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    पेलोडर से डोजर तक के उड़े चिथड़े

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    Updated: Sun, 01 Jan 2017 01:00 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, गोड्डा : राजमहल परियोजना में हुए हादसे में दबे मशीनों के चिथरे उड़ गए हैं। कोई भी मश ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, गोड्डा : राजमहल परियोजना में हुए हादसे में दबे मशीनों के चिथरे उड़ गए हैं। कोई भी मशीन अब काम लायक नहीं है। इससे आउटसोर्सिंग कंपनी महालक्ष्मी को करोड़ों का नुकसान हुआ है। पेलोडर, डंपर, ट्रीपर व अन्य मशीनें कई हिस्सों में टूटकर बिखर गयी हैं। कई मशीनें भू स्खलन के समय 200 मीटर नीचे खाई में जा गिरी हैं। सेकेंड शिफ्ट में तैनात मशीन ऑपरेटर वारिस अंसारी ने बताया कि घटना के समय लगभग आधा दर्जन मशीन व 14 गाड़ी खड़ी थी। कहा कि आम तौर पर एक साइट पर 40 गाड़ी, नौ मशीन, छह डोजर व दो ग्रेडर रहती है। घटना के दौरान अन्य वाहन रास्ते में थी जबकि, एक मशीन खराब होने के कारण वर्कशॉप में पड़ी हुई थी। बताया कि मिट्टी के अंदर दबी ज्यादातर मशीन व वाहन अब काम लायक नहीं रह गए हैं। पेलोडर के चैन व चक्के अलग-अलग हो गए हैं। महालक्ष्मी आउटसोर्सिंग कंपनी का काम देख रहे एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी की प्राथमिकता शवों को मलवे से बाहर निकालने की है। जहां तक मशीनों की बात है तो लगभग सभी मशीनें पूरी तरह टूट चुकी हैं। उन्हें दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता। इससे कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

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