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    अधिक उम्र में भी बन सकेंगी मां

    मां बनने में अक्षम महिलाओं की सूनी कोख अब अधिक उम्र में भी बच्चे की किलकारी से गुंजायमान हो सकती है। अब वे माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण तकनीक के जरिए स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाएंगी। साथ ही जो लोग माइटोकॉन्ड्रिया संबंधी बीमारियों से पीडि़त हैं उन्हें तो इस तकनीक से खासतौर

    By Babita kashyapEdited By: Updated: Mon, 09 Feb 2015 12:17 PM (IST)

    मां बनने में अक्षम महिलाओं की सूनी कोख अब अधिक उम्र में भी बच्चे की किलकारी से गुंजायमान हो सकती है। अब वे माइटोकॉन्ड्रिया प्रत्यारोपण तकनीक के जरिए स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाएंगी। साथ ही जो लोग माइटोकॉन्ड्रिया संबंधी बीमारियों से पीडि़त हैं उन्हें तो इस तकनीक से खासतौर पर लाभ होगा। अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई प्रजनन की इस तकनीक में दो महिलाएं और एक पुरुष की मदद ली जाती है। तकनीक के फायदों को देखते हुए ब्रिटेन ने तो इसे हरी झंडी भी दे दी है। हालांकि प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़ को लेकर इस तकनीक पर विवाद भी खड़े हो गए हैं। पूरी तकनीक पर पेश है एक नजर:

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    समस्या: दाम्पत्य जीवन की शुरुआत में ही कई

    महिलाएं गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं। लिहाजा उम्र के एक खास पड़ाव पर जब उन्हें बच्चे की चाहत होती है तो वे प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। कई बार तो इस आयु में आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रणाली भी नहीं कारगर होती है

    फायदा: इस तकनीक में दूसरी महिला की मदद जरूर ली जाती है पर उसके अंडाणु में मां का डीएनए डालने से बच्चे के अनुवांशिक गुण मां जैसे ही होते हैं। अनुवांशिक रूप से बच्चा मां जैसा ही होता है। जबकि युवा अंडाणुदाता के कोशिका द्रव्य के चलते वह बच्चा अधिक उम्र में होने वाली बीमारियों से भी सुरक्षित रहता है।

    विवाद: हाल ही में ब्रिटेन ने कुछ शर्तों के साथ इस तकनीक की मदद से गर्भधारण को अनुमति

    दी है। हालांकि इसे लेकर विवाद भी उठ रहे हैं। बुद्धिजीवियों का तर्क है कि भविष्य में इस तकनीक का गलत इस्तेमाल होगा। लोग डिजाइनर बच्चों की चाह में इसका अधिक इस्तेमाल करेंगे जो प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने जैसी बात है।