ईडी ने हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह का फार्महाउस किया जब्त
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का दिल्ली के मेहरौली स्थित फार्म हाउस जब्त कर लिया है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र और उनके परिवार की मुश्किले लगातार बढ़ती जा रही हैं। उनके और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को आय से अधिक संपत्ति में सीबीआई की ओर से आरोपी बनाए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने बेटे वीरभद्र पर शिकंजा कस दिया है। जिसके तहत ईडी ने आज प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए उनके दिल्ली स्थित फार्म हाउस को सीज कर दिया गया है। दरअसल, वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य पर गलत तरीके से फार्म हाउस खरीदने का आरोप है।
जांच एसेंसी को एक बिचौलिये से पूछताछ में पता लगा कि वीरभद्र के बेटे की कंपनी मैपल द्वारा दिल्ली में एक फार्म हाउस को छह करोड़ 61 लाख में खरीदा गया था। जिसकी उस वक्त अनुमानित कीमत एक करोड़ थी। ईडी का आरोप है कि फार्म हाउस को खरीदने में कालेधन का उपयोग किया गया है। इस पूरी डील में एक करोड़ 20 लाख रुपए बतौर रजिस्ट्री के रूप में दिये गए, जबकि बाकी पांच करोड़ 40 लाख रुपये नकद दिए गए। वहीं, रजिस्ट्री की रकम एक करोड़ बीस लाख को कई शेल कंपनियों के जरिये दिया गया।
वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य ने जांच एजेंसियों की पूछताछ में कहा कि उन्हें नहीं पता कि फार्महाउस खरीदने के लिए पैसे कहां से आये। उनके मुताबिक, इन पैसों का इंतजाम उनके पिता की ओर से किया गया। दिल्ली स्थित फार्म हाउस को वर्ष 2012-13 में खरीदा गया। मौजूदा समय में फार्महाउस की कीमत 27 करोड़ आंकी जा रही है।
इस बीच, वीरभद्र सिंह ने डीए केस पर कहा है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है। हम इस मामले का सामना करेंगे।
डीए मामले में अब दिल्ली कोर्ट में 6 अप्रैल को होगी सुनवाई
आय से अधिक संपत्ति मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में दायर आरोपपत्र पर आज सुनवाई हुई। अब इस मामले की अगली सुनवाई छह अप्रैल को होगी। उसके बाद ही आगे समन समेत अन्य कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। सीबीआई ने करीब 500 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है, जिसमें 255 गवाह के नाम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा इसमें उनके दूसरे सहयोगियों के भी नाम हैं। दायर आरोपपत्र में मुख्यमंत्री की पत्नी प्रतिभा सिंह, एलआईजी एजेंट आनंद चौहान उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर सिंह घालटा, प्रेम राज, लवण कुमार कोच समेत कुल 9 लोग शामिल हैं।
31 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सीबीआई के एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सितंबर 2015 में मुख्यमंत्री वीरभ्रद सिंह, उनकी पत्नी व अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (2) और 13 (1) और आईपीसी की धारा 109 के तहत केस दर्ज किया था।
आरोप है कि 28 मई 2009 से 26 जून 2012 तक इस्पात मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री ने 10 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की। वर्ष 2007 व 2008 के दौरान उनके व एलआईसी एजेंट आनंद चौहान के बैंक खातों में बड़ी रकम की लेनदेन हुई।

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