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    गैस बनने से हो सकती हैं गैस्ट्रो इसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज

    By Edited By:
    Updated: Tue, 03 Sep 2013 11:51 AM (IST)

    विपुल देशमुख एक रेस्त्रां के मालिक हैं। लजीज और चिकनाईयुक्त स्पाइसी खाने के वह शौकीन हैं। एक दिन उन्हें खंट्टी डकारें आने के बाद पेट में तेज दर्द उठा। उन्हें लगा कि उनके पेट में गैस बन रही है। तभी उनके पड़ोसी निर्मल राय अचानक घर चले आए। विपुल का परेशानी वाला चेहरा देखकर उन्होंने पूछा

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    विपुल देशमुख एक रेस्त्रां के मालिक हैं। लजीज और चिकनाईयुक्त स्पाइसी खाने के वह शौकीन हैं। एक दिन उन्हें खंट्टी डकारें आने के बाद पेट में तेज दर्द उठा। उन्हें लगा कि उनके पेट में गैस बन रही है। तभी उनके पड़ोसी निर्मल राय अचानक घर चले आए। विपुल का परेशानी वाला चेहरा देखकर उन्होंने पूछा कि भाई समस्या क्या है। विपुल ने अपनी तकलीफ बतायी। राय ने कहा कि तुम गैस से परेशान हो, अमुक चूर्ण लेने पर गैस रफूचक्कर हो जाएगी। चूर्ण खाने के काफी देर बाद भी जब उन्हें राहत नहीं मिली, तब वह मेरे पास आए। चेकअॅप और जांच कराने के बाद पता चला कि वह जीईआरडी से ग्रस्त हैं और वह इस रोग की दूसरी स्टेज में पहुंच चुके हैं। सौभाग्यशाली थे कि इस स्थिति में उनकी बीमारी को दवाओं से नियंत्रित कर लिया गया। अगर वह रोग की तीसरी व चौथी अवस्था में होते तो उन्हें एक विशिष्ट प्रकार की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी से गुजरना पड़ता।'' यह कहना है, नई दिल्ली स्थित गंगाराम हॉस्पिटल में गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल अरोड़ा का। उनके अनुसार गैस बनने व खंट्टी डकारें आदि समस्याओं की लोग अक्सर अनदेखी कर देते हैं।

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    गैस्ट्रो इसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) के स्वरूप को समझाते हुए नोवा हॉस्पिटल, नई दिल्ली के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. एस.सागू बताते हैं कि मुंह से लेकर आमाशय (स्टमक) तक जो नली होती है, उसे इसोफेगस (भोजन नली) कहते हैं। इसोफेगस के सबसे निचले भाग (जो आमाशय को इसोफेगस से जोड़ता है) को गैस्ट्रो इसोफेजियल जंक्शन कहते हैं,जो एक वाल्व की तरह की संरचना होती है। जब खाद्य पदार्थ गले से नीचे उतरकर आमाशय में पहुंचते हैं, तब यह वाल्व बंद हो जाता है। इस कारण आमाशय में जो एसिड होते हैं, वे गले तक नहीं जा पाते। जीईआरडी में यह वाल्व खराब हो जाता है। इस कारण आमाशय का एसिड इसोफेगस व गले में आना शुरू हो जाता है। इस स्थिति को एसिड रिफ्लक्स कहते हैं।

    कानपुर के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. आलोक गुप्ता कहते हैं कि वाल्व की मांसपेशियों का कमजोर होना इस रोग का एक कारण है। यह कारण आगे चलकर 'हाइटस हर्निया' नामक रोग में तब्दील हो जाता है। उनके अनुसार स्वास्थ्य पर जीईआरडी के कुछ प्रमुख प्रभाव ये हैं..

    1. हार्ट बर्न का कारण बनता है। इस शिकायत में सीने और गले में जलन महसूस होती है। हार्ट बर्न की समस्या एक सप्ताह में कई बार पैदा हो सकती है। खासकर खाने के बाद या फिर रात में।

    2. जीईआरडी खांसी की शिकायत का भी कारण बन सकता है या फिर यह दमा के लक्षण भी पैदा कर सकता है।

    3. इससे आपकी आवाज भर्रा सकती है।

    4. एसिड से आपके मुंह का स्वाद कड़वा या खराब हो सकता है।

    इस रोग की जांच इंडोस्कोपी, बेरियम मील और 24 ऑवर्स एम्बुलेटरी नामक परीक्षणों से की जाती है।

    गर्भावस्था के दौरान महिलाओं द्वारा अत्यधिक चिकनाईयुक्त पदार्थ खाने से भी यह रोग हो सकता है।

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