Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धूमल बोले, कर्ज लेकर घी पी रही प्रदेश सरकार

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 15 Mar 2017 01:00 AM (IST)

    राज्य ब्यूरो, शिमला : विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने बजट में की जा रही घोषणाओं पर सवाल उठाया है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    धूमल बोले, कर्ज लेकर घी पी रही प्रदेश सरकार

    राज्य ब्यूरो, शिमला : विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने बजट में की जा रही घोषणाओं पर सवाल उठाया है। उनका कहना था कि चार साल से मुख्यमंत्री बजट में हजारों घोषणाएं करते रहे, लेकिन उन पर काम नहीं हुआ। उनका आरोप था कि प्रदेश सरकार घोषणाओं की सरकार बनकर रह गई है। सरकार की हालत यह है कि कर्ज लेने में रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बकौल धूमल, मुख्यमंत्री की छत्रछाया में चार साल का कार्यकाल मंत्रियों ने आनंद करते हुए गुजार दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने कटाक्ष किया कि आर्थिक तंगी में सरकार कर्ज लेकर घी पीती रही। प्रदेश में कर्ज का आंकड़ा कुछ महीनों में 45 हजार करोड़ को पार कर जाएगा। संदेह व्यक्त किया कि कहीं प्रदेश का पूरा बजट कर्ज चुकाने में ही न चला जाए। जब प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है तो निगम-बोर्डो में अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की फौज की नियुक्ति पर सवाल उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर से कहे गए शेर का जवाब चार शेर पढ़कर दिया। बजट चर्चा में भाग लेते हुए धूमल ने कहा कि बजट का 88 फीसद हिस्सा प्रदेश को केंद्रीय अनुदान, केंद्रीय करों व कर्ज से मिलना है। केवल 12 फीसद पैसा ही राज्य सरकार का है। सरकार को बताना चाहिए कि राज्य ने संसाधन जुटाने के लिए क्या किया, का बजट में कोई जिक्र नहीं किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सरकार को कई बार लिखित तौर पर अवगत करवाया है कि निर्धारित मापदंडों से अधिक कर्ज न लें लेकिन सरकार ने इस दौरान साढे़ तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया है। धूमल ने इटली से वायरसयुक्त सेब पौधे मंगाने पर सरकार की खिंचाई की। एंटीहेल गन लगाने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन लोग अपना पैसा खर्च कर एंटीहेल गन लगा रहे हैं। विद्या स्टोक्स के विभाग पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज भी शिमला के लोगों को तीसरे दिन पानी मिल रहा है। शिमलावासी पीलिया को कैसे भूल सकते हैं। बेरोजगारी भत्ते के मुद्दे पर धूमल ने सरकार को घेरा। उनका कहना था कि सरकार स्वयं कहती है कि राज्य में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 8.24 लाख है। इन्हें ही अगर 1000 रुपये प्रति माह देना हो तो एक माह का खर्च 82.40 करोड़ रुपये आएगा। बेरोजगारी भत्ता देने के लिए एक वर्ष का खर्च 988.80 करोड़ रुपये बनता है। सरकार ने 34 आइटीआइ खोले हैं, लेकिन आइटीआइ व पॉलीटेक्निक संस्थानों में हर साल हजारों सीटें खाली रह जाती हैं। उन्होंने पूछा कि बंदर व लावारिस पशु कांग्रेस का चुनावी मुद्दा था लेकिन इस मुसीबत से किसान आज भी परेशान हैं।

    .......................

    यह है कर्ज का वाला आंकड़ा

    वर्ष इतना ले सकते थे इतना लिया यह अधिक

    2013-14 2448 करोड़ 4011 करोड़ 1563 करोड़

    2014-15 2786 करोड़ 4200 करोड़ 1414 करोड़

    2015-16 3156 करोड़ 3286 करोड़ 128 करोड़

    2016-17 3540 करोड़ 4075 करोड़ 536 करोड़

    कुल 11890 करोड़ 15570 करोड़ 3640 करोड़