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    काठीकुंड घटना का इशारा समझें : डॉ. मरांडी

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    Updated: Mon, 08 Jul 2013 01:00 AM (IST)

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    संस, ललमटिया : आदिवासियों से संबंध रखनेवाली झारखंड सोसाइटी के महामंत्री डॉ. चा‌र्ल्स मरांडी की मानें तो पाकुड़ एसपी पर हुए हमले की घटना कहीं और इशारा करती है। कहा कि आदिवासियों एवं गरीबों को दबाकर समाज का विकास नहीं किया जा सकता। उन्होंने घटना पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि क्षेत्र के आदिवासी नक्सलियों के साथ हैं और उनमें सरकारी योजनाओं को लेकर आक्रोश है।

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    डॉ. मरांडी ने बताया कि घटना के महज दो सप्ताह पूर्व केन्द्र सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्री किशोर चन्द्र देव ने यह माना था कि झारखंड के आदिवासियों में सरकारी योजनाओं और खनन कार्य में चल रहे अनियमितता को लेकर बेहद आक्रोश है। इस संबंध में मंत्री ने प्रधानमंत्री सहित कांग्रेस के आला नेताओं सोनिया व राहुल को पत्र भी लिखा था। पत्र में झारखंड में गैर कानूनी तरीके से चल रहे खनन पर रोक लगाने की बात कही थी। मंत्री ने संविधान का हवाला देकर आदिवासियों के अधिकारों के हनन का आरोप भी लगाया तथा सारंडा इलाके का जिक्र भी किया है। काठीकुंड की घटना के बावत बताया कि अमरापाड़ा में पंचवारा कोलयरी का कोयला पंजाब भेजा जा रहा है और इसका विरोध कर रहे आदिवासियों को मारापीटा जा रहा है। सारी जानकारी केन्द्र सरकार को है फिर भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गयी। नतीजतन घटना घटी। अधिकांश आबादी गरीबी रेखा से नीचे तथा महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। आदिवासियों को खत्म करने की साजिश की जा रही है। झारखंड के नेताओं से गुहार लगायी है कि राज्य के आदिवासियों से जल, जंगल, जमीन को न छीना जाए। सीएनटी, एसपीटी, पेसा, पांचवी अनुसूची, फोरेस्ट लैंड राइट्स एक्ट 2006 को प्रभावशाली बनाया जाए।

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