कोटखाई मामला: हाइकोर्ट ने सीबीआइ को फिर लताड़ा
हाईकोर्ट ने सीबीआइ के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि अभी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। ...और पढ़ें

शिमला, जागरण संवाददाता। कोटखाई में दुष्कर्म के बाद छात्रा की हत्या मामले में सीबीआइ को हिमाचल हाईकोर्ट ने फिर लताड़ लगाई है। जांच रिपोर्ट से असंतुष्टता जताते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआइ को धरातल स्तर तक जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने वीरवार को और दो अगस्त को पेश की गई जांच रिपोर्ट का अवलोकन किया।
न्यायालय ने इस मामले में डीजीपी सोमेश गोयल सहित तत्कालीन एसआइटी प्रमुख आइजी जहूर जैदी, एसआइटी सदस्य एएसपी भजन देव नेगी, डीएसपी रतन सिंह नेगी, डीएसपी ठियोग मनोज जोशी, सब इंस्पेक्टर धर्म सेन नेगी, एएसआइ राजीव कुमार, थाना कोटखाई के एसएचओ राजिन्दर सिंह व एएसआइ दीप चंद को प्रतिवादी बनाया। इन्हें शुक्रवार को कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने सीबीआइ के आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा कि अभी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। वीरवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश एसआइटी प्रमुख आइजी जहूर जैदी और एएसपी भजन देव नेगी भी कोर्ट में हाजिर थे। कोर्ट ने जांच के लिए अलग-अलग टीमें बनाए जाने पर सवाल उठाया तथा कहा कि संयुक्त रूप से जांच की जाए। तीन अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मा सौंपने का क्या मतलब है। कोर्ट
ने डीजीपी और एसआइटी टीम को निजी तौर पर प्रतिवादी बनाने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि छह से 23 जुलाई तक उनके द्वारा की गई जांच में क्या-क्या जानकारियां मिली। कोर्ट ने सीबीआइ के मामले की जांच पूरी करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय देने की मांग को ठुकराते हुए दो सप्ताह की मोहलत दी।
कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ चार हफ्तों से इस मामले की जांच कर रही है, जबकि मामले के रिकॉर्ड के मुताबिक यह कहीं भी पता नहीं चल रहा है कि शीघ्रता से जांच के लिए क्या कारगर कदम उठाए हैं। कोर्ट ने सीबीआइ को दो सप्ताह का अतिरिक्त समय देते हुए मामले की जांच शीघ्रता से पूरी करने के आदेश दिए। हालांकि कोर्ट ने सीबीआइ को अतिरिक्त समय की मांग करने की छूट दे दी। इस मामले पर सुनवाई शुक्रवार को फिर होगी।
क्या था मामला
शिमला जिले के कोटखाई में चार जुलाई को स्कूल से घर जा रही छात्रा करीब चार बजे गायब हो गई। छह जुलाई को छात्रा का शव जंगल में मिला था। सात जुलाई पुलिस ने जांच शुरू की थी, लेकिन लोगों के भारी दबाव के बाद मामला जांच के लिए सीबीआइ को सौंपा था। इसी दौरान एक आरोपी सूरज की पुलिस के लॉकअप में मौत हो गई थी। 16 जुलाई को मंजूरी मिलने के बाद से सीबीआइ छात्रा और आरोपी की मौत की भी जांच कर रही है।

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