Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां से दिखता है कैलाश पर्वत

    By Neeraj Kumar AzadEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2016 05:47 PM (IST)

    मणिमहेश झील चंबा जिले के भरमौर इलाके में 13,500 फुट की उंचाई पर स्थित है, जहां से श्रद्धालु कैलाश पर्वत को देख सकते हैं और पूजा करते हैं। ...और पढ़ें

    Hero Image

    मणिमहेश झील चंबा जिले के भरमौर इलाके में 13,500 फुट की उंचाई पर स्थित है, जहां से श्रद्धालु कैलाश पर्वत को देख सकते हैं और पूजा करते हैं। माना जाता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पहला पवित्र स्नान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को
    झील में पहला पवित्र स्नान कृष्ण जन्माष्टमी (25 अगस्त) को होगा और दूसरा तथा अंतिम स्नान राधाष्टमी पर 10 सितंबर को होगा। राज्य सरकार ने यात्रियों को ले जाने के लिए एक निजी हेली टैक्सी संचालक को अनुमति दी है। हेलीकॉप्टर लोगों को आधार शिविर भरमौर से पवित्र झील से एक किलोमीटर पीछे गौरीकुंड तक ले जाएगा। एक बार ले जाने का प्रति व्यक्ति किराया 2010 रुपये है।

    6000 फुट की उंचाई से शुरू होती है पैदल तीर्थयात्रा
    पैदल तीर्थयात्रा चंबा जिले के 6000 फुट की उंचाई पर स्थित हड़सर गांव से शुरू होगी और 13 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद 13,500 फुट की उंचाई पर स्थित पवित्र झील के पास समाप्त होगी।
    यात्रा में रहें चौकस मणिमहेश यात्रा के मद्देनजर जे एंड के से सटी सीमा सहित जिला के विभिन्न प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा घेरा और मजबूत कर हरेक गतिविधि पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। इसके अलावा जे एंड के सीमा से सटे क्षेत्र पर तैनात आइआरबी के जवानों को भी पेट्रोङ्क्षलग तेज करने को कहा गया है, जिससे कोई अवांछनीय तत्व जिला की सीमा में प्रवेश न कर सकें।
    अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र ङ्क्षसह ठाकुर ने ये आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा मणिमहेश यात्रा के दौरान जेएंडके सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु मणिमहेश के पवित्र झील में डुबकी लगाने को पहुंचेंगे। इस दौरान कानून व सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक न रहे। उन्होंने पुलिस थाना व चौकी प्रभारियों को कड़े निर्देश दिए हैं कि श्रद्धालुओं की पूर्ण पड़ताल के बाद ही आगामी यात्रा पर भेजा जाए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था में ढील किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    क्या-क्या करें
    -अपने साथ पर्याप्त गर्म कपड़े रखें, क्योंकि तापमान एकदम से पांच डिग्री तक गिर सकता है। यात्रा मार्ग पर मौसम कभी भी बिगड़ सकता है, लिहाजा अपने साथ छाता, ङ्क्षवड शीटर, रेनकोट व वाटरप्रूफ जूते लेकर जाएं।
    -बारिश में सामान गीला न हो, इसके लिए कपड़े व अन्य खाने-पीने की चीजें वाटरप्रूफ बैग में ही रखें।
    -आपात स्थिति के लिए अपने किसी साथी यात्री का नाम, पता व मोबाइल फोन नंबर लिखकर एक पर्ची अपनी जेब में रखें।
    -अपने साथ पहचान पत्र या ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस या यात्रा पर्ची जरूर रखें।
    श्रद्धालु क्या न करें
    -जिन क्षेत्रों में चेतावनी सूचना हो, वहां न रुकें।
    -यात्रा मार्ग में काफी उतार-चढ़ाव है, इसलिए चप्पल पहनकर यात्रा न करें। केवल ट्रैङ्क्षकग जूते ही पहनकर यात्रा करें।
    -यात्रा के दौरान किसी तरह का शार्टकट न लें क्योंकि यह खतरनाक व जानलेवा हो सकता है।
    -खाली पेट कभी भी यात्रा न करें। ऐसा करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो सकती है।
    -ऐसा कोई कार्य न करें जिससे यात्रा मार्ग पर प्रदूषण फैलता हो या पर्यावरण को नुकसान पहुंचता हो।

    स्वास्थ्य संबंधी जानकारी
    मणिमहेश डल झील तक पहुंचने के लिए 13,500 फुट की ऊंचाई तक ट्रेङ्क्षकग करनी पड़ती है। ऊंचाई पर यात्रियों में निम्न बीमारियों के लक्षण पाए जा सकते हैं :- मन घबराना, उल्टी, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, हल्का सिरदर्द, सोने में दिक्कत, दृष्टि दुर्बलता, मूत्राशय का काम न करना, शारीरिक अंगों के आपसी समन्वय का तालमेल बिगडऩा, बेहोश होना, मानसिक अवस्था का बिगडऩा, बेसुधी, सांस लेने में दिक्कत होना, सांस फूलना, सांस चढऩा, हृदयगति बढऩा।
    इन बातों का भी रखें ध्यान
    -ऊंचाई पर होने वाली इन बीमारियों का अगर समय रहते उपचार न किया जाए तो कुछ ही घंटों में जानलेवा साबित हो सकती है।
    -इन लक्षणों को नजर अंदाज न करें। शराब, सिगरेट या किसी नशीली चीज का सेवन न करें।
    -बीमारी का कोई भी लक्षण पाए जाने पर आगे बढऩे के बजाये नजदीकी समतल इलाके (बेस कैंप) में लौट आएं, जहां आप कुछ देर आराम कर सकें।
    -शरीर में आक्सीजन की क्षमता बढ़ाने के लिए लंबी सांस लेने का व्यायाम करें।
    -योगा में प्राणायाम करें। अगर आप किसी पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं तो यात्रा से पूर्व डॉक्टर से जांच अवश्य करवाएं।
    -नए वातावरण के प्रति अनुकूल होने के लिए रुक-रुक कर यात्रा करें।
    -अधिक चढ़ाई वाले क्षेत्र में चलने से पहले थोड़ा विश्राम कर लें।
    -अपनी क्षमता के विपरीत अधिक चलने का प्रयास न करें।
    -कोई भी दवा खाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
    -कम ब्लड शूगर व थकावट से बचने के लिए कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का सेवन करें।