वीरभद्र का फार्महाउस जब्त करने के ईडी के फैसले पर कोर्ट ने लगाई मुहर
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फार्महाउस के लिए कुर्की आदेश जारी किया था। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, प्रेट्र। आय से अधिक संपत्ति के मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का फार्महाउस जब्त करने के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के फैसले पर विशेष अदालत ने मुहर लगा दी है।
जानकारी के मुताबिक, विशेष अदालत ने ईडी के उस आदेश की पुष्टि की है, जिसमें वीरभद्र के फार्म हाउस की कुर्की की बात है। ईडी वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के खिलाफ कथित धनशोधन से जुड़े मामले की जांच कर रहा है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने मार्च में दक्षिणी दिल्ली में महरौली के पास डेरा मंडी इलाके में यह संपत्ति कुर्क की थी। जांच एजेंसी के मुताबिक, मुखौटा कंपनियों के जरिये धनशोधन कर यह संपत्ति खरीदी गई थी।
जांच एजेंसी ने धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत फार्महाउस के लिए कुर्की आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक, आयकर विभाग द्वारा किये गये मूल्यांकन के मुताबिक रिकॉर्ड में जहां इसकी कीमत 6.61 करोड़ रुपये है और इसका बाजार मूल्य 27.29 करोड़ रुपये है।
पीएमएलए के सदस्य (विधि) तुषार वी शाह ने कहा है कि यह संपत्ति धन शोधन से संबंद्ध है। मैं इसलिए पीएमएलए की धारा 5 की उपधारा (1) के तहत अर्जित संपत्तियों की कुर्की की पुष्टि करता हूं।
ईडी के मुताबिक, यह फार्महाउस मेसर्स मेपल डेस्टिनेशन व ड्रीमबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है। इसमें वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य बड़े अंशधारक हैं और उनकी बेटी अपराजिता भी अंशधारक है। इसमें कहा गया कि दोनों का नाम फर्म के निदेशकों के तौर पर दर्ज है।
मनी लांड्रिंग के मामले में एसके जैन व अन्य बरी
मनी लांड्रिंग के दो दशक से भी पुराने मामले में दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट ने हवाला कारोबारी एसके जैन समेत अन्य को आरोप मुक्त कर दिया और केस को बंद करने का निर्देश दिया। अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी ज्योति क्लेर ने यह कहते हुए केस को बंद करने का निर्देश दिया की सुनवाई के दौरान ऐसा कोई भी सुबूत नहीं मिला जिसके आधार पर आरोप सिद्ध हो सके। लिहाजा एसके जैन, जेके जैन, मोहम्मद अमीर, दीन हबीब और सैयद आरिफ को बरी किया जाता है। दो अन्य आरोपी एनके जैन और बीआर जैन की सुनवाई के दौरान पहले ही मृत्यु हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय ने एसके जैन व अन्य के खिलाफ अवैध तरीके से विदेशी मुद्रा को भारतीय मुद्रा में बदलने के तहत मामला दर्ज कराया गया था। आरोप में कहा गया था कि 1988-1991 के बीच इन लोगों ने अवैध तरीके से करीब दो अरब डॉलर से ज्यादा की विदेशी मुद्रा को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित किया था। बताते चलें की 1991 में सीबीआइ ने इस संबध में भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिसे सुबूत न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

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