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विश्व खेल फलक पर दिलायी लौहनगरी को पहचान

By Edited By: Published: Sun, 18 May 2014 01:49 AM (IST)Updated: Sun, 18 May 2014 01:49 AM (IST)
विश्व खेल फलक पर दिलायी लौहनगरी को पहचान

जितेन्द्र सिंह, जमशेदपुर : टाटा स्टील के पूर्व प्रबंध निदेशक रूसी मोदी की असामयिक निधन से खेल जगत हतप्रभ है। विश्व खेल फलक पर जमशेदपुर को अमिट पहचान दिलाने में रूसी मोदी की भूमिका अहम रही। जुनून की हद तक खेल से लगाव रखने वाले रूसी मोदी ने न सिर्फ जेआरडी टाटा स्पो‌र्ट्स काम्प्लेक्स का निर्माण करवाया, बल्कि कीनन स्टेडियम को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

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चार बार रहे जेएससीए के अध्यक्ष

1965 में रूसी मोदी पहली बार झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (पूर्ववर्ती बिहार क्रिकेट एसोसिएशन) के अध्यक्ष बने। वह जेएससीए के पहले अध्यक्ष थे, जिन्होंने लगातार चार बार इस पद को सुशोभित किया। पहली बार 1953-54 में अध्यक्ष बने। उसके बाद 1966 से लेकर 1971 तक अध्यक्ष रहे। बात 1961 की है। तब जेएससीए का अध्यक्ष टाटा स्टील का कोई अधिकारी ही बनता था। उस समय आर. बोयर अध्यक्ष थे। विजय बोस 1935 से ही सचिव पद पर आसीन थे। पिछले पांच वर्षो से वार्षिक आम सभा (एजीएम) नहीं हुई थी। सदस्यों ने इसकी शिकायत रूसी मोदी से की। मोदी ने जल्द ही अपने अधीनस्थों को एक बेहतर सचिव खोजने को कहा। 1961 से 1964 तक सचिव पद खाली रहा। फिर अधीनस्थों ने सुटे बनर्जी का नाम सुझाया, लेकिन मोदी ने असहमति जता दी। एनएम नौरोजी व एसके दत्ता का भी नाम सुझाया गया, लेकिन मोदी की हरी झंडी नहीं मिल सकी। अंतत: 1965 में पेरू दत्त को सचिव बनाया गया। उसी साल बीसीए की आम बैठक बुलाई गई।

बिहार क्रिकेट को दिलाई अलग पहचान

रूसी मोदी ने बिहार क्रिकेट को अलग पहचान दिलाई। जब रणजी टीम के लिए खिलाड़ियों का अभाव था, तब मोदी ने दिल्ली से खिलाड़ियों को बुलाया और उन्हें बिहार से खेलने के एवज में नौकरी दी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रमेश सक्सेना, रणधीर सिंह, दलजीत सिंह, प्रसन्ना, सलीम दुर्रानी, आनंद शुक्ला, राकेश शुक्ला, हरि गिडवानी जैसे लब्ध प्रतिष्ठित क्रिकेटरों ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया।

टाटा फुटबॉल अकादमी की स्थापना की

रूसी मोदी दूरद्रष्टा भी थे। जिस समय भारत फुटबॉल का ककहरा सीख रहा था, तब मोदी ने फुटबॉलरों की नयी पौध खड़ा करने के लिए 1987 में टाटा फुटबॉल अकादमी की स्थापना की। उन्होंने पीके बनर्जी, चुन्नी गोस्वामी जैसे विश्व स्तरीय फुटबॉलरों को टाटा फुटबॉल अकादमी का निदेशक बनाया। भारतीय फुटबॉल की नर्सरी कहे जाने वाले टाटा फुटबॉल अकादमी आज देश में जाना पहचाना नाम है।

कीनन व जेआरडी का कराया निर्माण

हालांकि कीनन स्टेडियम का निर्माण 1933 में ही हो गई थी। लेकिन अस्सी के दशक में रूसी मोदी ने इसे पुनरुद्धार करवाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनवाया। यह उनके नेतृत्व क्षमता का कमाल ही था कि अस्सी के दशक में पहली बार पूर्वी क्षेत्र बनाम वेस्ट इंडीज मैच का आयोजन किया गया। 1984 में पहली बार भारत-वेस्ट इंडीज मैच का आयोजन कीनन में किया गया।

रूसी मोदी एक ऐसे स्टेडियम का निर्माण करवाना चाहते थे, जहां लौहनगरी के बच्चे हर खेल खेल सकें। इसके लिए जेआरडी टाटा स्पो‌र्ट्स काम्प्लेक्स का निर्माण करवाया।

जमशेदपुर स्पोर्टिग एसोसिएशन के भी रहे अध्यक्ष

जमशेदपुर स्पोर्टिग एसोसिएशन (जेएसए) की स्थापना में रूसी मोदी का अहम योगदान रहा। जेएसए का मूल मकसद फुटबॉल, वॉलीबॉल और हॉकी का विकास करना है। रूसी मोदी के कार्यकाल तक जेएसए ऊंचाई पर रहा। धीरे-धीरे वॉलीबॉल व हॉकी लीग खत्म हो गया। आज जेएसए सिर्फ फुटबॉल लीग ही कराता है।


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