दहिया खाप ने आरक्षण संघर्ष समिति की मंशा पर सवाल उठाए
जागरण संवाददाता, सोनीपत: दहिया खाप ने फिर से जाट आरक्षण संघर्ष समिति की मंशा पर सवाल उठाते हुए
जागरण संवाददाता, सोनीपत:
दहिया खाप ने फिर से जाट आरक्षण संघर्ष समिति की मंशा पर सवाल उठाते हुए धरने के औचित्य पर प्रश्न-चिन्ह लगाया है। खाप ने सवाल उठाया है कि अगर यही मांगे संघर्ष समिति को माननी थी, तो फिर 15 दिन तक धरने का ड्रामा क्यों किया गया ? इन मांगों पर तो पहले ही दो जून की बैठक में सरकार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सहमति दे दी थी। इसके बावजूद कुछ लोगों ने अपने वर्चस्व के लिए धरना दिया। साथ ही खापों को बदनाम करने की करने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया।
दहिया खाप के प्रधान सुरेंद्र दहिया व प्रवक्ता वीरेंद्र बड़खालसा ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर दो जून को मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद सार्थक हल करने का भरोसा पहले ही मिल गया था। उन्होंने साफ कर दिया था कि वह निष्पक्ष जांच कराएंगे, शहीद युवाओं के परिजनों को सहायता राशि दी जाएगी और आरक्षण के लिए हाईकोर्ट में पूरी तरह पैरवी करेंगे। इसके बावजूद संघर्ष समिति के कुछ लोगों ने बाहरी लोगों के बहकावे में आकर धरना शुरू किया। उन्होंने सवाल किया कि जो मांग संघर्ष समिति के लोग कर रहे थे। क्या वह पूरी हो गई हैं। दहिया ने कहा कि असल मुद्दा तो यह था कि यशपाल मलिक पर दर्ज देशद्रोह का केस सरकार वापस करती।
खापों ने 60 लाख मुआवजा दिया, समिति दे ब्यौरा:
दहिया खाप प्रमुख ने कहा कि आंदोलन के दौरान शहीद युवकों को खापों व जाट नेताओं ने 60 लाख रुपये प्रति परिवार के हिसाब से 19 परिवारों को सहायता राशि दी। इनमें एक जांगिड़ परिवार भी शामिल है। खापों ने 36 बिरादरी के सहयोग से करीब 11 करोड़ 53 लाख रुपया अभी तक बांटा है। घायलों को भी सहायता दी गई है। दहिया ने मांग की कि अब संघर्ष समिति के लोग बताएं कि उनके पास कितना चंदा आया और इसका किस तरीके से इस्तेमाल हुआ है ?
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