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    यूं निकाले डेंगू का डंक

    By Edited By:
    Updated: Tue, 09 Jul 2013 12:27 PM (IST)

    डेंगू एक वाइरस से होने वाली बीमारी है। वाइरस मानव शरीर में एडीज मच्छर के काटने से प्रवेश करता है।

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    डेंगू एक वाइरस से होने वाली बीमारी है। यह वाइरस मानव शरीर में एडीज मच्छर के काटने से प्रवेश करता है।

    लक्षण :

    -तेज बुखार और जोड़ों में दर्द।

    -सिर और बदन में तेज दर्द।

    -शरीर पर निशान होना।

    -उल्टी होना और दस्त लगना।

    -पेट का फूलना और इसमें दर्द होना।

    -सांस लेने में तकलीफ।

    -लिवर में सूजन होना।

    -कभी-कभी दौरे पड़ना और बेहोश

    होना।

    ध्यान दें :

    डेंगू और मलेरिया दोनों रोगों के लक्षण मिलते-जुलते हैं। इसलिए दोनों मेंअंतर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें और उनके परामर्श से रक्त की जांच करवाएं।

    पीड़ित व्यक्ति का इस रोग में ब्लडप्रेशर बहुत कम हो सकता है, जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर को रोग पर विशेष नजर रखनी चाहिए।

    इलाज :

    डेंगू समय के साथ स्वत: ही ठीक हो सकता है। इस दौरान हमें शरीर को स्वस्थ होने के लिए मदद करनी पड़ती है। इस रोग का इलाज लक्षणों के अनुसार होता है। बुखार के लिए पैरासीटामोल का इस्तेमाल करें। तेज बुखार में शरीर को पानी से पोंछें और डॉक्टर की सलाह लें। तरल पदार्थ जैसे पानी, नीबू, शर्बत, लस्सी, नारियल पानी और ओआरएएस का घोल लें। घबराएं नहीं। हल्का खाना खाएं।

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    प्लेटलेट्स ट्रांसयूजन :

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा की गई एक रिसर्च से पता चला है कि ज्यादा मात्रा में प्लेटलेट्स चढ़ाना रोगी को फायदा नहीं बल्कि नुकसान पहुंचा सकता है। अगर प्लेटलेट काउंट दस हजार से कम हो या या फिर शरीर के किसी भाग से तेज रक्तस्राव हो, तभी प्लेटलेट चढ़ाना चाहिए। मसूढ़ों से हल्का खून आना और शरीर पर चकत्ते सरीखे लक्षणों के लिए प्लेटलेट चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती।

    डेंगू के रोगियों की प्लेटलेट्स काउंट एक सप्ताह से दस दिनों में स्वत: ही ठीक हो जाती है। डॉक्टर डेंगू जैसी दिखने वाली दूसरी बीमारियों के बारे में भी सतर्क रहें जिनमें प्लेटलेट काउंट कम हो सकता है।

    बचाव :

    डेंगू का अभी तक न तो कोई टीका विकसित हुआ है और न ही कोई विशेष दवा तैयार हुई है। इसलिए मच्छरों से बचाव इस रोग की रोकथाम का एक प्रमुख उपाय है। मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। शरीर को ठीक से ढकने वाले कपड़े पहनें। अपने घर,

    स्कूल और ऑफिस के आसपास पानी एकत्र न होने दें। कूलर का पानी नियमित रूप से बदलें। अगर ठहरा हुआ पानी निकालना संभव न हो, तो उसमें मिट्टी का तेल डालें।

    [डॉ. सुशीला कटारिया फिजीशियन मेदांत दि मेडिसिटी, गुड़गांव]

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