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    गढ़वा में एंबुलेस के लिए तरसती रही जनजातीय युवक की लाश

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Tue, 09 May 2017 09:23 AM (IST)

    बचऊ कोरबा को अपने बेटे का शव घर ले जाने के लिए अस्पताल में दो घंटे कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

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    गढ़वा में एंबुलेस के लिए तरसती रही जनजातीय युवक की लाश

    जागरण संवाददाता, नगर ऊंटारी (गढ़वा)। स्वास्थ्य मंत्री के इलाके में ही चिकित्सा व्यवस्था बेहाल है। ताजा वाकया राज्य में विलुप्तप्राय कोरबा जनजाति के एक युवक 30 वर्षीय कन्हाई कोरबा की मौत से जुड़ा है। धुरकी निवासी बचऊ कोरवा के 30 वर्षीय पुत्र कन्हाई कोरवा की सोमवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई। सुबह एक शादी समारोह से लौटने के बाद उसे उल्टी हो रही थी। परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धुरकी ले गए, लेकिन वहां कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। इस कारण उसका इलाज नहीं हो सका, हालत बिगड़ती ही जा रही थी।

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    अस्पताल में उपस्थित चिकित्साकर्मियों ने उसका प्राथमिक उपचार करने के बाद सदर अस्पताल गढ़वा रेफर कर दिया। धुरकी अस्पताल के एंबुलेंस से उसे गढ़वा ले जाया जा रहा था, लेकिन गढ़वा पहुंचने से पहले रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। कन्हाई की मौत के बाद एंबुलेंस चालक उसे घर या गढ़वा सदर अस्पताल ले जाने के बजाय नगर ऊंटारी अनुमंडलीय अस्पताल के गेट पर ही शव को उतारकर भाग खड़ा हुआ। इस बीच कन्हाई के पिता बचऊ कोरवा और पत्नी किरण देवी एंबुलेंस चालक से लाश घर पहुंचाने की काफी विनती करती रहे, लेकिन चालक का दिल नहीं पसीजा।

    उधर अस्पताल के चिकित्सक ने भी बगैर जांच के ही उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी इंट्री तक अस्पताल में नहीं हुई। महिला चिकित्सक सुचित्रा कुमारी ने बचऊ की गरीबी को देखकर शव ले जाने के लिए 200 रुपये का आर्थिक सहयोग किया, लेकिन इतने पैसे में कोई भी वाहन लाश ले जाने के लिए तैयार नहीं था। थक-हारकर वह भी बेटे की लाश के पास बैठकर रोने लगे। बचऊ कोरबा को अपने बेटे का शव घर ले जाने के लिए अस्पताल में दो घंटे कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। अस्पताल आए कुछ लोगों की नजर शव के पास बैठकर रो रहे पिता व पत्नी पर पड़ी तो उन्होंने अस्पताल के इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए हंगामा किया। लोगों के हंगामे के बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया और एंबुलेंस से शव को घर भिजवाया। 

    क्या कहते हैं चिकित्साकर्मी चिकित्साकर्मियों के अनुसार कन्हाई फूडप्वाइजनिंग का शिकार था। उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया था। रेफर कागज में किसी भी चिकित्सक या चिकित्साकर्मी का न तो हस्ताक्षर था और न ही मर्ज की इंट्री था। उधर, ग्रामीणों का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धुरकी में दो चिकित्सक कार्यरत हैं, लेकिन नियमित रूप से कोई भी चिकित्सक नहीं रहते हैं। कोट यह बहुत गंभीर मामला है। इस मामले की जांच कर एंबुलेंस चालक पर कार्रवाई की जाएगी। 

    -डॉ. आर द्विवेदी, अनुमंडलीय चिकित्सा पदाधिकारी, नगर उंटारी।

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