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सहेजकर रखें दोस्ती का रिश्ता

आपसी सम्मान,विश्वास, एक-दूसरे के प्रति वफादारी इन बातों को दोस्ती का पर्याय माना जाता है। इसलिए अपनी सहेली की भावनाओं का सम्मान करें। साथ ही उसकी पसंद और नापसंद का भी ख्याल रखें।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 06 Aug 2016 08:37 AM (IST)Updated: Sat, 06 Aug 2016 08:58 AM (IST)

मित्रता का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसमें उम्र, धर्म, पैसा कोई मायने नहीं रखता। वैसे यह कोई जरूरी नहीं है कि आपको दोस्त घर से दूर बाहर ही मिलेगा। यह घर-परिवार में, पड़ोस में और किसी रिश्तेदार के रूप में भी मिल सकता है। वैसे किसी ने सही कहा है कि मित्र बनाना कठिन नहीं होता, कठिन होता है उन्हें सहेज कर रखना। जानिए कुछ मूल मंत्र अच्छी मित्रता के
है वो सच्ची सहेली
सच्ची सहेली सपनों को साकार करने के लिए आपको हमेशा प्रेरित करती है, लेकिन जहां आप गलत होती है, वहां पर वह आत्मविश्वास के साथ सही सलाह देकर आपको खतरों के प्रति आगाह भी करती है। यदि आप कोई अतार्किक या गलत कदम उठाती हैं तो वह आपको ऐसा न करने की सलाह देती है। यही नहीं वह न केवल आपके सुख और उपलब्धियों में, बल्कि आपके दुखों और उतार-चढ़ावों में भी साथ देती है।
संख्या महत्व नहीं रखती
कुछ महिलाओं की यह सोच होती है कि जितनी ज्यादा सहेलियां हों, उतना ही अच्छा रहता है, पर यह सच नहीं है। अंग्रेजी की एक कहावत है ए फ्रेंड ऑफ एवरीबडी इज ए फ्रेंड ऑफ नोबडी अर्थात जो सभी का दोस्त होने का दावा करता है, वह किसी का दोस्त नहीं होता। इसलिए भले ही दो मित्र बनाएं, पर वो ऐसे हों, जो हमेशा आपका साथ देने को तैयार हों।
साथ में वक्त बिताएं
हाल ही में हुई एक रिसर्च के अनुसार सहेलियों के साथ वक्त बिताने से उदासी और डिप्रेशन की शिकायत नहीं होती। विशेषज्ञों के अनुसार दोस्तों के मध्य वक्त गुजारने से आपको मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तीनों स्तर पर राहत मिलती है।
अपनी ओर से पहल
आज की आपाधापीभरी जिंदगी में आप यह कह सकती हैं कि क्या करें काम और जिम्मेदारियों से फुर्सत ही नहीं मिलती। ऐसे में सहेलियों से मुलाकात कैसे संभव है। इस संदर्भ में एक बात जरूर याद रखें कि आपकी ही तरह आपकी सहेलियां भी व्यस्त होंगी। इसलिए इस बात का इंतजार न करें कि वे जब तक आपसे मिलने की पहल नहीं करतीं तो मैं क्यों करूं। अगर आप अपनी सहेली से मिलने की पहल करेंगी तो इससे आपका बड़प्पन कम नहीं होगा, बल्कि बढ़ेगा ही। कभी किसी सहेली को कॉफी पीने या लंच या डिनर पर आमंत्रित कर सकती हैं। इसी प्रकार हफ्ते-दस दिन में कम से कम एक बार फोन पर उनके हाल-चाल पूछ सकती हैं।
वादा निभाना
यदि आप अपनी सहेली से किसी भी तरह का कोई वादा करती हैं तो उसे हर हाल में निभाने की कोशिश करें। मान लीजिए कि आपने अपनी सहेली के साथ कहीं जाने का वादा किया है तो उसे अपनी सुविधानुसार जरूर पूरा करें।
लेन-देन से बचें
जिस प्रकार से यह बात सच है कि मित्रता में कोई दुरावछिपाव नहीं होना चाहिए। उसी प्रकार से यह बात भी उतनी ही महत्व रखती है कि जब तक बहुत जरूरी न हो आपस में पैसों के लेन-देन से बचना चाहिए। यदि पैसों का लेन-देन करना ही पड़े तो हिसाब बिल्कुल साफ-सुथरा होना चाहिए। पैसों के चक्कर में अक्सर मित्रता में दूरियां बढ़ जाती हैं। संबंध गणित नहीं है दोस्ती गणित से संचालित नहीं होती। आपने सहेली के लिए क्या किया और उसने आपके लिए क्या किया, इस बात के कोई मायने नहीं होते। कारण, कभीकभी ऐसा भी होता है कि जब आपको जरूरत होती है, तब आपका दोस्त आपसे दूर होता है। ऐसा किसी भी पक्ष के साथ हो सकता है। इसलिए दोस्ती में किसी भी तरह की गणना करना व्यर्थ है।

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