धर्म व संस्कृति का संगम लीला मंदिर
देवघर, जाका: देवघर के पंचकोशी क्षेत्र में अवस्थित है लीला मंदिर आश्रम। धर्म व संस्कृति का न सिर्फ केन्द्र रहा है बल्कि आजादी की लड़ाई में भी आश्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
देवघर-दुमका मार्ग स्थित कविलासपुर के पास अरुणाचल मिशन द्वारा स्थापित लीला आश्रम अपने दामन में धर्म व संस्कृति की कहानी को संजोये हुए है। इस आश्रम की स्थापना 1921 में ठाकुर दयानंद द्वारा की गयी थी। इन्हीं के द्वारा 1924 में त्रिकुटांचल आश्रम भी स्थापित किया गया था। महर्षि बालानंद के अंतरंग सखा दयानंद का जन्म वर्तमान बंगलादेश के सिलहट में हुआ था। बचपन में उन्हें धर्म व संस्कृति के प्रति बड़ा लगाव था और वे गोरांग महाप्रभु के संकीर्तन से काफी प्रभावित हुए। आगे चल कर उन्होंने एक स्वतंत्र मंडली बनवाई। असम के सिलचर में देवात्मा आश्रम की स्थापना की गई। अरुणाचल मिशन के नाम से संचालित आश्रम का उद्देश्य मानव मात्र को ईश्वर प्रेम प्राप्त कराने, देश को स्वाधीन करने एवं विश्व बंधुत्व स्थापित करना था।
इसी के तहत देवघर के कविलासपुर में लीलामंदिर आश्रम की स्थापना की गई। यह आश्रम न सिर्फ धर्म व संस्कृति का केन्द्र था बल्कि ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेकने के लिए कटिबद्ध था। आजादी के लड़ाई के दिनों में आश्रम की भूमिका से कोपभाजन का शिकार आश्रम का होना पड़ा फिर भी आजादी की लड़ाई का शंखनाद बंद नहीं हुआ। महर्षि दयानंद ने भविष्यवाणी की थी कि भारत की मुक्ति शीघ्र होगी और संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना होगी। अपने अवसान काल के 10 वर्ष पूर्व ही भारत स्वतंत्र हो गया और संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना भी हुई।
बता दें कि पुस्तक प्रेमी लेनिन की मृत्यु के पश्चात उनके सिरहाने जो पुस्तक मिली थी वह विश्व शांति के लिए दयानंद लिखित और लीला आश्रम मंदिर देवघर से प्रकाशित थी। लेनिन भी दयानंद द्वारा लिखित पुस्तक से काफी प्रभावित थे। वर्तमान समय में आश्रम को संजोने की जरूरत है।
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