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प्रशांत भूषण को झटका

By Edited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 01:43 AM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 01:43 AM (IST)

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी मामले में आम आदमी पार्टी के नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को झटका लगा है।

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बुधवार को उपायुक्त कोर्ट धर्मशाला की अदालत ने फैसला सुनाया कि सोसायटी प्रदेश सरकार को जमीन वापस करे। कोर्ट के मुताबिक सोसायटी यह प्रमाणित नहीं कर पाई कि जिस शैक्षणिक संस्थान को खोलने के लिए उसने इस जमीन पर मंजूरी ली थी वह वहां पर शुरू हो गया है। कोर्ट ने आगामी कार्रवाई के लिए तहसीलदार पालमपुर को निर्देश जारी किया है। प्रशांत भूषण इस सोसायटी के सचिव हैं, इसलिए इस मामले को उनके साथ जोड़कर देखा जा रहा है।

इस मामले में धारा 6ए, 7ए प्रेमिसीज टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट व धारा-118 के तहत जिस भी सोसायटी ने जिस भी कार्य के लिए जमीन खरीदी हो उसे दो वर्ष के भीतर उस कार्य को शुरू करना होता है। कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी ने पालमपुर के कंडबाड़ी में करीब छह हेक्टेयर जमीन खरीदी थी और यहां शैक्षणिक संस्थान (स्कूल) खोलने के लिए दिसंबर, 2004 में आवेदन किया था। फरवरी, 2010 में प्रदेश सरकार ने यह कहकर सोसायटी को मंजूरी दी थी कि दो साल के भीतर शैक्षणिक संस्थान खोल दे, लेकिन निर्धारित समय अवधि के भीतर सोसायटी स्कूल नहीं खोल पाई। सरकार ने इस संबंध में सोसायटी को नोटिस जारी किया था और बाद में मामला सुनवाई के लिए उपायुक्त कांगड़ा की अदालत में पहुंचा। ढाई माह चले लंबी प्रक्रिया के बाद उपायुक्त सी पालरासू की अदालत ने फैसला सुनाया है।

उपायुक्त कोर्ट में उपरोक्त मामला 27 फरवरी, 2012 को सुनवाई के लिए आया था। इसी संबंध में 28 फरवरी, 2014 को तहसीलदार पालमपुर ने उपायुक्त को रिर्पाट दी कि 13141 वर्ग मीटर पारित क्षेत्र में से 2024 वर्ग मीटर क्षेत्र पर खेल मैदान, योगा सेंटर, अन्य भवन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।

मामले पर एक नजर

-कुमुद भूषण एजुकेशन सोसायटी ने पालमपुर के कंडबाड़ी में शैक्षणिक संस्थान को खोलने के लिए दिसंबर, 2004 में आवेदन किया।

-धारा 6ए, 7ए प्रेमिसीज टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट व धारा-118 में गैर कृषि सोसायटी के तहत आवेदन किया।

-2006 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यहां चाय के बगीचा का हवाला देते हुए जमीन ट्रांसफर नहीं की और केस खारिज कर दिया।

-2008 में भाजपा सरकार सत्ता में आई। केस फिर खुला और सोसायटी ने दोबारा जमीन के लिए आवेदन किया।

-सरकार ने तत्कालीन उपायुक्त को स्कूल चलाने के लिए शिक्षा विभाग से प्रमाणपत्र लाने को कहा।

-2008 में सोसायटी को वह प्रमाणपत्र दे दिया गया जो सरकार को जमा करवाया गया।

-फरवरी, 2010 में भाजपा की सरकार ने शैक्षणिक संस्थान खोलने की सोसायटी को यह कह कर अनुमति दे दी कि वह दो साल के भीतर यहां शैक्षणिक संस्थान खोले, लेकिन सोसायटी इसे निर्धारित समय में नहीं खोल पाई।

-भाजपा सरकार ने सोसायटी को स्कूल न खोले जाने पर नोटिस जारी कर दिया।

-2012 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी, नई सरकार के बनते ही डीसी कांगड़ा भी बदले गए।

-2013 में कांगड़ा में डीसी सी पालरासू ने पदभार संभाला और उन्होंने सरकार से प्रशांत भूषण मामले में स्पष्टीकरण मांगा।

-सरकार ने सितंबर, 2013 में सोसायटी को दोबारा नोटिस भेजा। 25 अगस्त, 2014 को इस केस की सुनवाई रखी गई , लेकिन सरकारी वकील ने ऑब्जेक्शन फाइल नहीं किया और डीसी कोर्ट ने मामले की सुनवाई को आगामी तारीखों तक टाल दिया और 17 सितंबर को फैसला सुनाया।


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