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नी कैप सिंड्रोम: अर्थराइटस नहींहै यह रोग

किशोरों-किशोरियों, नवयुवकों और नवयुवतियों में नी कैप सिंड्रोम एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है। युवावर्ग के तीन में से एक व्यक्ति को कभी न कभी इस समस्या से रूबरू होना पड़ता है। लक्षण -घुटने में दर्द होता है, जिसे मेडिकल भाषा में क्लिकिंग सेंसेशन या क्रेपिटस कहते हैं। -द

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 11:47 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 11:47 AM (IST)
नी कैप सिंड्रोम: अर्थराइटस नहींहै यह रोग

किशोरों-किशोरियों, नवयुवकों और नवयुवतियों में नी कैप सिंड्रोम एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है। युवावर्ग के तीन में से एक व्यक्ति को कभी न कभी इस समस्या से रूबरू होना पड़ता है।

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लक्षण

-घुटने में दर्द होता है, जिसे मेडिकल भाषा में क्लिकिंग सेंसेशन या क्रेपिटस कहते हैं।

-दर्द घुटने के सामने वाले भाग और इसके इर्दगिर्द या नी कैप के पीछे होता है।

-कभी-कभी यह दर्द काफी तेज हो जाता है।

-दिनचर्या के कामों जैसे चलने-फिरने और सीढि़यां चढ़ने -उतरने में पीड़ित व्यक्ति को दिक्कत महसूस होती है।

-काफी देर तक बैठने से घुटने में दर्द होता है।

-दौड़ने से दर्द बढ़ जाता है या फिर खेलकूद की गतिविधियों में भाग लेने के बाद दर्द बढ़ सकता है।

कारण

-नी कैप सिंड्रोम की यह समस्या अक्सर घुटने के जोड़ (नी ज्वाइंट) के इर्द-गिर्द स्थित मांसपेशियों में असंतुलन के कारण उत्पन्न होती है। इस वजह से नी कैप और कार्टिलेज पर जोड़ के अंदर दबाव पड़ता है।

-जांघ और कूल्हे की मांसपेशियों का कमजोर या असंतुलित होना।

ध्यान दें: नी कैप सिंड्रोम से उत्पन्न घुटने में दर्द की समस्या अर्थराइटिस नहींहोती।

जांचें: अस्थि व जोड़ रोग विशेषज्ञ अपनी तरह से घुटने का परीक्षण करते हैं। इसके अलावा एमआरआई जांच करायी जा सकती है।

इलाज

वैसे तो नी कैप सिंड्रोम कभी -कभी इलाज किए बगैर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह सिंड्रोम कई सालों तक जारी रह सकता है। ऐसी स्थिति में दर्दनिवारक दवाएं (पेनकिलर्स) और फिजियोथेरेपी से राहत मिलती है।

पेनकिलर के तहत पैरासीटामॉल तत्व से युक्त दवा के सेवन से भी राहत मिलती है। इसी तरह फिजियोथेरेपी से जांघ की मांसपेशियों को सशक्त करने में मदद मिलती है। इन मांसपेशियों के सशक्त रहने से घुटने पर दबाव कम पड़ता है।

जांघ की मांसपेशियों को सशक्त करने वाले व्यायामों से भी राहत मिलती है। वैसे इस बीमारी से राहत पाने में तैराकी भी मददगार साबित होती है।

(डॉ.सौरभ शुक्ला, अस्थि व जोड़ रोग विशेषज्ञ, लखनऊ)


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