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    योग से निखरी-दमकी

    योग से उम्र को मात दे रही हैं स्त्रियां। अब हर पल जवां है जिंदगी। आत्मविश्वास की दमक और व्यक्तित्व की चमक का राज है योग और आसन। योग का मैजिक टच पाना आसान नहीं।

    By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 18 Jun 2016 02:30 PM (IST)

    घर-परिवार, दफ्तर, सामाजिक दायित्व। एक साथ कई मोर्चे पर सक्रिय हैं स्त्रियां। मल्टीटास्किंग के बीच गोल-गोल घूमती है उनकी जिंदगी, पर यही है उनकी सबसे बड़ी चुनौती। यह और जटिल हो जाती है जब अंदरूनी परेशानियों से जूझना पड़ता है उन्हें। आरामपसंद जिंदगी और मशीनों पर निर्भरता और खानपान की अनियमितता से कार्यक्षमता खो देती हैं महिलाएं। तनाव, मोटापा, हार्मोन संबंधी असंतुलन, डाइबिटीज, सीजेरियन डिलीवरी, ब्रेस्ट कैंसर आदि ऐसी ही कुछ जटिलताएं हैं, जो आज तेजी से मुखर हो रही हैं। ऐसे में योग वरदान बनकर उभरा है। यह स्त्रियों को बीमारियों से लडऩे में मदद कर रहा है और दे रहा है खुद पर भरोसा भी।

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    हर पड़ाव का साथी

    25 साल पहले तक केवल सात प्रतिशत महिलाएं बे्रस्ट कैंसर का शिकार होती थीं, अब यह 16 प्रतिशत जा पहुंचा है। भारत में यह सबसे कॉमन कैंसर है। योग से इससे निजात मिल सकता है, ऐसा तो नहीं पाया गया, लेकिन जो इससे जूझ रही हैं वे स्त्रियां योग से बेहतर महसूस कर सकती हैं। योग के बाद मिली अच्छी नींद और स्टेबल मूड से उन्हें काफी राहत मिल सकती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार भारत के कुछ राज्यों में सी-सेक्शन यानी ऑपरेशन से डिलीवरी का मामला 80 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इससे बचने के लिए शारीरिक सक्रियता बढ़ाना और योग की सलाह हर स्त्री को दी जाती है। डॉक्टरों की मानें तो अच्छे खानपान

    के साथ योग पूरी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। कहा जाता है कि व्यायाम सब नहीं कर सकते, पर योग हर उम्र के लिए है। उम्रदराज महिलाओं के लिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली मंद हो जाती है,

    शरीर की लोच समाप्त होने लगती है, मांसपेशियां अपना सुदृढ़ आकार खोकर ढीली पडऩे लगती हैं। गठिया, चर्बी का बढऩा और कमजोरी आदि जैसी तमाम समस्याओं में योग सबसे भरोसेमंद साथी की तरह होता है।

    भ्रामरी प्राणायाम

    कैसे करें: किसी भी आरामदायक पोजिशन में बैठें। आप कुर्सी पर भी सीधी होकर बैठ सकती हैं। तर्जनी अंगुली से दोनों कानों को बंद करें। धीरे-धीरे सांस भरें और सांस को छोड़ते हुए भौंरे के समान गुंजन करें। लगातार दो-पांच मिनट नियमित अभ्यास करें। फायदा: मानसिक शांति, हर्मोन-संतुलन में असरदार। भोजन पाचन में भी लाभ। तनाव और डिप्रेशन से मुक्ति ।

    सेतुबंध आसन

    कैसे करें: पीठ के बल लेट जाएं। फिर दोनों घुटने को मोड़ें, पंजों के बीच थोड़ी दूरी रखें। सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। हाथों को सहारा दें। फायदा: कमर को मजूबती। ह्रदय, फेफड़ों और थाइरॉयड के लिए लाभदायक।

    वृक्षासन

    कैसे करें: एक पांव को मोड़ें और पंजे को दूसरे पांव पे रखें। घुटना आपके कंधों की सीध में हो और सुंतलन के लिए किसी एक बिंदु पे नजर बनाए रखें। शुरुआत में संतुलन मुश्किल हो तो दीवार के सहारे करें।

    फायदा: पांव में मजबूती देता है। संतुलन बढ़ता है।

    खुद से मिलाता है योग

    रवीना टंडन, अभिनेत्री

    मैं यथासंभव प्राकृतिक जीवन, खानपान में यकीन रखती हूं। फिटनेस से कोई समझौता पसंद नहीं। स्त्रियों के लिए योग एक वरदान है, जो उन्हें खुद से मिलाता है। योग करके वह अपनी क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती हैं और इसका बेहतर इस्तेमाल करना सीख सकती हैं।

    पॉजिटिव बनाए रखता है

    साइना नेहवाल, बैडमिंटन खिलाड़ी

    योग मेरी दिनचर्या का अहम् हिस्सा है। प्रैक्टिस के साथ-साथ इसे बनाए रखती हूं, क्योंकि यह हमेशा पॉजिटिव बने रहने की सीख देता है।

    ध्यान रहे - योग में सांसों का महत्व है। इसमें हड़बड़ी न दिखाएं।

    - पानी पीने के बाद और खाना खाने के तुरंत बाद योगासन न करें।

    - क्षमतानुसार ही आसन करें। इसे धीरे-धीरे बढ़ाएं।

    - फाइनल पोश्चर तक पहुंचने की जल्दबाजी से बचें।

    - तुरंत परिणाम की उम्मीद न करें।

    - डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

    - कठिन आसानों से शुरुआत न करें।

    सीमा झा

    (स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. वारिजा व योग गुरु धीरज वशिष्ठ से बातचीत पर आधारित)

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