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    अब 35ए पर आ सकता है उबाल

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    Updated: Fri, 14 Aug 2015 01:55 AM (IST)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : धारा 370 के बाद अब धारा 35ए पर राज्य की सियासत गरमा सकती है। जम्मू-कश्मीर मे

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : धारा 370 के बाद अब धारा 35ए पर राज्य की सियासत गरमा सकती है। जम्मू-कश्मीर में गैर रियासती नागरिकों को अचल संपत्ति की खरीद, राज्य विधानसभा में मताधिकार और राज्य सरकार की नौकरी के अधिकार से वंचित करने वाली संवैधानिक धारा 35ए को रद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 17 अगस्त को सुनवाई होनी है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को नोटिस मिला है, जिसमें उसे अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। सरकार जहां अपना पक्ष रखने की तैयारी में है, वहीं नेशनल कांफ्रेंस ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि याचिका राज्य सरकार की मिलीभगत से ही दायर हुई है। भाजपा का घोषित एजेंडा राज्य का विशेषाधिकार समाप्त करना है और मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने शुरू से ही राज्य की विशेष संवैधानिक स्थिति और स्वायत्तता को समाप्त करने की साजिश की है।

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    किससे संबंधित है एनजीओ : धारा 35ए को रद करने के लिए दिल्ली केएक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। माना जा रहा है कि इस एनजीओ का संबंध दिल्ली स्थित आरएसएस का थिंक टैंक कहे जाने वाले संगठन जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर (जेकेएससी) और भाजपा से है। हालांकि जेकेएससी के सचिव आशुतोष भटनागर ने इससे इन्कार करते हुए कहा कि हम भी इस धारा की वैधता को अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रहे थे। खैर, जिसने भी यह काम किया है, सही कदम उठाया है। यह धारा मानवाधिकारों के खिलाफ है। हमें उम्मीद थी कि सर्वाेच्च अदालत खुद ही इसका संज्ञान लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब कुछ लोगों ने अदालत में याचिका दायर की है। हमारे विधि विशेषज्ञ इन याचिकाकर्ताओं को सहयोग देने या फिर अलग एक याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं।

    धारा 35ए पर उठाए सवाल :

    कोर्ट में चुनौती देने वालों ने दावा किया है कि धारा 35ए राष्ट्रीय संविधान में 1954 में एक कार्यकारी आदेश के तहत शामिल की गई है। इसके लिए संसद को विश्वास में नहीं लिया गया था। यह धारा भारतीय संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाते हुए संविधान में शामिल की गई है।

    संविधान के मुताबिक रखेंगे पक्ष : विधि मंत्री

    राज्य के विधि एवं संसदीय मामलों के मंत्री सैयद बशारत बुखारी ने याचिका की पुष्टि करते हुए कहा कि हमें भी नोटिस मिला है। हम इस याचिका पर अपना पक्ष तैयार कर रहे हैं। फिलहाल, यह मामला रजिस्टरी के चरण में है। जब भी इस मामले की सुनवाई होगी, हम जम्मू-कश्मीर के संविधान के मुताबिक इसमें अपना पक्ष रखते हुए राज्य की विशिष्ट पहचान और संवैधानिक स्थिति को पूरी तरह यकीनी बनाएंगे।

    लोगों को बताएं क्या कर रही सरकार : नेकां

    नेशनल कांफ्रेंस के प्रांतीय प्रधान नासिर असलम वानी ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सर्वाेच्च न्यायालय में होनी है। राज्य के लोगों को पता होना चाहिए कि राज्य सरकार आखिर क्या करने जा रही है, वह राज्य के विशेषाधिकार को खत्म करने वाली इस याचिका को कैसे नाकाम बनाएगी।

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