युवक की मौत पर बवाल
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श्रीनगर, जागरण ब्यूरो : सुरक्षाबलों की गोलीबारी में बारामूला जिले के रफियाबाद के लेस्सर में हुई एक युवक की मौत के खिलाफ शनिवार को लोगों ने जमकर बवाल काटा। बारामूला-कुपवाड़ा राजमार्ग जाम कर सुरक्षाबलों और देश विरोधी नारे लगाए। इस दौरान पुलिस से हुई झड़प में करीब एक दर्जन प्रदर्शनकारी जख्मी हो गए। स्थिति का जायजा लेने पहुंचे गृहराज्यमंत्री नासिर असलम वानी और पुलिस व सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से धक्का-मुक्की करते हुए उन्हें दिवंगत के परिजनों से नहीं मिलने दिया। डंगीबच्छा पुलिस ने सेना के 32 आरआर के खिलाफ धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अलबत्ता, सेना ने संबंधित कंपनी कमांडर को भी हटा दिया है। चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने लोगों से क्षमा याचना करते हुए पूरे मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी व आंतरिक जांच का निर्देश जारी कर दिया है।
दिवंगत आशिक हुसैन के पिता अकबर अहमद राथर ने बताया कि उनका घर सड़क से सटा हुआ है। शुक्रवार रात करीब नौ बजे खाना खाने के बाद मेरी दोनों बेटियां शायस्ता व रुख्साना कमरे में जा रही थी। उन्होंने नीचे सड़क पर अंधेरे में कुछ लोगों को देख, शोर मचाया। उनकी आवाज सुनकर मेरा बेटा आशिक हुसैन बाहर निकला। उसी दौरान सड़क पर खडे़ लोगों ने गोली चला दी। गोली मेरे बेटे को लगी और वह वहीं पर गिर पड़ा। गोलियों की आवाज सुनकर हम सभी बाहर आ गए। इस दौरान आस-पड़ोस के लोग भी जमा हो गए। गोली चलाने वाले सुरक्षाकर्मियों ने हमें आगे नहीं जाने दिया। इस दौरान मेरा बेटा वहां पर तड़पकर चल बसा। उसे फौरन मदद मिलती तो वह बच सकता था।
घटना की खबर फैलते ही इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। लोग सड़कों पर उतर आए और नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि, पुलिस ने रात को ही त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी थी। रविवार सुबह फिर लेस्सर, रफियाबाद, वत्रगाम व आस-पास के इलाकों से लोग दिवंगत के शव के साथ बारामूला-कुपवाड़ा राजमार्ग पर जमा हो गए। लोगों ने इलाके से आरआर का कैंप हटाने और दोषी सैन्यकर्मियों को गिरफ्तार करने तक शव को दफनाने से इंकार कर दिया। परिजनों को ढाढस बंधाने के लिए गृहराज्यमंत्री नासिर असलम वानी, पुलिस महानिदेशक कुलदीप खुड्डा, जीओसी चिनार कोर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, आइजीपी कश्मीर एसएम सहाय भी पहुंच गए। उत्तेजित लोगों ने उनसे भी धक्का-मुक्की की। लोगों के गुस्से को देखते हुए गृहराज्यमंत्री व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वापस मुड़ना ही उचित समझा।
प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी शुरू कर दिया। लोगों को हिंसा पर उतारू देख पुलिसकर्मियों ने भी उन्हें खदेड़ने के लिए लाठियां भांजते हुए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
वहीं, प्रशासन ने वत्रगाम स्थित सैन्य शिविर में लेस्सर गांव के कुछ बडे़-बुजुर्गो के साथ बैठक की। इनमें दिवंगत के रिश्तेदार भी शामिल थे। बैठक में हसनैन व गृहराज्यमंत्री वानी ने पूरे मामले की जांच का यकीन दिलाया। उन्होंने मौत पर अफसोस जताते हुए कहा कि पूरे मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं। दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी। इसके बाद स्थिति सामान्य हुई और लोगों ने शव को दफनाया। देर शाम गए खबर लिखे जाने तक इलाके में तनाव था।
वहीं, रक्षा मंत्रालय ने भी स्वीकार किया कि 10 फरवरी की रात को लेस्सर गांव में आतंकियों की गतिविधियों की सूचना मिलते ही 32 आरआर के जवानों ने नाका लगाया था। जवान जहां खडे़ थे, उसके निकट के मकान में रहने वाले उन्हें देखकर घबरा गए। वहां अफरा-तफरी फैल गई। इसी दौरान एक जवान से दुर्घटनावश गोली चल गई।
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