सीपीएस नियुक्ति पर हिमाचल सरकार को नोटिस
मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
जेएनएन, शिमला : मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने संस्था पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। साथ ही संस्था को याचिका का औचित्य (मेटेनेबिलिटी) साबित करने को भी कहा है।
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याचिका में आरोप है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कानून के प्रावधानों के विपरीत है। संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियो की संख्या विधायको की कुल संख्या का 15 फीसद से अधिक नहीं हो सकती। मुख्य संसदीय सचिवों को नियुक्ति के बाद इनकी संख्या 15 फीसद से ज्यादा हो गई है। इसलिए मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद किया जाना चाहिए। आरोप है कि इनकी नियुक्ति से खजाने पर अतिरिक्त भार पड़ा है। प्रार्थी संस्था का कहना है कि मुख्य संसदीय सचिवों को मंत्री के बराबर ही अन्य भत्तों जैसे टीए डीए, चिकित्सा सुविधाएं दी जाती है। इन्हें मंत्रियो के बराबर ही शक्तियां दी गई है। राजनीतिक संतुलन को बनाने की दृष्टि से ही इनकी नियुक्तियां की गई हैं।
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प्रार्थी संस्था ने दलील दी है कि 18 अगस्त, 2005 को प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता व न्यायाधीश दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने मुख्य संसदीय सचिवों व संसदीय सचिवों की नियुक्ति को संविधान के प्रावधानों के विपरीत पाते हुए रद कर दिया था। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट भी 12 अगस्त 2016 को संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद कर चुका है। मामले पर अगली सुनवाई आठ दिसंबर को होगी।
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कब-कब हुई नियुक्तियां
22 जनवरी 2013 को प्रदेश सरकार ने नीरज भारती, राजेश धर्माणी व विनय कुमार, 13 मई 2013 को जगजीवन पाल, राकेश कालिया, नंद लाल, रोहित ठाकुर, सोहन लाल ठाकुर व इंद्रदत्त लखनपाल और 22 अक्टूबर को मनसा राम को सीपीएस नियुक्त किया गया था।
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हर सरकार में सीपीएस
भाजपा ने 2005 में सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी थी। कोर्ट ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सभी सीपीएस हटाने के निर्देश जारी किए थे। सत्ता में आते ही भाजपा ने भी सीपीएस नियुक्त किए थे।
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