प्लांट हाउसकीपिंग का काम भी देखती है। इसके अलावा साकची में केनेलाइट होटल भी है। कैंटीन, गेस्ट हाउस व होटल मिलाकर कंपनी को साल में लगभग दो क्विंटल अचार की जरूरत पड़ती है। लगभग पांच साल से ये काम कर रहे अमलेश पहले बाजार से अचार खरीद लेते थे। आस-पास की कुछ महिलाओं की दयनीय स्थिति और उनके हुनर को देखकर अमलेश के मन में ये ख्याल आया कि क्यों न इन महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जाए। फिर क्या था, उन्होंने 20 महिलाओं का एक दल बनाया।
इनको अपने खर्च पर बाकायदा अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अमलेश ने इन महिलाओं को अग्रिम राशि देकर अचार का बड़ा ऑर्डर दिया। महिलाओं ने पूरे मनोयोग से अचार तैयार किया। अमलेश की कंपनी द्वारा संचालित कैंटीन, गेस्ट हाउस व होटल में खाने वालों को अचार खूब पसंद आने लगा। फिर क्या था, सिलसिला चल निकला। अब महिलाएं अचार बना रही हैं और अमलेश झा की कंपनी को इसकी आपूर्ति कर रही हैं लेकिन, अब भी मांग और आपूर्ति के बीच में बहुत अंतर है।
अमलेश बताते हैं कि अभी महिलाएं जरूरत के हिसाब से अचार नहीं बना पा रही हैं। इसलिए इस प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने की योजना है। महिलाओं के कुछ और दल तैयार किए जाएंगे। उन्हें बिना किसी खर्च के अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिर उनसे अचार खरीद कर उन्हें रोजगार तो दिया ही जाएगा, उन्हें परिवार का संबल बनने में मदद की जाएगी। बकौल अमलेश अगले कुछ ही दिनों में 20-20 महिलाओं के पांच दलों को अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये सिलसिला चलता रहेगा। जब अचार का उत्पादन हमारी जरूरत से ज्यादा होने लगेगा तो हम महिलाओं द्वारा बनाए गए अचार को बाजार उपलब्ध कराने का भी पूरा इंतजाम करेंगे।
अमलेश बताते हैं कि वे 2009 में जमशेदपुर आए थे। समाज के जरूरतमंद लोगों, खासकर महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ करने की हसरत बचपन से ही है। जब खुद कुछ करने लगे तो इस ओर देने के लिए समय और पैसा दोनों का इंतजाम हुआ। अभी भी बहुत कुछ करने की इच्छा है। बहुत बड़ा तो नहीं, पर छोटी-छोटी योजनाओं के जरिए महिला सशक्तिकरण का यह अभियान जारी रहेगा ताकि उनका दिल अपनी हसरत पूरी होने की पुरसुकून खुशी महसूस करता रहे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।