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    ग्लोबल वार्मिग हरियाली के लिए खतरा

    By Edited By:
    Updated: Sun, 25 Dec 2016 09:38 PM (IST)

    साक्षात्कार वीरेंद्र शर्मा, प्रभारी भारतीय मौसम केंद्र धर्मशाला। -ग्लोबल वार्मिग से आया मौसम मे ...और पढ़ें

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    साक्षात्कार

    वीरेंद्र शर्मा, प्रभारी भारतीय मौसम केंद्र धर्मशाला।

    -ग्लोबल वार्मिग से आया मौसम में बदलाव

    -आधुनिक युग में भी पुराने पैमानों से पूर्वानुमान

    धर्मशाला : हरियाली से ही ग्लोबल वार्मिग दूर होगी। ग्लोबल वार्मिग से हो रहे मौसम बदलाव में भी तभी सुधार होगा जब इसके लिए सभी लोग अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिग के कारण जो मौसम में बदलाव आया है, उससे हर मौसम एक से दो माह आगे जा रहा है। यह बात दैनिक जागरण से भारतीय मौसम केंद्र धर्मशाला के प्रभारी वीरेंद्र शर्मा ने कही। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश..

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    ग्लोबल वार्मिग का मौसम पर कितना असर पड़ा है?

    ग्लोबल वार्मिग का मौसम पर काफी अधिक असर पड़ा है। यही वजह भी है कि हर मौसम अब एक से दो माह आगे जा रहा है। इसका प्रमाण इसी से मिल जाता है कि नवंबर में पहाड़ों में बर्फ गिरनी शुरू हो जाती थी, जो इस बार दिसंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू हुई है।

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    मौसम में सुधार आए, इसके लिए क्या करना होगा?

    मौसम में सुधार के लिए प्रदूषण पर नियंत्रण पाना आवश्यक है। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सबको कदम बढ़ाते हुए पौधे रोपने होंगे ताकि हरियाली लाई जा सके। इसके लिए विश्व को ही साथ मिलकर चलना होगा।

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    मौजूदा समय आधुनिक तकनीक का है। क्या धर्मशाला केंद्र हाईटेक हुआ है?

    अभी तक भारतीय मौसम केंद्र धर्मशाला हाईटेक नहीं हुआ है और न ही ऑनलाइन। यहां पुराने पैमानों से ही मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

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    पुराने पैमानों में क्या-क्या शामिल हैं?

    भारतीय मौसम केंद्र धर्मशाला में बैरोमीटर से हवा में दबाव का पता लगता है। इसी से बारिश की संभावना का पता लगता है। अधिकतम व न्यूनतम तापमान के पैमानों के अलावा यहां आ‌र्द्रता संबंधी पैमानों में ड्राई थर्मामीटर व वैट थर्मामीटर की सुविधा उपलब्ध है।

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    धर्मशाला में ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन की कदमताल शुरू हुई थी, उसका क्या बना?

    धर्मशाला के समीप चौहला स्थित इंदु्रनाग के साथ ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) के लिए भूमि तो देखी गई थी, लेकिन इसकी प्रक्रिया कहां तक पहुंची है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मौसम से संबंधित जरूरी उपकरणों के लिए ऊंचाई वाला स्थान चाहिए होता है। जमीन वन विभाग के अधीन होने के कारण हस्तांतरण प्रक्रिया में काफी समय लगता है।

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    आप जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं?

    सर्दियों का मौसम होने के कारण बीमारियों से बचने के लिए लोग अपना विशेष ध्यान रखें और गर्म वस्त्र पहनें।