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    सावधान! कहीं आप तो नहीं खा रहे प्लास्टिक वाला अंडा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 22 Apr 2017 02:46 AM (IST)

    संवाद सहयोगी, जमशेदपुर : कोलकाता और धनबाद में प्लास्टिक वाले अंडे की पुष्टि होने के बाद अब जम

    सावधान! कहीं आप तो नहीं खा रहे प्लास्टिक वाला अंडा

    संवाद सहयोगी, जमशेदपुर : कोलकाता और धनबाद में प्लास्टिक वाले अंडे की पुष्टि होने के बाद अब जमशेदपुर में भी इसकी ब्रिकी होने की खबरें आ रही हैं। कोई इसे चाइनीज अंडा बता रहा है तो कोई प्लास्टिक वाला कह रहा है। कुल मिलाकर चर्चा तेज हो गई है। लोग अंडा खाने से कतरा रहे हैं तो व्यापारी भी संशय में है।

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    बिष्टुपुर के एक व्यापारी का कहना है कि इससे पहले अक्टूबर 2016 में भी खबरें आई थीं कि बाजारों में नकली अंडे बिक रहे हैं, जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने अलर्ट भी जारी किया था। हालांकि, जमशेदपुर में उस वक्त अंडे का नमूना जब्त नहीं किया गया था लेकिन इस बार खाद्य विभाग गंभीर है। कई लोगों की शिकायत मिलने के बाद विभाग ने नमूना जब्त करने की योजना तैयार की है।

    साकची निवासी रमेश कुमार का कहना है कि इन अंडों को खाने से सेहत बनेगी तो नहीं, उल्टे बहुत नुकसान हो सकता है। साकची के अंडा के थोक कारोबारी मंटू बताते हैं कि आंध्र प्रदेश, बंगाल व रायपुर से शहर में प्रति सप्ताह दो से तीन ट्रक अंडा आता है। एक ट्रक में लगभग सवा लाख अंडा होता है और एक ट्रक माल लाने में तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। इस हिसाब से प्रति सप्ताह लगभग 12 लाख रुपये का कारोबार होता है।

    गर्मी के कारण और प्लास्टिक वाले अंडे की चर्चा तेज होने से कारोबार में भी करीब 40 फीसद की गिरावट आई है। बिष्टुपुर में तीन, साकची में दो और शहर के अन्य इलाकों में अंडे के थोक व्यापारी हैं।

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    कैसे बनता है नकली अंडा

    नकली अंडे के बाहरी हिस्से को बनाने के लिए जिप्सम चूर्ण, कैल्सियम कार्बोनेट और तेल युक्त मोम का इस्तेमाल होता है। कैल्सियम की मात्रा उतनी ही होती है, जितना एक मनुष्य खा सकता है। इसके अंदर वाला हिस्सा जिलेटिन, सोडियम एल्गिनाइट और कैल्सियम की मदद से बनाया जाता है। इसका रंग बिल्कुल अंडे की तरह होता है, इसलिए इसकी पहचान कर पाना कठिन है।

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    बनाने की विधि

    गरम गुनगुने उचित पानी में सोडियम एल्गिनाइट मिलाया जाता है। इसके बाद जिलेटिन बेंजाइक अम्ल एल्यूम और कुछ दूसरे रसायनों के साथ मिलाकर अंडे का सफेद हिस्सा तैयार किया जाता है। उसके बाद मिश्रण में कैल्शियम क्लोराइड डालकर उसे अंड़ों के आकर में ढाल दिया जाता है। कृत्रिम अंडा केवल रासायनिक पदार्थो से तैयार होता है, जो सेहत के लिए बहुत खतरनाक है।

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    पहचानें असली और नकली का अंतर

    - देखने में असली और नकली अंडे एक जैसे दिखते हैं। देखकर इन दोनों के बीच का अंतर बता पाना बहुत मुश्किल है।

    - नकली अंडे का छिलका थोड़ा सख्त होता है। यह असली अंडे की तुलना में थोड़ा खुरदुरा भी होता है। इसके अलावा छिलके के अंदर एक रबरनुमा लाइनिंग भी होती है।

    - अगर आप एक नकली अंडे को हल्के से थपथपाते हैं, तो आपको जो आवाज सुनाई देगी, वह असली अंडे की तुलना में थोड़ी कम करारी होगी।

    - अगर आप अंडा तोड़कर इसे कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं, तो अंडे का सफेद और पीला द्रव्य कुछ समय में एक-दूसरे के साथ मिल जाएंगे। ऐसा इसलिए कि वे दोनों एक ही पदार्थ से बने होते हैं।

    - नकली अंडे पक जाने पर भी पानी में नहीं डूबते हैं। अगर आप इन्हें कई दिनों तक बाहर खुले में भी छोड़ दें, तब भी इनमें ना तो मक्खियां लगेंगी और ना ही चीटिंया ही इनकी और आकर्षित होंगी।

    - जब आप नकली अंडे को तलते हैं, तो बिना छुए ही अंडे की जर्दी (पीला हिस्सा) फैल जाता है। असली अंडे को तलते हैं, तो इसका पीला हिस्सा को जबतक आप नहीं छुए, तबतक यह नहीं फैलता है।

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    कोट ::

    धनबाद में अंडे के अंदर प्लास्टिक मिलने का मामला सामने आया है जोकि गंभीर विषय है। इसे लेकर चर्चा भी हुई है। मैं 24 अप्रैल तक छुंट्टी में हूं। वापस लौटते ही इसपर उचित कार्रवाई की जाएगी।

    - गुलाब लकड़ा, फूड इंस्पेक्टर

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    नकली अंडा बेहद हानिकारक रसायनों से बनता है जिससे शरीर में इंफेक्शन, लीवर, किडनी सहित अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उचित कार्रवाई होनी चाहिए।

    - डॉ. बलराम झा, फिजिशियन।

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