Move to Jagran APP

नींद चुराते ई-बुक

आधुनिक तकनीक ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। रात में आईपैड, लैपटॉप या ई-रीडर पर किताबें पढऩे से नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे सोने के लिए

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2015 03:43 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2015 03:45 PM (IST)
नींद चुराते ई-बुक

आधुनिक तकनीक ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। रात में आईपैड, लैपटॉप या ई-रीडर पर किताबें पढऩे से नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे सोने के लिए तैयार होने में लगने वाले वक्त और नींद के कुल समय पर नकारात्मक असर पड़ता है। अमेरिका के पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर एना मारिया के मुताबिक इस शोध के लिए 12 लोगों पर दो हफ्ते तक नजऱ रखी गई। इसमें से छह लोगों को रात में सोने से पहले ई-बुक और छह लोगों को सामान्य किताब पढऩे को कहा गया। इसके बाद इन लोगों में नींद वाले हॉर्मोन मेलाटोनिन के स्तर, नींद की गहराई और अगली सुबह उनकी सजगता के स्तर की जांच की गई। शोध में यह पाया गया कि जो लोग रोज़ ई-बुक पढ़ते हैं, वे कई घंटे कम सोते हैं और उनमें रैपिड आई मोमेंट स्लीप का समय भी कम हो जाता है। नींद की इसी अवस्था में यादें संरक्षित होती हैं। इसलिए ज्य़ादा समय तक ई-बुक पढऩे से स्मरण-शक्ति कमज़ोर होती है और डिमेंशिया का भी ख़्ातरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप पढऩे के शौ$कीन हैं तो ई-बुक के बजाय किताबों के साथ व$क्त बिताएं। अगर किसी वजह से ई-बुक पढऩा ज़रूरी हो तो भी सोने से पहले ई-बुक पढऩे से बचें।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.