कश्मीरी हिंदू श्राइन बिल फिर ठंडे बस्ते में
सतनाम सिंह, जम्मू
कश्मीरी हिंदुओं के मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों के बेहतर प्रबंधन, संरक्षण, प्रशासन व शासन का बिल फिर ठंडे बस्ते में चला गया। राज्य विधानसभा में बिल के स्वरूप पर भाजपा, नेशनल पैंथर्स पार्टी, जम्मू स्टेट मोर्चा के अलावा कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया, जबकि पीडीपी बिल के समर्थन में थी। बिल को लेकर हाउस विभाजित दिखाई दिया और मतभेद उभरकर सामने आ गए। शोर-शराबा हुआ। आरोप-प्रत्यारोप लगे। इसे देखते हुए स्पीकर ने बिल को ज्वाइंट सलेक्ट कमेटी को भेज मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
इस पर हंगामा करते हुए पीडीपी सहित पीडीएफ के विधायक हकीम मुहम्मद यासीन, माकपा के मुहम्मद युसूफ तारीगामी, निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने सदन से वाकआउट किया। भाजपा विधायकों ने कहा कि मंदिरों को जबरदस्ती कानून के दायरे में नहीं लाया जा सकता। कश्मीर में जिन मंदिरों में पूजा होती है, जो विभिन्न ट्रस्ट के अधीन हैं, उन्हें कैसे कानून के अधीन लाया जा सकता है। उन मंदिरों को अधीन लाना ठीक है जिनमें पूजा नहीं होती और जिनपर अतिक्रमण हो रहा है।
पीडीपी ने सरकार पर बरसते हुए कहा कि अगर बिल पास ही नहीं करना था तो फिर क्यों लाया गया। विधानसभा में विपक्ष की नेता व पीडीपी की प्रधान महबूबा मुफ्ती ने बिल पास न करने पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह कश्मीरी पंडितों के साथ मजाक किया गया है।
इससे पहले विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को कश्मीरी हिंदुओं के मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों के संरक्षण का बिल न्याय कानून एंव संसदीय मामलों के मंत्री मीर सैफउल्ला की तरफ से वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथर ने बिल पेश किया। पैंथर्स के हर्षदेव सिंह ने बिल पर अपना संशोधन पेश करते हुए कहा कि यह अफसोस की बात है कि सरकार बिल को पहले जैसे ही स्वरूप में ले आई है। इस पर सलेक्ट कमेटी में कोई आम सहमति नहीं बनी थी। उन्होंने कहा कि बिल का नाम हिंदू श्राइन होना चाहिए था, सरकार हिंदुओं को बांट रही है। उन्होंने उन अखाड़ों व मंदिरों का नाम लिया जो कश्मीर में सुचारू रूप से चल रहे हैं। भाजपा के विधायक जुगल किशोर ने कहा कि इस तरह के बिल को लाने की जरूरत ही नहीं थी। जिन मंदिरों में पूजा हो रही है उनमें विघन डालने की जरूरत नहीं है। हिंदू समाज के मंदिरों पर कब्जा करने की कोशिश कामयाब नहीं होने देंगे।
कांग्रेस, पैंथर्स, भाजपा, जस्मो की तरफ से विरोध करने और पीडीपी की तरफ से समर्थन करने से अजीब स्थिति बन गई। वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथर ने कहा कि बिल पर बहस के दौरान कुछ सदस्य जज्बाती हो गए थे। हमें जज्बात से नहीं बल्कि ठंडे दिमाग से काम करने की जरूरत है, जो हाउस की राय होगी उन्हें मंजूर है। उन्होंने कहा कि यह बिल मंत्रिमंडल में आया था, लेकिन कानून तो हाउस ने ही बनाना है। सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं है। सरकार का धार्मिक स्थलों में हस्तक्षेप का कोई इरादा नहीं है। सलेक्ट कमेटी में आम सहमति नहीं बनी। पता नहीं कौन सी ताकतें काम कर रही है। चार साल से बिल लटका हुआ है। पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीरी पंडित काफी लंबे अर्से से बिल का इंतजार कर रहे थे। बिल पास होने से शायद उन्हें कोई प्रोत्साहन मिलता और वे वापस जाने के लिए तैयार होते।
हाउस में मतभेद उभरने पर स्पीकर मुबारक गुल ने इसे संवदेनशील मामला करार देते हुए कहा कि इसमें हाउस विभाजित है, इसलिए बिल को ज्वाइंट सलेक्ट कमेटी को भेजा जाता है। सदन ने ध्वनि मत से बिल को ज्वाइंट सलेक्ट कमेटी को भेज दिया। पीडीपी ने शोर शराबा करते हुए वाकआउट कर दिया।
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