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    हिमाचल में उगेगा न्यूजीलैंड का सेब

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Tue, 04 Jul 2017 08:54 AM (IST)

    प्रदेश सरकार ने न्यूजीलैंड से सेब के पौधे आयात करने की योजना बनाई है। पहले चरण में करीब डेढ़ लाख पौधे आयात किए जाएंगे।

    हिमाचल में उगेगा न्यूजीलैंड का सेब

     मंडी, काकू चौहान। हिमाचल में इटली के बाद अब न्यूजीलैंड का सेब भी तैयार होगा। बागवानी विभाग न्यूजीलैंड से उन्नत किस्म के सेब के पौधे आयात करेगा। ये पौधे अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में आयात किए जाएंगे। इसके बाद पौधे बागवानों को बांटे जाएंगे। प्रदेश में विश्व बैंक के सहयोग से उद्यान विकास परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। इसमें बागवानी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार ने न्यूजीलैंड से सेब के पौधे आयात करने की योजना बनाई है। पहले चरण में करीब डेढ़ लाख पौधे आयात किए जाएंगे। इसकी डिमांड भेजी जा चुकी है। अगले वर्ष पौधरोपण के समय पौधे यहां पहुंच जाएंगे। 

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    न्यूजीलैंड विश्व में सर्वाधिक सेब उत्पादन करने वाले देशों में शामिल है। जहां प्रति हेक्टेयर 57 टन सेब का उत्पादन होता है। प्रदेश में कुल फल उत्पादन में 90 फीसद योगदान सेब का है। सेब उत्पादन को और बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने न्यूजीलैंड की उन्नत किस्म के सेब के पौधों को आयात करने का निर्णय लिया है। इससे पहले भी सरकार ने इटली से सेब की बेहतर किस्मों के पौधे आयात किए हैं। 

     

    न्यूजीलैंड से आयात होने वाले पौधों की कीमत 300 से 800  रुपये प्रति पौधा होगी। पौधे खरीदने के लिए बागवानों को उद्यान विभाग के पास आवेदन करना होगा। खास बात यह है कि यह विदेशी पौधे दो साल के बाद ही फल देना शुरू कर देंगे। इन पौधों की लंबाई ज्यादा नहीं बढ़ेगी, लेकिन उत्पादन यहां के पौधों से कहीं अधिक होगा। सेब के अलावा नाशपाती, पलम, चेरी, अखरोट सहित अन्य फलों के पौधों को भी न्यूजीलैंड से आयात किया जाएगा। प्रदेश में मौजूदा समय में करीब 28 प्रकार के फलों का उत्पादन होता है। आने वाले समय में 10 अन्य प्रकार के फलों का प्रदेश में उत्पादन शुरू होगा।न्यूजीलैंड से सेब के पौधे आयात किए जाएंगे। अगले वर्ष किसानों को पौधे वितरित किए जाएंगे। न्यूजीलैंड में तैयार होने वाले सेब की किस्म के लिए यहां की जलवायु अनुकूल है। इसके चलते विदेशी पौधे यहां कामयाब हो सकते हैं। 

     

    अमर प्रकाश कपूर, उपनिदेशक बागवानी विभाग।