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    वही होता है जो नसीब में लिखा है

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    Updated: Mon, 19 Aug 2013 11:22 AM (IST)

    मूल रूप से बंगाल की रहने वाली सुमन नाथवानी अपने हौसले से यहां तक पहुंची हैं। बहुत कम उम्र से ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था, जबकि उनके पिता को उ ...और पढ़ें

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    मूल रूप से बंगाल की रहने वाली सुमन नाथवानी अपने हौसले से यहां तक पहुंची हैं। बहुत कम उम्र से ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था, जबकि उनके पिता को उनका काम करना बिल्कुल पसंद नहीं था। मां को अपनी प्रेरणा मानने वाली सुमन नाथवानी अपने बच्चों और डॉग ब्राउनी के साथ समय बिताना पसंद करती हैं। इसके साथ ही वह कैंसर रोगियों के लिए काउंसलिंग भी करती हैं। उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश

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    अपने बारे में बताएं?

    मैं मारवाड़ी परिवार से हूं। मेरे पिता व्यवसायी हैं और मां हाउसवाइफ। हम दो बहन और एक भाई हैं। जन्म से लेकर पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई है।

    आप इस प्रोफेशन में कैसे आईं?

    बचपन से ही मैं कुछ करना चाहती थी। शुरू से ही मुझे कपड़ों, ब्यूटी और आर्ट में बहुत इंटरेस्ट था। यही वजह है कि मैं इस प्रोफेशन में आई। मेरा मानना है कि जो आपके नसीब में लिखा है, वही होता है।

    एक डिजाइनर के तौर पर आपने स्लीपवियर को ही क्यों चुना?

    मैं अधिकतर देखती थी कि लोग कपड़ों पर तो ध्यान देते हैं, मगर स्लीपवियर के प्रति किसी का ध्यान नहीं जाता है। लोग सोचते हैं कि घर के अंदर ही तो रहना है। कुछ भी पहन लेते हैं। जब मैंने काम शुरू किया उस समय इस क्षेत्र में कोई प्रोफेशनल डिजाइनर नहीं था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने इस प्रोफेशन को अपनाया। मैं देश की पहली स्लीपवियर व स्विमवियर डिजाइनर हूं।

    अपनी पहचान बनाने में आपको कितनी मशक्कत करनी पड़ी?

    जब मैंने काम शुरू किया था तो लोग कहते थे कि यह क्या कर रही हैं। कॉमर्शियली भी मुझे बहुत परेशानी होती थी। फिर भी जहां चाह है वहां राह है। यही वजह है कि अब तक मैं कई शो कर चुकी हूं। यही नहीं बॉलीवुड के कई बड़े स्टार के साथ भी काम कर चुकी हूं।

    आप महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए डिजाइन करती हैं। इसकी खास वजह?

    मैनें सोचा कि महिलाओं के लिए तो काम करती ही हूं। पुरुषों के लिए भी करना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने पुरुषों के लिए स्लीपवियर बनाना शुरू किया।

    दस साल के बाद अपने को कहां देखना चाहती हैं।

    मेरी स्प्रिचुअल जर्नी शुरू हो चुकी है। अब मैं आराम से काम करना चाहती हूं, क्योंकि काम करते हुए करीब 25 साल हो गये हैं। मैं चाहती हूं कि लोग मुझे इस फील्ड का फाउंडर समझें। इसके साथ ही ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की सहायता भी करना चाहती हूं।

    यदि डिजाइनर नहीं होती तो?

    तब मैं आर्टिस्ट होती, क्योंकि बचपन से लेकर 12वीं तक मैंने पेंटिंग सीखी है।

    आपके फेवरेट डिजाइनर कौन हैं?

    मुझे इटली की लाउंजरी कंपनी लापरला बहुत पसंद है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय डिजाइनरों में सब्यसाची मेरे फेवरेट हैं।

    क्या आप मेहनत के साथ किस्मत को भी मानती हैं?

    सबसे पहले मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूं, क्योंकि मेरा कोई बैकग्राउंड नहीं था। मेहनत तो सभी लोग करते हैं, पर जीवन में किस्मत का रोल भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।

    सबसे अधिक सहयोग किससे मिला?

    परिवार में सबसे अधिक सहयोग मुझे मां से मिला। वह मेरा हर तरह से ख्याल रखती हैं। उनसे मुझे बहुत बल मिलता है।

    सबसे क्लोज किससे हैं?

    मैं अपनी मां से बहुत क्लोज हूं। बचपन से ही मैंने उनको बहुत ही पॉजिटिव देखा है। वह मेरी बेस्ट फ्रेंड हैं। उन्होंने जिस काम को करने से मना किया, वह काम मैंने कभी नहीं किया। बाद में मैंने पाया कि उनका निर्णय मेरे हित में ही होता था।

    आपके शौक क्या हैं?

    मुझे पढ़ने का बेहद शौक है। इसके अलावा म्यूजिक और ट्रैवलिंग भी बहुत पसंद है। सूफी संगीत सुनना अच्छा लगता है। इससे मन को शांति मिलती है।

    सेहतमंद रहने के लिए क्या करती हैं?

    बचपन से ही मैं योगा और एरोबिक्स कर रही हूं। अब एरोबिक्स तो छूट गया, पर योगा करना नहीं भूली हूं। यही कारण है कि मैं नियमित रूप से योग जरूर करती हूं। इसके लिए मैंने एक ट्रेनर भी रखा है।

    किसी गेम में इंटरेस्ट रखती हैं?

    मैं अपने स्कूल की स्विमिंग चैंपियन रही हूं। स्कूली दिनों में रोज स्विमिंग करती थी। अभी भी स्विमिंग में इंटरेस्ट है, लेकिन अब कर नहीं पाती हूं।

    अपने प्रोफेशन और घर के काम पर रोज कितना समय खर्च करती हैं?

    मैंने अपने प्रोफेशन और घर के काम को दो भागों में बांट दिया है। सुबह से लेकर दोपहर तक का समय प्रोफेशन के लिए होता है और दोपहर से शाम तक का समय घर के लिए।

    कोलकाता से कितनी जुड़ी हुई हैं?

    कोलकाता से मेरी बहुत सारी यादें जुड़ी हैं। मुझे कोलकाता बहुत पसंद है। यहां की मिट्टी की खुश्बू ही अलग है।

    दिल्ली के बारे में आपका क्या कहना है?

    काम के सिलसिले में दिल्ली आना-जाना तो लगा ही रहता है। यह देश की राजधानी है। साथ ही यह सिटी बहुत ही खूबसूरत है, चारों तरफ हरियाली है और यहां की सड़कें भी बहुत चौड़ी हैं, लेकिन यहां की लाइफ भी बहुत फास्ट है।

    जब फ्री रहती हैं तब क्या करती हैं?

    जब फ्री रहती हूं तब बच्चों और डॉग ब्राउनी के साथ समय बिताती हूं। इसके अलावा घर के छोटे-मोटे काम भी कर लेती हूं। महिला चाहे कितनी पैसे वाली हो जाए, वह अपना नेचर कभी नहीं भूलती।

    क्या फिल्में देखना पसंद है?

    हां, मैं सभी तरह की फिल्में देख लेती हूं, लेकिन रोमांटिक फिल्में अधिक पसंद हैं।

    घूमने की पसंदीदा जगह?

    मुझे सभी जगह घूमना अच्छा लगता है। ऐसा कुछ भी नहीं है कि यहां जाना है, वहां नहीं जाना। घूमने के लिए निकलना चाहिए, मेरे लिए यह खास बात है।

    फेवरेट एक्टर-सिंगर कौन हैं?

    रेखा मेरी ऑलटाइमफेवरेट हैं। उनकी खूबसूरती और स्टाइल बेमिसाल है। मेरी फेवरेट सिंगर आबिदा हुसैन हैं। उनकी गायकी की तो मैं दीवानी हूं।

    कहते हैं दिल्ली का खाना बहुत लजीज होता है। आपको दिल्ली में कहां का खाना पसंद है?

    मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं कहीं भी खा लेती हूं, लेकिन वैसे घर में ही खाना पसंद है।

    अपनी सफलता का श्रेय किसको देंगी?

    सबसे पहले अपनी मां को। फिर भगवान को धन्यवाद देती हूं। मां हर समय मेरे साथ संबल बनकर खड़ी रहती हैं। अगर वह मेरा साथ न देतीं तो मैं यहां तक नहीं पहुंचती।

    युवा पीढ़ी के लिए कोई मैसेज?

    युवाओं को अपने आपमें विश्वास करना चाहिए। वैसे ईश्वर ने हर चीज पहले से ही तय कर रखी है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसे हम नहीं जान पाते हैं। अपना कर्म करना चाहिए और अपने उत्साह को कभी नहीं मरने देना चाहिए। चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, हर हालत में फाइटर बनना चाहिए। फिर देखिए रास्ता अपने आप बनता जाएगा।

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