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    सरोगेसी : कब लें किराए की कोख

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    Updated: Wed, 26 Mar 2014 12:55 PM (IST)

    सरोगेसी या किराये पर कोख, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट (एआरटी) की एक विधि है। इस विधि के अंतर्गत कोई महिला अपने गर्भाशय में किसी अन्य दंपति के लिये उनके बच्चे को विकसित करती है। सरोगेसी का मामला बहुत जटिल होता है और इसमें चिकित्सकीय, भावनात्मक, वित्तीय और कानून

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    सरोगेसी या किराये पर कोख, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट (एआरटी) की एक विधि है। इस विधि के अंतर्गत कोई महिला अपने गर्भाशय में किसी अन्य दंपति के लिये उनके बच्चे को विकसित करती है। सरोगेसी का मामला बहुत जटिल होता है और इसमें चिकित्सकीय, भावनात्मक, वित्तीय और कानूनी मुद्दे भी शामिल होते हैं।

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    जरूरत किसे है

    जब कोई महिला चिकित्सकीय, आनुवांशिक या अन्य कारणों से संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होती है, तो दंपति किसी सरोगेट मां की मदद लेते हैं, जो उनके लिये अपनी कोख में बच्चे को पालती है। इन स्थितियों में सरोगेसी की जरूरत पड़ सकती है..

    -जब किसी महिला को गर्भावस्था को बनाए रखने में कठिनाइयां हों।

    -गर्भाशय में फाइब्रॉयड, अनेक कारणों से गर्भाशय के आकार में विकार और उसकी संरचना में असामान्यताएं हों।

    -बच्चेदानी की लाइनिंग के क्षतिग्रस्त होने पर (एशरमैन्स सिंड्रोम) और जननांग की टी.बी. होने पर।

    -आधुनिक उपचार के बावजूद बार-बार गर्भपात।

    -अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण के विकसित होने के बावजूद आईवीएफ उपचार का बार-बार विफल होना।

    -जिस महिला ने हिस्टेरेक्टॅमी आपरेशन (सर्जरी के जरिये गर्भाशय को हटाना) कराया है।

    -जिस महिला का जन्म से ही गर्भाशय सही तरह से विकसित न हुआ हो।

    -अनियंत्रित मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या।

    जेस्टेशनल सरोगेसी: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की मदद से अब माता से अंडाणु(एग) को पैदा करना और उन्हें पिता के शुक्राणुओं से निषेचित करना संभव हो चुका है। निषेचित अंडाणु (फर्टिलाइज्ड एग) को किसी गर्भावधि (जेस्टेशनल) सरोगेट माता के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करना संभव हो गया है। सरोगेट माता अपने गर्भ में बच्चे को जन्म तक पालती है। जेस्टेशनल सरोगेट मां का बच्चे से कोई आनुवंशिक संबंध नहीं होता है। इसका कारण यह है कि उसके अंडाणु का इस्तेमाल नहीं हुआ। भारत में गर्भावधि (जेस्टेशनल) सरोगेसी को अनुमति प्राप्त है। गर्भावधि सरोगेसी कानूनी रूप से कम जटिल है। इसका कारण यह है कि बच्चे से माता और पिता दोनों का आनुवांशिक संबंध होता है।

    (डॉ. मोनिका, आईवीएफ विशेषज्ञ, गुड़गांव)