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    बिन पगार ये गुरुजी कर रहे बच्चों के सपने साकार

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Tue, 05 Sep 2017 12:02 PM (IST)

    करीब 350 'गुरुजी' बिना पगार लिए स्वेच्छा से रोजाना स्कूलों में दो से तीन घंटे का समय दे रहे हैं।

    बिन पगार ये गुरुजी कर रहे बच्चों के सपने साकार

    आशीष सिंह, धनबाद। आज शिक्षक दिवस है। देश के कई हिस्सों में शिक्षकों की कमी बरकरार है। लेकिन झारखंड में इसका बेहतरीन हल निकलते हुए दिख रहा है। धनबाद के कुछ उत्साही अधिकारियों और आम लोगों ने यह हल निकाला है, जो अब पूरे राज्य में लागू होने जा रहा है।

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    शिक्षकों के घोर संकट से जूझ रहे यहां के हाई स्कूलों में 'शिक्षादान' का एक नायाब मॉडल अपनाया गया है। राज्य सरकार ने इस मॉडल को पूरे सूबे में लागू करने का निर्देश दिया है।

    दरअसल, यहां के हाई स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है। कई साल से नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं। खमियाजा स्कूली बच्चों को उठाना पड़ रहा है। इस वर्ष मैट्रिक का परीक्षा परिणाम बेहद खराब रहा। ऐसे में जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षादान पहल की शुरुआत की। इसके तहत कॉलेज प्राध्यापकों, सेवानिवृत्त शिक्षकों ,समाजसेवियों, शिक्षित बेरोजगारों, छात्र संगठनों, कोचिंग संचालकों और साक्षरता प्रेरकों को इस बात के लिए मनाया गया कि वे सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ समय निकालें। लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया।

    आज ऐसे करीब 350 'गुरुजी' इस काम में जुटे हुए हैं। ये धनबाद के कुल 171 हाई स्कूलों में से 70 में करीब 15 हजार बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। बिना कोई पगार लिए ये स्वेच्छा से रोजाना स्कूलों में दो से तीन घंटे का समय दे रहे हैं।

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    सोचा नहीं था कि शिक्षादान के लिए लोग इस तरह से आगे बढ़कर सामने आएंगे। यह अलग तरह की अनुभूति है। यह शिक्षा विभाग, स्कूलों और छात्रों सभी के हित में है।

    - डॉ.माधुरी कुमारी, जिला शिक्षाधिकारी, धनबाद।

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    विद्यालय में शिक्षकों की कमी देख यहां नियमित रूप से कक्षाएं ले रहा हूं। भले ही मैं एक निजी संस्थान चलाता हूं, लेकिन समाज के प्रति मेरा भी कुछ उत्तरदायित्व है। बस यही कर रहा हूं।

    - मनोज सिंह, एक निजी शिक्षण संस्थान के संचालक।

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    मैं अभी बेरोजगार हूं, काम की तलाश में हूं। सोचा, जब तक नौकरी नहीं नहीं मिल जाती, क्यों न बच्चों को ही पढ़ा लूं। मेरा ज्ञान बढ़ेगा और बच्चों का कोर्स भी पूरा हो जाएगा।

    - वकील कुमार बेदिया, स्नातक बेरोजगार

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    शिक्षक नहीं होने की वजह से हम सभी चिंतित थे कि अब क्या होगा। पढ़ाई पूरी भी हो पाएगी या नहीं। लेकिन शिक्षादान से उम्मीद बंधी है। जो भी शिक्षक यहां पढ़ाने आ रहे हैं वो बहुत अच्छी तरह से हर चीज समझाते हैं।

    - रकीबा खातून, छात्रा, कक्षा दसवीं एचई स्कूल

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    जबसे शिक्षादान के तहत हमें शिक्षक पढ़ाने आ रहे हैं, तब से कोर्स बहुत तेजी से पूरा हो रहा है। चीजें समझ में नहीं आने पर ये शिक्षक कई बार उन्?हें आसानी से समझाते हैं।

    - आरती कुमारी, छात्रा, कक्षा दसवीं एचई स्कूल

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